‘मुहावरा’ अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ:- ‘अभ्यास होना’ अथवा ‘आदी होना’ है। मुहावरा संक्षिप्त होता है, लेकिन अपने इस संक्षिप्त रूप में ही यह किसी बड़े विचार अथवा भाव को प्रकट करता है।
मुहावरों के उदाहरण -
मुहावरा | अर्थ | वाक्य में प्रयोग |
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अक्ल पर पत्थर पड़ना | बुद्धि भष्ट होना | विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने राम की पत्नी का अपहरण किया। |
अंक भरना | स्नेह से लिपटा लेना | माँ ने देखते ही बेटी को अंक भर लिया। |
अंग टूटना | थकान का दर्द | इतना काम करना पड़ा कि आज अंग टूट रहे है। |
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना | स्वयं अपनी प्रशंसा करना | अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता। |
अक्ल का चरने जाना | समझ का अभाव होना | इतना भी समझ नहीं सके, क्या अक्ल चरने गई है? |
अपने पैरों पर खड़ा होना | स्वावलंबी होना | युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए। |
अक्ल का दुश्मन | मूर्ख | राम तुम मेरी बात क्यों नहीं मानते, लगता है आजकल तुम अक्ल के दुश्मन हो गए हो। |
अपना उल्लू सीधा करना | मतलब निकालना | आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है। |
अंगारों पर लेटना | डाह होना, दुःख सहना | वह उसकी तरक्की देखते ही अंगारों पर लोटने लगा। मैं जीवनभर अंगारों पर लोटता रहा हूँ। |
अँगूठा दिखाना | समय पर धोखा देना | अपना काम तो निकाल लिया, पर जब मुझे जरूरत पड़ी, तब अँगूठा दिखा दिया। भला, यह भी कोई मित्र का लक्षण है। |
अँचरा पसारना | माँगना, याचना करना | हे देवी मैया, अपने बीमार बेटे के लिए आपके आगे अँचरा पसारती हूँ। उसे भला-चंगा कर दो, माँ। |
अण्टी मारना | चाल चलना | ऐसी अण्टीमारो कि बच्चू चारों खाने चित गिरें। |
अण्ड-बण्ड कहना | भला-बुरा या अण्ट-सण्ट कहना | क्या अण्ड-बण्ड कहे जा रहे हो। वह सुन लेगा, तो कचूमर ही निकाल छोड़ेगा। |
अन्धाधुन्ध लुटाना | बिना विचारे व्यय | अपनी कमाई भी कोई अन्धाधुन्ध लुटाता है? |
अन्धा बनना | आगे-पीछे कुछ न देखना | धर्म से प्रेम करो, पर उसके पीछे अन्धा बनने से तो दुनिया नहीं चलती। |
अन्धा बनाना | धोखा देना | मायामृग ने रामजी तक को अन्धा बनाया था। इस माया के पीछे मौजीलाल अन्धे बने तो क्या। |
अन्धा होना | विवेक भ्रष्ट होना | अन्धे हो गये हो क्या, जवान बेटे के सामने यह क्या जो-सो बके जा रहे हो? |
अन्धे की लकड़ी | एक ही सहारा | भाई, अब तो यही एक बेटा बचा, जो मुझे अन्धे की लकड़ी है। इसे परदेश न जाने दूँगा। |
अन्धेरखाता | अन्याय | मुँहमाँगा दो, फिर भी चीज खराब। यह कैसा अन्धेरखाता है। |
अन्धेर नगरी | जहाँ धांधली का बोलबाला हो | इकत्री का सिक्का था, तो चाय इकत्री में मिलती थी, दस पैसे का निकला, तो दस पैसे में मिलने लगी। यह बाजार नहीं, अन्धेरनगरी ही है। |
अकेला दम | अकेला | मेरा क्या! अकेला दम हूँ, जिधर सींग समायेगा, चल दूँगा। |
अक्ल की दुम | अपने को बड़ा होशियार लगाने वाला | दस तक का पहाड़ा भी तो आता नहीं, मगर अक्ल की दुम साइन्स का पण्डित बनता है। |
अगले जमाने का आदमी | सीधा-सादा, ईमानदार | आज की दुनिया ऐसी हो गई कि अगले जमाने का आदमी बुद्धू समझा जाता है। |
अढाई दिन की हुकूमत | कुछ दिनों की शानोशौकत | जनाब, जरा होशियारी से काम लें। यह अढाई दिन की हुकूमत जाती रहेगी। |
अत्र-जल उठना | रहने का संयोग न होना, मरना | मालूम होता है कि तुम्हारा यहाँ से अत्र-जल उठ गया है, जो सबसे बिगाड़ किये रहते हो। |
अन्न-जल करना | जलपान, नाराजगी आदि के कारण निराहार के बाद आहार-ग्रहण | भाई, बहुत दिनों पर आये हो। अन्न-जल तो करते जाओ। |
अन्न लगना | स्वस्थ रहना | उसे ससुराल का ही अत्र लगता है। इसलिए तो वह वहीं का हो गया। |
अपना किया पाना | कर्म का फल भोगना | बेहूदों को जब मुँह लगाया है, तो अपना किया पाओ। झखते क्या हो? |
अपना-सा मुँह लेकर रह जाना | शर्मिन्दा होना | आज मैंने ऐसी चुभती बात कही कि वे अपना-सा मुँह लिए रह गये। |
अपनी खिचड़ी अलग पकाना | स्वार्थी होना, अलग रहना | यदि सभी अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगें, तो देश और समाज की उत्रति होने से रही। |
अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना | संकट मोल लेना | उससे तकरार करके तुमने अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारी है। |
अब-तब करना | बहाना करना | कोई भी चीज माँगो, वह अब-तब करना शुरू कर देगा। |
अब-तब होना | परेशान करना या मरने के करीब होना | दवा देने से क्या ! वह तो अब-तब हो रहा है। |
अंग-अंग ढीला होना | अत्यधिक थक जाना | विवाह के अवसर पर दिन भर मेहमानों के स्वागत में लगे रहने से मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है। |
अंगारे उगलना | कठोर और कड़वी बातें कहना | मित्र! अवश्य कोई बात होगी, बिना बात कोई क्यों अंगारे उगलेगा। |
अंगारों पर लोटना | ईर्ष्या से व्याकुल होना | मेरे सुख को देखकर रामू अंगारों पर लोटता है। |
अँगुली उठाना | किसी के चरित्र या ईमानदारी पर संदेह व्यक्त करना | मित्र! हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे कोई हम पर अँगुली उठाए। |
अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ना | थोड़ा पाकर अधिक पाने की कोशिश करना | जब भिखारी एक रुपया देने के बाद और रुपए मांगने लगा तो मैंने उससे कहा- अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ते हो, जाओ यहाँ से। |
अँगूठा छाप | अनपढ़ | रामेश्वर अँगूठा छाप हैं, परंतु अब वह पढ़ना चाहता है। |
अंगूर खट्टे होना | कोई वस्तु न मिलने पर उससे विरक्त होना | जब लोमड़ी को अंगूर नहीं मिले तो वह कहने लगी कि अंगूर खट्टे है। |
अंजर-पंजर ढीला होना | शरीर शिथिल होना या बहुत थक जाना | दिनभर भागते-भागते आज तो मेरा अंजर-पंजर ढीलाहो गया। |
अंडे सेना | घर से बाहर न निकलना; घर में ही बैठे रहना | रामू की पत्नी ने कहा कि कुछ काम करो, अंडे सेने से काम नहीं चलेगा। |
अंतड़ियों के बल खोलना | बहुत दिनों के बाद भरपेट भोजन करना | आज पंडित जी का न्योता है, आज वे अपनी अंतड़ियों के बल खोल देंगे। |
अंतड़ियों में बल पड़ना | पेट में दर्द होना | दावत में खाना अधिक खाकर मेरी तो अंतड़ियों में बल पड़ गए। |
अंतिम घड़ी आना | मौत निकट आना | शायद रामू की दादी की अंतिम घड़ी आ गई है। वह पंद्रह दिन से बिस्तर पर पड़ी है। |
अंधा बनना | ध्यान न देना | अरे मित्र! तुम तो जान-बुझकर अंधे बन रहे हो- सब जानते है कि रामू पैसे वापस नहीं करता, फिर भी तुमने उसे पैसे उधार दे दिए। |
अंधे के हाथ बटेर लगना | अनाड़ी आदमी को सफलता प्राप्त होना | रामू मात्र आठवीं पास है, फिर भी उसकी सरकारी नौकरी लग गई। इसी को कहते है- अंधे के हाथ बटेर लगना। |
अंधे को दो आँखें मिलना | मनोरथ सिद्ध होना | एम.ए. और बी.एड. करते ही प्रेम की नौकरी लग गई। उसे और क्या चाहिए- अंधे को दो आँखें मिल गई। |
अंधेर मचना | अत्याचार करना | औरंगजेब ने अपने शासनकाल में बहुत अंधेर मचाया था। |
अक्ल का अंधा | मूर्ख व्यक्ति | वह अक्ल का अंधा नहीं, जैसा कि आप समझते है। |
अक्ल के पीछे लट्ठ लेकर फिरना | हर वक्त मूर्खता का काम करना | रमेश तो हर वक्त अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता है- चीनी लेने भेजा था, नमक लेकर आ गया। |
अक्ल घास चरने जाना | वक्त पर बुद्धि का काम न करना | अरे मित्र! लगता है, तुम्हारी अक्ल घास चरने गई है, तभी तो तुमने सरकारी नौकरी छोड़ दी। |
अक्ल ठिकाने लगना | गलती समझ में आना | जब तक उस चोर को पुलिस के हवाले नहीं करोगे, उसकी अक्ल ठिकाने नहीं आएगी। |
अगर-मगर करना | तर्क करना या टालमटोल करना | ज्यादा अगर-मगर करो तो जाओ यहाँ से, हमें तुम्हारे जैसा नौकर नहीं चाहिए। |
अपना रास्ता नापना | चले जाना | मैंने रामू को उसकी कृपा का धन्यवाद देकर अपना रास्ता नापा। |
अपना सिक्का जमाना | अपनी धाक या प्रभुत्व जमाना | रामू ने कुछ ही दिनों में अपने मोहल्ले में अपना सिक्का जमा लिया है। |
अपना सिर ओखली में देना | जान-बूझकर संकट मोल लेना | खटारा स्कूटर खरीदकर मोहन ने अपना सिर ओखली में दे दिया है। |
अपनी खाल में मस्त रहना | अपने आप में संतुष्ट रहना | वह तो अपनी खाल में मस्त रहता है, उसे किसी से कोई मतलब नहीं है। |
अढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना | सबसे अलग रहना | मोहन आजकल अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाते है। |
अंगारों पर पैर रखना | अपने को खतरे में डालना, इतराना | भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर देश की रक्षा करते है। |
अक्ल का अजीर्ण होना | आवश्यकता से अधिक अक्ल होना | सोहन किसी भी विषय में दूसरे को महत्व नही देता है, उसे अक्ल का अजीर्ण हो गया है। |
अक्ल दंग होना | चकित होना | मोहन को पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता लेकिन परीक्षा परिणाम आने पर सब का अक्ल दंग हो गया। |
अक्ल का पुतला | बहुत बुद्धिमान | विदुर जी अक्ल का पुतला थे। |
अन्त पाना | भेद पाना | उसका अन्त पाना कठिन है। |
अन्तर के पट खोलना | विवेक से काम लेना | हर हमेशा हमें अन्तर के पट खोलना चाहिए। |
अक्ल के घोड़े दौड़ाना | कल्पनाएँ करना | वह हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ाता रहता है। |
अपने दिनों को रोना | अपनी स्वयं की दुर्दशा पर शोक प्रकट करना | वह तो हर वक्त अपने ही दिनों को रोता रहता है, इसलिए कोई उससे बात नहीं करता। |
अलाउद्दीन का चिराग | आश्चर्यजनक या अद्भुत वस्तु | रामू कलम पाकर ऐसे चल पड़ा जैसे उसे अलाउद्दीन का चिराग मिल गया हो। |
अल्लाह को प्यारा होना | मर जाना | मुल्लाजी कम उम्र में ही अल्लाह को प्यारे हो गए। |
अपनी डफली आप बजाना | अपने मन की करना | राधा दूसरे की बात नहीं सुनती, वह हमेशा अपनी डफली आप बजाती है। |
अंग-अंग ढीला होना | थक जाना | ऑफिस में इतना अधिक काम है कि शाम तक अंग-अंग ढीला हो जाता है। |
अंग-अंग मुसकाना | अति प्रसन्न होना | विवाह की बात पक्की होने की खबर को सुनते ही करीना का अंग-अंग मुसकाने लगा। |
अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना | हर समय मूर्खतापूर्ण कार्य करना | जो आदमी अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता है उसे मैं इतनी बड़ी जिम्मेदरी कैसे सौंप सकता हूँ? |
अगर मगर करना | टालमटोल करना | मेरे एक दोस्त ने मुझसे वायदा किया था कि जब भी कोई जरूरत हो वह मेरी मदद करेगा। आज जब मैंने मदद माँगी तो अगर-मगर करने लगा। |
अगवा करना | अपहरण करना | मुरली बाबू के बेटे को डाकुओं ने अगवा कर लिया है और अब पाँच लाख की फिरौती माँग रहे है। |
अति करना | मर्यादा का उल्लंघन करना | भाई, आपने भी अति कर दी है, हमेशा अपने बच्चों को डाँटते ही रहते हो। कभी तो प्यार से बात किया करो। |
अपना-अपना राग अलापना | किसी की न सुनना | सभी छात्र एक साथ प्रधानाचार्य के कमरे में घुस गए और लगे अपना-अपना राग अलापने। बेचारे प्रधानाचार्य सर पकड़कर बैठ गए। |
अपनी राम कहानी सुनाना | अपना हाल बताना | यहाँ के अधिकारियों ने तो अपने कानों में तेल डाल रखा है। किसी की सुनना ही नहीं चाहते। |
अरमान निकालना | इच्छा पूरी करना | हो गई न तुम्हारे मन की। निकाल लो मन के सारे अरमान। |
आँख भर आना | आँसू आना | बेटी की विदाई पर माँ की आखें भर आई। |
आँखों में बसना | हृदय में समाना | वह इतना सुंदर है की उसका रूप मेरी आखों में बस गया है। |
आँखे खुलना | सचेत होना | ठोकर खाने के बाद ही बहुत से लोगों की आँखे खुलती है। |
आँख का तारा | बहुत प्यारा | आज्ञाकारी बच्चा माँ-बाप की आँखों का तारा होता है। |
आँखे दिखाना | बहुत क्रोध करना | राम से मैंने सच बातें कह दी, तो वह मुझे आँख दिखाने लगा। |
आसमान से बातें करना | बहुत ऊँचा होना | आजकल ऐसी ऐसी इमारते बनने लगी है, जो आसमान से बातें करती है। |
आँच न आने देना | जरा भी कष्ट या दोष न आने देना | तुम निश्चिन्त रहो। मैं तुम पर आँच नहीं आने दूँगा। |
आठ-आठ आँसू रोना | बुरी तरह पछताना | इस उमर में न पढ़ा, तो आठ-आठ आँसू न रोओ तो कहना। |
आसन डोलना | लुब्ध या विचलित होना | धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाया करता है। |
आस्तीन का साँप | कपटी मित्र | उससे सावधान रहो। आस्तीन का साँप है वह। |
आसमान टूट पड़ना | गजब का संकट पड़ना | पाँच लोगों को खिलाने-पिलाने में ऐसा क्या आसमान टूट पड़ा कि तुम सारा घर सिर पर उठाए हो? |
आकाश छूना | बहुत तरक्की करना | राखी एक दिन अवश्य आकाश चूमेगी। |
आकाश-पाताल एक करना | अत्यधिक उद्योग/परिश्रम करना | सूरज ने इंजीनियर पास करने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया। |
आकाश-पाताल का अंतर होना | बहुत अधिक अंतर होना | कहाँ मैं और कहाँ वह मूर्ख, हम दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। |
आँच आना | हानि या कष्ट पहुँचना | जब माँ साथ है तो बच्चे को भला कैसे आँच आएगी। |
आँचल पसारना | प्रार्थना करना या किसी से कुछ माँगना | मैं ईश्वर से आँचल पसारकर यही माँगता हूँ कि तुम कक्षा में उत्तीर्ण हो जाओ। |
आँतें बुलबुलाना | बहुत भूख लगना | मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया, मेरी आँतें कुलबुला रही है। |
आँतों में बल पड़ना | पेट में दर्द होना | रात की पूड़ियाँ खाकर मेरी आँतों में बल पड़ गए। |
आँधी के आम होना | बहुत सस्ता होना | आजकल तो आलू आँधी के आम हो रहे हैं, जितने चाहो, ले लो। |
आँसू पीना या पीकर रहना | दुःख या कष्ट में भी शांत रहना | जब राकेश कक्षा में फेल हो गया तो वह आँसू पीकर रह गया। |
आकाश का फूल होना | अप्राप्य वस्तु | आजकल दिल्ली में घर खरीदना तो आकाश का फूल हो रहा है। |
आकाश के तारे तोड़ लाना | असंभव कार्य करना | श्याम हमेशा आकाश के तारे तोड़ने की बात करता है। |
आग उगलना | कड़वी बातें कहना | रमेश तो हमेशा आग उगलता रहता है। |
आकाश से बातें करना | अत्यधिक ऊँचा होना | मुंबई की इमारतें तो आकाश से बातें करती है। |
आग बबूला होना | अति क्रुद्ध होना | राधा जरा-सी बात पर आग बबूला हो गई। |
आग पर लोटना | ईर्ष्या से जलना | मेरी कार खरीदने की बात सुनकर रामू आग पर लोटने लगा। |
आग में घी डालना | क्रोध को और भड़काना | आपसी लड़ाई में अनुपम के आँसुओं ने आग में घी डाल दिया) |
आग लगने पर कुआँ खोदना | विपत्ति आने पर अथवा ऐन मौके पर प्रयास करना | मित्र, पहले से कुछ करो। आग लगने पर कुआँ खोदना ठीक नहीं। |
आग लगाकर तमाशा देखना | दूसरों में झगड़ा कराके अलग हो जाना | वह तो आग लगाकर तमाशा देखने वाला है, वह तुम्हारी क्या मदद करेगा। |
आटे-दाल का भाव मालूम होना | दुनियादारी का ज्ञान होना अथवा कटु परिस्थिति का अनुभव होना | जब पिता की मृत्यु हो गई तो राकेश को आटे-दाल का भाव मालूम हो गया। |
आग से खेलना | खतरनाक काम करना | मित्र, तस्करी करना बंद कर दो, तुम क्यों आग से खेल रहे हो? |
आग हो जाना | अत्यन्त क्रोधित हो जाना | सुनिल के स्वभाव से सब परिचित है, वह एक ही पल में आग हो जाता है। |
आगा-पीछा न सोचना | कार्य करते समय हानि-लाभ के बारे में न सोचना | कुणाल कुछ भी करने से पहले आगा-पीछा नहीं सोचता। |
आज-कल करना | टालमटोल करना | राजू कह रहा था- उसके दफ्तर में कोई काम नहीं करता, सब आज-कल करते है। |
आटे के साथ घुन पिसना | अपराधी के साथ निर्दोष को भी सजा मिलना | राघव तो जुआरियों के पास केवल खड़ा हुआ था, पुलिस उसे भी पकड़कर ले गई। इसे ही कहते है:- आटे के साथ घुन पिसना। |
आड़े हाथों लेना | झिड़कना, बुरा-भला कहना | सुभम ने जब होमवर्क (गृह-कार्य) नहीं किया तो अध्यापक ने कक्षा में उसे आड़े हाथों लिया। |
आधा तीतर, आधा बटेर | बेमेल वस्तुएँ | राजू तो आधा तीतर, आधा बटेर है:- हिंदुस्तानी धोती-कुर्ते के साथ सिर पर अंग्रेजी टोप पहनता है। |
आसमान पर उड़ना | थोड़ा पैसा पाकर इतराना | उसकी 10 हजार की लॉटरी क्या खुल गई, वह तो आसमान पर उड़ रहा है। |
आसमान पर चढ़ना | बहुत अभिमान करना | आजकल मदन का मिजाज आसमान पर चढ़ा हुआ दिखाई देता है। |
आसमान पर थूकना | किसी महान् व्यक्ति को बुरा-भला कहना | नेताजी सुभाषचंद्र बोस एक महान देशभक्त थे उनके बारे में कुछ कहना-आसमान पर थूकने जैसा है। |
आसमान पर मिजाज होना | अत्यधिक अभिमान होना | सरकारी नौकरी लगने के बाद उसका आसमान पर मिजाज हो गया है। |
आसमान सिर पर उठाना | अत्यधिक ऊधम मचाना | इस बच्चे ने तो आसमान सिर पर उठा लिया है, इसे ले जाओ यहाँ से। |
आसमान सिर पर टूटना | बहुत मुसीबत आना | पिता के मरते ही राजू के सिर पर आसमान टूट पड़ा। |
आसमान से गिरे, खजूर में अटके | एक परेशानी से निकलकर दूसरी परेशानी में आना | अध्यापक की मदद से राजू गणित में तो पास हो गया, परंतु विज्ञान में उसकी कम्पार्टमेंट आ गई। इसी को कहते है:- आसमान से गिरे, खजूर में अटके। |
आस्तीन चढ़ाना | लड़ने को तैयार होना | मुन्ना हर वक्त आस्तीन चढ़ाकर रखता है। |
आह लेना | बद्दुआ लेना | रमेश के दादा हमेशा कहते है:- किसी की आह मत लो, सबकी दुआएँ लो। |
आँधी के आम | बिना परिश्रम के मिली वस्तु | आँधी के आमों की तरह से मिली दौलत बहुत दिनों तक नहीं रुकती। |
आखिरी साँसें गिनना | मरणासन्न होना | मदन की माँ आखिरी साँस ले रही है, सभी डॉक्टरों ने जवाब दे दिया है। |
आग देना | मृतक का दाह-संस्कार करना | भारतीय संस्कृति के अनुसार पिता की चिता को बड़ा बेटा ही आग देता है। |
आफत का मारा | दुखी | जब कोई नौकरी न मिली तो ट्यूशन पढ़ाने लगा। आफत का मारा बेचारा क्या करता? |
आफत मोल लेना | व्यर्थ का झगड़ा मोल लेना | तुमसे बात करके तो मैंने आफत मोल ले ली। मुझे माफ करो, मैं तुमसे बात नहीं कर सकता। |
आव देखा न ताव | बिना सोच-विचार के काम करना | दोनों भाइयों में झगड़ा हो गया। गुस्से में आकर छोटे भाई ने आव देखा न ताव, डंडे से बड़े भाई का सर फोड़ दिया। |
आहुति देना | जान न्योछावर करना | वीरों ने अपनी जान की परवाह किए बिना देश के लिए हमेशा अपनी आहुति दी है। |
इंद्र की परी | बहुत सुन्दर स्त्री | राधा तो इंद्र की परी है, वह तो विश्व सुन्दरी बनेगी। |
इज्जत उतारना | अपमानित करना | जब चीनी लेकर पैसे नहीं दिए तो दुकानदार ने ग्राहक की इज्जत उतार दी। |
इज्जत मिट्टी में मिलाना | (प्रतिष्ठा या सम्मान नष्ट करना) | रामू की शराब की आदत ने उसके परिवार की इज्जत मिट्टी में मिला दी है। |
इधर-उधर की लगाना/इधर की उधर लगाना | (चुगली करना) | मित्र, इधर-उधर की लगाना छोड़ दो, बुरी बात है। |
इधर-उधर की हाँकना | (बेकार की बातें करना या गप मारना) | वह हमेशा इधर-उधर की हाँकता रहता है, कभी बैठकर पढ़ता नहीं। |
इस कान सुनना, उस कान निकालना | (ध्यान न देना) | उसकी बेकार की बातों को तो मैं इस कान सुनता हूँ, उस कान निकाल देता हूँ। |
इस हाथ देना, उस हाथ लेना | (तुरन्त फल मिलना) | रामदीन तो इस हाथ दे, उस हाथ ले में विश्वास करता है। |
इंद्र का अखाड़ा | (किसी सजी हुई सभा में खूब नाच-रंग होता है) | पहले जमाने में राजा-महाराजाओं के यहाँ इंद्र का अखाड़ा सजता था और आजकल दागी नेताओं के यहाँ। |
इंतकाल होना | (मर जाना) | पिता के इंतकाल के बाद सारे घर की जिम्मेदारी अब फारुख के कंधों पर ही है। |
इशारे पर नाचना | (वश में हो जाना) | जो व्यक्ति अपनी पत्नी के इशारे पर नाचता है वह अपने माँ-बाप की कहाँ सुनेगा। |
ईंट से ईंट बजाना | (युद्धात्मक विनाश लाना)- शुरू में तो हिटलर ने यूरोप में ईट-से-ईट बजा छोड़ी, मगर बाद में खुद उसकी ईंटे बजनी लगी। | शुरू में तो हिटलर ने यूरोप में ईट-से-ईट बजा छोड़ी, मगर बाद में खुद उसकी ईंटे बजनी लगी। |
ईंट का जबाब पत्थर से देना | (जबरदस्त बदला लेना) | भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा। |
ईद का चाँद होना | (बहुत दिनों बाद दिखाई देना) | तुम तो कभी दिखाई ही नहीं देते, तुम्हे देखने को तरस गया, ऐसा लगता है कि तुम ईद के चाँद हो गए हो। |
ईमान बेचना | (बेईमानी करना) | मित्र, ईमान बेचने से कुछ नहीं होगा, परिश्रम करके खाओ। |
उड़ती चिड़िया को पहचानना | मन या रहस्य की बात तुरंत जानना | कोई मुझे धोखा नही दे सकता। मैं उड़ती चिड़िया पहचान लेता हूँ। |
उन्नीस-बीस का अंतर होना | थोड़ा-सा अन्तर | रामू और मोहन की सूरत में बस उन्नीस-बीस का अन्तर है। |
उलटी गंगा बहाना | अनहोनी या लीक से हटकर बात करना | अमित हमेशा उल्टी गंगा बहाता है – कह रहा था कि वह हाथों के बल चलकर स्कूल जाएगा। |
उँगली उठाना | बदनाम करना या दोषारोपण करना | किसी पर खाहमखाह उँगली उठाना गलत है। |
उँगली पकड़कर पौंहचा पकड़ना | थोड़ा-सा सहारा या मदद पाकर ज्यादा की कोशिश करना | उस भिखारी को मैंने एक रुपया दे दिया तो वह पाँच रुपए और माँगने लगा। तब मैंने उससे कहा – अरे भाई, तुम तो उँगली पकड़कर पौंहचा पकड़ रहे हो। |
उड़ जाना | खर्च हो जाना | अरे मित्र, महीना पूरा होने से पहले ही सारा वेतन उड़ जाता है। |
उड़ती खबर | अफवाह | मित्र, ये तो उड़ती खबर है। प्रधानमंत्री को कुछ नहीं हुआ। |
उड़न-छू हो जाना | गायब हो जाना | जो भी हाथ लगा, चोर वही लेकर उड़न-छूहो गया। |
उधेड़बुन में पड़ना या रहना | फिक्र या चिन्ता करना | रामू को जब देखो, पैसों की उधेड़बुन में लगा रहता है। |
उबल पड़ना | एकाएक क्रोधित होना | दादी माँ से सब बच्चे डरते है, पता नहीं वे कब उबल पड़ें। |
उल्टी माला फेरना | बुराई या अनिष्ट चाहना | जब आयुष को रमेश ने चाँटा मारा तो वह उल्टी माला फेरने लगा। |
उल्टी-सीधी जड़ना | झूठी शिकायत करना | उल्टी-सीधी जड़ना तो माया की आदत है। |
उल्टी-सीधी सुनाना | डाँटना-फटकारना | जब माला ने दादी का कहना नहीं माना तो वे उसे उल्टी-सीधी सुनाने लगीं। |
उल्टे छुरे से मूँड़ना | ठगना | प्रयाग में पण्डे और रिक्शा वाले गरीब ग्रामीणों को उल्टे छुरे से मूँड़ देते है। |
उल्टे पाँव लौटना | बिना रुके, तुरंत वापस लौट जाना | मनीष के घर पर ताला लगा था, इसलिए मैं उलटे पाँव लौट आया। |
उल्लू बनाना | बेवकूफ बनाना | कल एक साधु, ममता को उल्लू बनाकर उससे रुपए ले गया। |
उल्लू सीधा करना | अपना स्वार्थ सिद्ध करना | मुझे ज्ञात है, तुम यहाँ अपना उल्लू सीधा करने आए हो। |
उँगलियों पर नचाना | वश में करना | इब्राहीम की पत्नी तो उसे अपनी उँगलियों पर नचाती है। |
उगल देना | भेद प्रकट कर देना | जब पुलिस के डंडे पड़े तो उस चोर ने सब कुछ सच-सच उगल दिया। |
उठ जाना | मर जाना | जो भले लोग होते है, उनके उठ जाने के बाद भी दुनिया उन्हें याद करती है। |
उल्टे मुँह गिरना | दूसरे को नीचा दिखाने के प्रयास में स्वयं नीचा देखना | दूसरों को धोखा मत दो। किसी दिन सेर को सवा सेर मिल गया तो उलटे मुँह गिरोगे। |
उल्लू बोलना | वीरान स्थान होना | जब पुलिस उस घर में घुसी तो वहाँ कोई नहीं था, उल्लू बोल रहे थे। |
उल्लू का पट्ठा | निपट मूर्ख | उस उल्लू के पट्ठे को इतना समझाया कि दूसरों से पंगा न ले लेकिन उस समय उसने मेरी एक न सुनी। अब जब उलटे मुँह गिरा तो अक्ल आई। |
ऊँच-नीच समझाना | भलाई-बुराई के बारे में बताना | माँ ने पुत्री ममता को ऊँच-नीच समझाकर ही पिकनिक पर जाने दिया। |
ऊँट के गले में बिल्ली बाँधना | बेमेल काम करना | कम उम्र की लड़की का अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ विवाह करना ऊँट के गले में बिल्ली बाँधना है। |
ऊँट के मुँह में जीरा | अधिक आवश्यकता वाले के लिए थोड़ा सामान | पेटू रामदीन के लिए दो रोटी तो ऊँट के मुँह में जीरा है। |
ऊल-जलूल बकना | अंट-शंट बोलना | वह तो यूँ ही ऊल-जलूल बकता रहता है, उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं देता। |
ऊसर में बीज बोना या डालना | व्यर्थ कार्य करना | मैंने कौशिक से कहा कि अपने घर में दुकान खोलना तो ऊसर में बीज डालना है, कोई और स्थान देखो। |
ऊँचा सुनना | कुछ बहरा होना | जरा जोर से बोलिए, मेरे पिताजी थोड़ा ऊँचा सुनते है। |
ऊँच-नीच समझना | भलाई-बुराई की समझ होना | दूसरों को राय देने से पहले तुम्हें ऊँच-नीच समझ लेनी चाहिए। |
ऊपर की आमदनी | नियमित स्रोत से न होने वाली आय | पुलिस की नौकरी में तनख्वाह भले ही कम हो पर ऊपर की आमदनी का तो कोई हिसाब ही नहीं है। |
ऊपरी मन से कहना/करना | दिखावे के लिए कहना/करना | वह हमेशा ऊपरी मन से खाना खाने के लिए पूछती थी और मैं हमेशा मना कर देता था। |
एक आँख से सबको देखना | सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना | अध्यापक विद्यालय में सब बच्चों को एक आँख से देखते है। |
एक लाठी से सबको हाँकना | उचित-अनुचित का बिना विचार किये व्यवहार | समानता का अर्थ एक लाठी से सबको हाँकना नहीं है, बल्कि सबको समान अवसर और जीवन-मूल्य देना है। |
एक आँख न भाना | बिल्कुल अच्छा न लगना | राजेश का खाली बैठना उसके पिताजी को एक आँख नहीं भाता। |
एँड़ी-चोटी का पसीना एक करना | खूब परिश्रम करना | दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए सीमा ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। |
एक और एक ग्यारह होना | आपस में संगठित होकर शक्तिशाली होना | राजू और रामू पुनः मित्रता करके एक और एक ग्यारह हो गए है। |
एक तीर से दो शिकार करना | एक साधन से दो काम करना | रवि एक तीर से दो शिकार करने में माहिर है। |
एक से इक्कीस होना | उन्नति करना | सेठ जी की दुकान चल पड़ी है, अब तो शीघ्र ही एक से इक्कीस हो जाएँगे। |
एक ही थैली के चट्टे-बट्टे | एक जैसे स्वभाव के लोग | उस कक्षा में तो सब बच्चे एक ही थैली के चट्टे-बट्टे है- सबके सब ऊधम मचाने वाले। |
एक ही नाव में सवार होना | एक जैसी परिस्थिति में होना | देखते है आतंकवादी क्या करते है – इस होटल में हम सब एक ही नाव में सवार है। अब जो होगा, सबके साथ होगा। |
एड़ियाँ घिसना या रगड़ना | बहुत दिनों से बीमार या परेशान होना | रामू एक महीने से एड़ियाँ घिस रहा है, फिर भी उसे नौकरी नहीं मिली। |
ऐरा-गैरा नत्थू खैरा | मामूली व्यक्ति | सेठजी ऐरे-गैरे नत्थू खैरे से बात नहीं करते। |
ऐरे-गैरे पंच कल्याण | मुफ्तखोर आदमी | स्टेशन पर ऐरे-गैरे पंच कल्याण बहुत मिल जाते है। |
ऐसा-वैसा | साधारण, तुच्छ | राजू ऐसा-वैसा नहीं है, वह लखपति है और वकील भी है। |
ऐंठना (किसी पर) | अकड़ना, क्रोध करना | मुझ पर मत ऐंठना, मैं किसी की ऐंठ बर्दाश्त नहीं कर सकता। |
ऐसी की तैसी करना/होना | अपमान करना/होना | वह गया तो था मदन को धमकाने पर उलटे ऐसी की तैसी करा के लौट आया। |
ओखली में सिर देना | जान-बूझकर परेशानी में फँसना | कल बदमाशों से उलझकर केशव ने ओखली में सिर दे दिया। |
ओर छोर न मिलना | रहस्य का पता न चलना | रोहन विचित्र आदमी है, उसकी योजनाओं का कुछ ओर-छोर नहीं मिलता। |
औंधी खोपड़ी | उल्टी बुद्धि | मुन्ना तो औंधी खोपड़ी का है, उससे क्या बात करना। |
औंधे मुँह गिरना | बुरी तरह धोखा खाना | साझेदारी में काम करके रामू औंधे मुँह गिरा है। |
औने के पौने करना | खरीद-फरोख्त में पैसे बचाना या चुराना | अभिषेक बहुत सीधा लड़का है, वह औने-पौने करना नहीं जानता। |
औने-पौने निकालना या बेचना | कोई वस्तु बहुत कम पैसों में बेचना | वह अपना मकान औने-पौने में निकाल रहा है, पर कोई ग्राहक नहीं मिल रहा। |
और का और होना | विशिष्ट परिवर्तन होना | घर में सौतेली माँ के आते ही अनिल के पिताजी और के और हो गए। |
कागजी घोड़े दौड़ाना | केवल लिखा-पढ़ी करना, पर कुछ काम की बात न होना | आजकल सरकारी दफ्तर में सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ते है, होता कुछ नही। |
कान देना | ध्यान देना | पिता की बातों पर ध्यान दिया करो। |
कान खोलना | सावधान होना | कान खोलकर सुन लो तुम्हें जुआ नही खेलना है। |
कान पकड़ना | बाज आना | कान पकड़ो की फिर ऐसा काम न करोगे। |
कमर कसना | तैयार होना | शत्रुओं से लड़ने के लिए भारतीयों को कमर कसकर तैयार हो जाना चाहिए। |
कलेजा मुँह का आना | भयभीत होना | गुंडे को देख कर उसका कलेजा मुँह को आ गया। |
कलेजे पर साँप लोटना | डाह करना | जो सब तरह से भरा पूरा है, दूसरे की उत्रति पर उसके कलेजे पर साँप क्यों लोटे। |
कमर टूटना | बेसहारा होना | जवान बेटे के मर जाने बाप की कमर ही टूट गई। |
किताब का कीड़ा होना | पढाई के अलावा कुछ न करना | विद्यार्थी को केवल किताब का कीड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि स्वस्थ शरीर और उन्नत मस्तिष्क वाला होनहार युवक होना है। |
कलम तोड़ना | बढ़िया लिखना | वाह! क्या अच्छा लिखा है। तुमने तो कलम तोड़ दी। |
कोसों दूर भागना | बहुत अलग रहना | शराब की क्या बात, मै तो भाँग से कोसों दूर भागता हूँ। |
कुआँ खोदना | हानि पहुँचाने के यत्न करना | जो दूसरों के लिये कुआँ खोदता है, उसमें वह खुद गिरता है। |
कल पड़ना | चैन मिलना | कल रात वर्षा हुई, तो थोड़ी कल पड़ी। |
किरकिरा होना | विघ्न आना | जलसे में उनके शरीक न होने से सारा मजा किरकिरा हो गया। |
किस मर्ज की दवा | किस काम के | चाहते हो चपरासीगीरी और साइकिल चलाओगे नहीं। आखिर तुम किस मर्ज की दवा हो? |
कुत्ते की मौत मरना | बुरी तरह मरना | कंस की किस्मत ही ऐसी थी। कुत्ते की मौत मरा तो क्या। |
काँटा निकलना | बाधा दूर होना | उस बेईमान से पल्ला छूटा। चलो, काँटा निकला। |
कागज काला करना | बिना मतलब कुछ लिखना | वारिसशाह ने अपनी ‘हीर’ के शुरू में ही प्रार्थना की है- रहस्य की बात लिखने वालों का साथ दो, कागज काला करने वालों का नहीं। |
किस खेत की मूली | अधिकारहीन, शक्तिहीन | मेरे सामने तो बड़ों-बड़ों को झुकना पड़ा है। तुम किस खेत की मूली हो ? |
कंठ का हार होना | बहुत प्रिय होना | राजू अपनी दादी का कंठ का हार है, वह उसका बहुत ख्याल रखती है। |
कंपकंपी छूटना | डर से शरीर काँपना | ताज होटल में आतंकवादियों को देखकर मेरी कंपकंपी छूट गई। |
ककड़ी-खीरा समझना | तुच्छ या बेकार समझना | क्या तुमने मुझे ककड़ी-खीरा समझ रखा है, जो हर समय डाँटते रहते हो। |
कचूमर निकालना | खूब पीटना | बस में लोगों ने जेबकतरे का कचूमर निकाल दिया। |
कच्ची गोली खेलना | अनाड़ीपन दिखाना | मैंने कोई कच्ची गोली नहीं खेली है, जो मैं तुम्हारे कहने से नौकरी छोड़ दूँगा। |
कटकर रह जाना | बहुत लज्जित होना | जब मैंने राजू से सबके सामने उधार के पैसे माँगे तो वह कटकर रह गया। |
कड़वा घूँट पीना | चुपचाप अपमान सहना | पड़ोसी की जली-कटी सुनकर रामलाल कड़वा घूँट पीकर रह गए। |
कढ़ी का-सा उबाल आना | जोश या क्रोध जल्दी खत्म हो जाना | किशन का क्रोध तो कढ़ी का-सा उबाल है, जल्दी शान्त हो जाएगा। |
कतरनी-सी जबान चलना | बहुत बोलना, अधिकांशत : उल्टा-सीधा बोलना | अनुपम की कतरनी सी जबान चलती है, तभी उससे कोई नहीं बोलता। |
कदम उखड़ना | अपनी हार मान लेना या भाग जाना | पुलिस का सायरन सुनते ही चोरों के कदम उखड़ गए। |
कदम पर कदम रखना | अनुकरण करना | महापुरुषों के कदम पर कदम रखना अच्छी आदत है। |
कफ़न को कौड़ी न होना | बहुत गरीब होना | राजू बातें तो राजाओं की-सी करता है, पर कफ़न को कौड़ी नहीं है। |
कफ़न सिर से बाँधना | लड़ने-मरने के लिए तैयार होना | हमारे सैनिक सिर से कफ़न बाँधकर ही देश की रक्षा करते है। |
कबाब में हड्डी होना | सुख-शांति में बाधा होना | देखो मित्र, तुम दोनों बात करो, मैं यहाँ बैठकर कबाब में हड्डी नहीं बनूँगा। |
कबाब होना | क्रोध या ईर्ष्या से जलना | मेरी सच्ची बात सुनकर राकेश कबाब हो गया। |
कब्र में पाँव लटकना | मौत के निकट होना | सक्सेना जी के तो कब्र में पाँव लटक रहे है, अब वे लम्बी यात्रा नहीं कर सकते। |
कमर सीधी करना | आराम करना, लेटना | मैं अभी चलता हूँ, जरा कमर सीधी कर लूँ। |
कमान से तीर निकलना या छूटना | मुँह से बात निकलना | मित्र, कमान से तीर निकल गया है, अब मैं बात से पीछे नहीं हटूँगा। |
कल न पड़ना | चैन न पड़ना या बेचैन रहना) | जब तक दसवीं का परिणाम नहीं आएगा, मुझे कल नहीं पड़ेगी। |
कलई खुलना | भेद प्रकट होना | जब सबके सामने रामू की कलई खुल गई तो वह बहुत लज्जित हुआ। |
कलई खोलना | भेद खोलना या भण्डाफोड़ करना | राजू मुझे धमका रहा था कि यदि मैंने उसकी बात नहीं मानी तो वह मेरी कलई खोल देगा। |
कलेजा काँपना | बहुत भयभीत होना | आतंकवाद के नाम से ही रामू का कलेजा काँप जाता है। |
कलेजा टुकड़े-टुकड़े होना | बहुत दुःखी होना | उसकी कटु बातें सुनकर आज मेरा कलेजा टुकड़े-टुकड़े हो गया। |
कलेजा ठण्डा होना | सुख-संतोष मिलना | जब रवि की नौकरी लग गई, तब उसकी माँ का कलेजा ठंडा हुआ। |
कलेजा दूना होना | उत्साह और जोश बढ़ना | अपने उत्तीर्ण होने का समाचार पाकर उसका कलेजा दूना हो गया। |
कलेजा पत्थर का करना | कठोर या निर्दयी बनना | उसने कलेजा पत्थर का करके अपने पुत्र को विदेश भेजा। |
कलेजा पसीजना | दया आना | उसका विलाप सुनकर सबका कलेजा पसीज गया। |
कलेजा फटना | बहुत दुःख होना | उस हृदय-विदारक दुर्घटना से मेरा तो कलेजा फट गया। |
कलेजे का टुकड़ा | अत्यन्त प्यारा या पुत्र | रामू तो अपनी दादी का कलेजे का टुकड़ा हैं। |
कलेजे पर छुरी चलना | बातें चुभना) | उसकी बातों से कलेजे पर छुरियाँ चलती है। |
कलेजे पर पत्थर रखना | जी कड़ा करना | ममता ने अपने कलेजे पर पत्थर रखकर अपनी पुत्री को विदा किया। |
कलेजे में आग लगना | ईर्ष्या होना | अपने पड़ोसी की ख़ुशी देखकर शीतल के कलेजे में आग लग गई। |
कसक निकलना | बदला लेना या बैर चुकाना | वह मुझसे अपनी कसक निकालकर ही शान्त हुआ। |
कसाई के खूँटे से बाँधना | निर्दयी या क्रूर मनुष्य के हाथों में देना | उसने खुद अपनी बेटी को कसाई के खूँटे से बाँध दिया है। अब कोई क्या करेगा? |
कहर टूटना | भारी विपत्ति या मुसीबत पड़ना | बाढ़ से फसल नष्ट होने पर रामू पर कहर टूट पड़ा। |
कहानी समाप्त होना | मर जाना | थोड़ा बीमार होने के बाद उसकी कहानी समाप्त हो गई। |
काँटे बोना | अनिष्ट करना | जो काँटे बोता है, उसे काँटे ही मिलते है। |
काँटों पर लोटना | बेचैन होना | नौकरी छूटने के बाद राजू काँटों पर लोट रहा है। |
काँव-काँव करना | खाहमखाह शोर करना | ये गाँव है, यहाँ ठीक से रहो, वर्ना सारा गाँव काँव-काँव करने लगेगा। |
कागज की नाव | न टिकने वाली वस्तु | हमें अपने शरीर पर गर्व नहीं करना चाहिए, ये तो कागज की नाव है। |
काजल की कोठरी | कलंक का स्थान | शराबघर तो काजल की कोठरी है, वहाँ मैं नहीं जाऊँगा। |
काटो तो खून नहीं | स्तब्ध रह जाना | उसे काटो तो खून नहीं, अचानक अध्यापक जो आ गए थे। |
काठ का उल्लू | महामूर्ख व्यक्ति | रामू तो काठ का उल्लू है। उसकी समझ में कुछ नहीं आता। |
काठ मार जाना | सुन्न या स्तब्ध रह जाना | यह सुनकर मुझे तो काठ मार गया कि मेरा मित्र शहर छोड़कर चला गया। |
काठ में पाँव देना | जान-बूझकर विपत्ति में पड़ना | तुलसी गाय-बजाय के देत काठ में पाँय। |
कान का कच्चा | बिना सोचे-समझे दूसरों की बातों में आना | वह तो कान का कच्चा है, जो कहोगे वही मान लेगा। |
कान काटना | चालाकी या धूर्तता में आगे होना | वह ऑफिस में अभी नया आया है, फिर भी सबके कान काटता है। |
कान खाना | किसी बात को बार-बार कहना | अरे मित्र! कान मत खाओ, अब चुप भी हो जाओ। |
कान गर्म करना | दण्ड देना | जब रामू ने अध्यापक का कहना नहीं माना तो उन्होंने उसके कान गर्म कर दिए। |
कान या कानों पर जूँ न रेंगना | किसी की बात पर ध्यान न देना | मैं चीख-चीख कर हार गया, पर मोहन के कान पर जूँ नहीं रेंगा। |
कान फूँकना या कान भरना | किसी के विरुद्ध कोई बात कहना | रमा कान फूँकने में सबसे आगे है, इसलिए मैं उससे मन की बात नहीं करता। |
कान में रुई डालकर बैठना | बेखबर या लापरवाह होना, किसी की बात न सुनना | अरे रामू! कान में रुई डाल कर बैठे हो क्या? मैं कब से आवाज लगा रहा हूँ। |
कानाफूसी करना | निन्दा करना | अरे भाई! क्या कानाफूसी कर रहे हो? हमारे आते ही चुप हो गए। |
कानी कौड़ी न होना | जेब में एक पैसा न होना | अरे मित्र! तुम सौ रुपए माँग रहे हो, पर मेरी जेब में तो कानी कौड़ी भी नहीं है। |
कानोंकान खबर न होना | चुपके-चुपके कार्य करना | प्रधानाध्यापक ने सभी अध्यापकों से कहा कि परीक्षा-प्रश्नपत्र आ गए है, किसी को इसकी कानोंकान खबर न हो। |
काफूर हो जाना | गायब हो जाना | पुलिस को देखते ही वह शराबी न जाने कहाँ काफूर हो गया। |
काम तमाम करना | किसी को मार डालना | लुटेरों ने कल रामू का काम तमाम कर दिया। |
कायापलट होना | पूर्णरूप से बदल जाना | इस साल प्रधानाध्यापक ने विद्यालय की कायापलट कर दी है। |
काल के गाल में जाना | मरना | इस वर्ष बिहार में सैकड़ों लोग काल के गाल में चले गए। |
कालिख पोतना | कलंकित करना | ओम ने चोरी करके अपने परिवार पर कालिख पोत दी है। |
काले कोसों जाना या होना | बहुत दूर जाना या बहुत दूर होना | रामू नौकरी के लिए घर छोड़कर काले कोसों चला गया है। |
किला फतह करना | बहुत कठिन कार्य करना | रामू ने बारहवीं पास करके किला फतह कर लिया है। |
किसी के कंधे से बंदूक चलाना | किसी पर निर्भर होकर कार्य करना | अरे मित्र! किसी के कंधे से बंदूक क्यों चलाते हो, आत्मनिर्भर बनो। |
किसी के आगे दुम हिलाना | खुशामद करना | रामू मेरा मित्र है, वह मुझ पर मरता है अथवा वह मुझ पर जान छिड़कता है। |
कीचड़ उछालना | किसी को बदनाम करना | बेवजह किसी पर कीचड़ उछालना ठीक नहीं होता। |
कीड़े काटना | परेशानी होना | मात्र 5 मिनट पढ़ने के बाद रमा को कीड़े काटने लगते है। |
कीड़े पड़ना | कमी या दोष होना | मेरे सेबों में क्या कीड़े पड़े है, जो आप नहीं खरीदते? |
कुएँ का मेंढक | जिसे बहुत कम अनुभव हो | पवन तो कुएँ का मेंढक है – यह सब जानते है। |
कुएँ में कूदना | संकट या खतरे का काम करना | इस मोहल्ले के सरपंच की गवाही देकर वह कुएँ में कूद गया है। अब देखो, क्या होता है? |
कुएँ में बाँस डालना | बहुत खोजना | ओसामा बिन लादेन के लिए अमेरिका द्वारा कुओं में बाँस डाले गए, पर उसका कहीं पता नहीं चला। |
कुत्ता काटना | पागल होना | मुझे क्या कुत्ते ने काटा है, जो इतनी रात वहाँ जाऊँगा। |
कुत्ते की नींद सोना | अचेत होकर सोना/कम सोना | कुत्ते जैसी नींद अथवा कुत्ते की नींद सोने वाले विद्यार्थी निश्चय ही सफल होते है। |
कुल्हिया में गुड़ फोड़ना | कोई कार्य छिपाकर करना | मित्र, तुम कितना भी कुल्हिया में गुड़ फोड़ लो, पर सबको ज्ञात हो गया है कि तुम्हारी लॉटरी खुल गई है। |
कोढ़ में खाज होना | संकट पर संकट होना | रामू को तो कोढ़ में खाज हो गई है- पहले वह फेल हो गया, फिर बीमार पड़ गया। |
कोर-कसर न रखना | जी-तोड़ प्रयास करना | मैंने पढ़ने में अपनी ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है, आगे ईश्वर की इच्छा है। |
कोरा जवाब देना | साफ इनकार करना | मैंने मामाजी से पैसे उधार माँगे तो उन्होंने मुझे कोरा जवाब दे दिया। |
कोल्हू का बैल | अत्यधिक परिश्रमी व्यक्ति | धीरू चौबीस घण्टे काम करता है, वह तो कोल्हू का बैल है। |
कौड़ियों के मोल बिकना | बहुत सस्ता बिकना | आजकल मकान कौड़ियों के मोल बिक रहे है। |
कौड़ी कफ़न को न होना | बहुत गरीब होना | उसके पास कौड़ी कफ़न को नहीं है और बातें लाखों की करता है। |
कौड़ी के तीन-तीन होना | बहुत सस्ता होना | आजकल तो कलर टेलीविज़न कौड़ी के तीन-तीन है। अब नहीं लोगे, तो कब लोगे? |
कौड़ी को न पूछना | बहुत तुच्छ समझना | यह बिल्कुल सच है- गरीब आदमी को कोई कौड़ी को भी नहीं पूछता। |
कौड़ी-कौड़ी दाँतों से पकड़ना | बहुत कंजूस होना | रामू इतना अमीर है, फिर भी कौड़ी-कौड़ी दाँतों से पकड़ता है। |
क्रोध पी जाना | क्रोध को दबाना | रामू ने मुझे बहुत अपशब्द कहे, परन्तु उस समय मैं अपना क्रोध पी गया, वरना उससे झगड़ा हो जाता। |
कंचन बरसना | लाभ ही लाभ होना | सेठजी पर लक्ष्मी की असीम कृपा है, चारों और कंचन बरस रहा है। |
कन्नी काटना | आँख बचाकर भाग जाना | मेरा कर्ज न लौटना पड़े, इसलिए वह आजकल मुझसे कन्नी काटता फिरता है। |
कच्चा खा जाना | कठोर दंड देना | अगर उसके सामने झूठ बोला, तो वह तुम्हें कच्चा खा जाएगी। |
कच्चा चिट्ठा खोलना | गुप्त बातों का उद्घाटन करना | यदि तुमने मेरी बात न मानी तो सारी दुनिया के सामने तुम्हारा कच्चा चिट्ठा खोल दूँगा। |
कानून छाँटना | निरर्थक तर्क उपस्थित करना | मेरे सामने ज्यादा कानून मत छाँटो, मेरा काम कर सकते हो कर दो। |
किस्मत की धनी | भाग्यशाली | मेरा दोस्त सचमुच में किस्मत का धनी है पहले ही प्रयास में उसे नौकरी मिल गई। |
कूप मंडूक | सीमित ज्ञान वाला व्यक्ति | रोहन तो कूप मंडूक है। उससे पढ़ाई-लिखाई की बात करना व्यर्थ है। |
कान पकना | एक ही बात सुनते-सुनते तंग आ जाना | तुम्हारी बकवास सुनते-सुनते तो मेरे कान पक गए। अब बंद करो अपनी रामकथा। |
काले पानी की सजा देना | देश निकाले का दंड देना | देश के साथ गद्दारी करने वालों को तो काले पानी की सजा होनी चाहिए। |
केंचुल बदलना | व्यवहार बदलना | पहले तो मुझसे वह ठीक से बात करती थी पर अब न जाने क्यों उसने केंचुल बदल ली है। |
कोठे पर बैठना | वेश्या का पेशा करना | वह बहुत बड़ा गुंडा है न जाने कितनी मासूम लड़कियों को कोठे पर बिठा चुका है। |
क्या से क्या हो जाना | स्थिति बदल जाना | क्या से क्या हो गया? सोचा कुछ था हो कुछ गया। |
क्या पड़ी है | कुछ जरूरत नहीं | तुमको क्या पड़ी है, जो दूसरों के मामले में टाँग फँसाते हो। |
ख़ाक छानना | भटकना | नौकरी की खोज में वह खाक छानता रहा। |
खून-पसीना एक करना | अधिक परिश्रम करना | खून पसीना एक करके विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होते है। |
खरी-खोटी सुनाना | भला-बुरा कहना | कितनी खरी-खोटी सुना चुका हूँ, मगर बेकहा माने तब तो? |
खून खौलना | क्रोधित होना | झूठ बातें सुनते ही मेरा खून खौलने लगता है। |
खून का प्यासा | जानी दुश्मन होना | उसकी क्या बात कर रहे हो, वह तो मेरे खून का प्यासा हो गया है। |
खेत रहना या आना | वीरगति पाना | पानीपत की तीसरी लड़ाई में इतने मराठे आये कि मराठा-भूमि जवानों से खाली हो गई। |
खटाई में पड़ना | झमेले में पड़ना, रुक जाना | बात तय थी, लेकिन ऐन मौके पर उसके मुकर जाने से सारा काम खटाई में पड़ गया। |
खेल खेलाना | परेशान करना | खेल खेलाना छोड़ो और साफ-साफ कहो कि तुम्हारा इरादा क्या है। |
खटाई में डालना | किसी काम को लटकाना | उसने तो मेरा काम खटाई में डाल दिया। अब किसी और से कराना पड़ेगा। |
खबर लेना | सजा देना या किसी के विरुद्ध कार्यवाई करना | उसने मेरा काम करने से इनकार किया है, मुझे उसकी खबर लेनी पड़ेगी। |
खाई से निकलकर खंदक में कूदना | एक परेशानी या मुसीबत से निकलकर दूसरी में जाना | मुझे ज्ञात नहीं था कि मैं खाई से निकलकर खंदक में कूदने जा रहा हूँ। |
खाक फाँकना | मारा-मारा फिरना | पहले तो उसने नौकरी छोड़ दी, अब नौकरी की तलाश में खाक फाँक रहा है। |
खाक में मिलना | सब कुछ नष्ट हो जाना | बाढ़ आने पर उसका सब कुछ खाक में मिल गया। |
खाना न पचना | बेचैन या परेशान होना | जब तक श्यामा अपने मन की बात मुझे बताएगी नहीं, उसका खाना नहीं पचेगा। |
खा-पी डालना | खर्च कर डालना | उसने अपना पूरा वेतन यार-दोस्तों में खा-पी डाला, अब उधार माँग रहा है। |
खाने को दौड़ना | बहुत क्रोध में होना | मैं अपने ताऊजी के पास नहीं जाऊँगा, वे तो हर किसी को खाने को दौड़ते है। |
खार खाना | ईर्ष्या करना | वह तो मुझसे खार खाए बैठा है, वह मेरा काम नहीं करेगा। |
खिचड़ी पकाना | गुप्त बात या कोई षड्यंत्र करना | छात्रों को खिचड़ी पकाते देख अध्यापक ने उन्हें डाँट दिया। |
खीरे-ककड़ी की तरह काटना | अंधाधुंध मारना-काटना | 1857 की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को खीरे-ककड़ी की तरह काट दिया था। |
खुदा-खुदा करके | बहुत मुश्किल से | रामू खुदा-खुदा करके दसवीं में उत्तीर्ण हुआ है। |
खुशामदी टट्टू | खुशामद करने वाला | वह तो खुशामदी टट्टू है, खुशामद करके अपना काम निकाल लेता है। |
खूँटा गाड़ना | रहने का स्थान निर्धारित करना | उसने तो यहीं पर खूँटा गाड़ लिया है, लगता है जीवन भर यहीं रहेगा। |
खून-पसीना एक करना | बहुत कठिन परिश्रम करना | रामू खून-पसीना एक करके दो पैसे कमाता है। |
खून के आँसू रुलाना | बहुत सताना या परेशान करना | रामू कलियुगी पुत्र है, वह अपने माता-पिता को खून के आँसू रुला रहा है। |
खून के आँसू रोना | बहुत दुःखी या परेशान होना | व्यापार में घाटा होने पर सेठजी खून के आँसू रो रहे है। |
खून-खच्चर होना | बहुत मारपीट या झगड़ा होना | सुबह-सुबह दोनों भाइयों में खून-खच्चर हो गया। |
खून सवार होना | बहुत क्रोध आना | उसके ऊपर खून सवार है, आज वह कुछ भी कर सकता है। |
खून पीना | शोषण करना | सेठ रामलाल जी अपने कर्मचारियों का बहुत खून चूसते है। |
ख्याली पुलाव पकाना | असंभव बातें करना | अरे भाई! ख्याली पुलाव पकाने से कुछ नहीं होगा, कुछ काम करो। |
खून ठण्डा होना | उत्साह से रहित होना या भयभीत होना | आतंकवादियों को देखकर मेरा तो खून ठण्डा पड़ गया। |
खेल बिगड़ना | काम बिगड़ना | अगर पिताजी ने साथ नहीं दिया तो हमारा सारा खेल बिगड़ जाएगा। |
खेल बिगाड़ना | काम बिगाड़ना | यदि हमने मोहन की बात नहीं मानी तो वह बना-बनाया खेल बिगाड़ देगा। |
खोटा पैसा | अयोग्य पुत्र | कभी-कभी खोटा पैसा भी काम आ जाता है। |
खोपड़ी खाना या खोपड़ी चाटना | बहुत बातें करके परेशान करना | अरे भाई! मेरी खोपड़ी मत खाओ, जाओ यहाँ से। |
खोपड़ी खाली होना | श्रम करके दिमाग का थक जाना | उसे पढ़ाकर तो मेरी खोपड़ी खाली हो गई, फिर भी उसे कुछ समझ नहीं आया। |
खोपड़ी गंजी करना | बहुत मारना-पीटना | लोगों ने मार-मार कर चोर की खोपड़ी गंजी कर दी। |
खोपड़ी पर लादना | किसी के जिम्मे जबरन काम मढ़ना | अधिकतर कर्मचारियों के छुट्टी पर जाने के कारण एक या दो कर्मचारियों की खोपड़ी पर काम लादना पड़ा। |
खोलकर कहना | स्पष्ट कहना | मित्र, जो कहना है, खोलकर कहो, मुझसे कुछ भी मत छिपाओ। |
खोज खबर लेना | समाचार मिलना | मदन के दादा जी घर छोड़कर चले गए। बहुत से लोगों ने उनकी खोज खबर ली तो भी उनका पता नहीं चला। |
खोद-खोद कर पूछना | अनेकानेक प्रश्न पूछना | खोद-खोदकर पूछना बंद करो, मैं इस तरह के सवालों के जबाब नहीं दूँगा। |
गले का हार होना | बहुत प्यारा | लक्ष्मण राम के गले का हर थे। |
गर्दन पर सवार होना | पीछा ना छोड़ना | जब देखो, तुम मेरी गर्दन पर सवार रहते हो। |
गला छूटना | पिंड छोड़ना | उस कंजूस की दोस्ती टूट ही जाती, तो गला छूटता। |
गर्दन पर छुरी चलाना | नुकसान पहुचाना | मुझे पता चल गया कि विरोधियों से मिलकर किस तरह मेरे गले पर छुरी चला रहे थे। |
गड़े मुर्दे उखाड़ना | दबी हुई बात फिर से उभारना | जो हुआ सो हुआ, अब गड़े मुर्दे उखारने से क्या लाभ? |
गागर में सागर भरना | एक रंग-ढंग पर न रहना | उसका क्या भरोसा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है। |
गुल खिलना | नई बात का भेद खुलना, विचित्र बातें होना | सुनते रहिये, देखिये अभी क्या गुल खिलेगा। |
गिरगिट की तरह रंग बदलना | बातें बदलना | गिरगिट की तरह रंग बदलने से तुम्हारी कोई इज्जत नहीं करेगा। |
गाल बजाना | डींग हाँकना | जो करता है, वही जानता है। गाल बजाने वाले क्या जानें? |
गिन-गिनकर पैर रखना | सुस्त चलना, हद से ज्यादा सावधानी बरतना | माना कि थक गये हो, मगर गिन-गिनकर पैर क्या रख रहे हो? शाम के पहले घर पहुँचना है या नहीं? |
गुस्सा पीना | क्रोध दबाना | गुस्सा पीकर रह गया। चाचा का वह मुँहलगा न होता, तो उसकी गत बना छोड़ता। |
गूलर का फूल होना | लापता होना | वह तो ऐसा गूलर का फूल हो गया है कि उसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है। |
गुदड़ी का लाल | गरीब के घर में गुणवान का उत्पत्र होना | अपने वंश में प्रेमचन्द सचमुच गुदड़ी के लाल थे। |
गाँठ में बाँधना | खूब याद रखना | यह बात गाँठ में बाँध लो, तन्दुरुस्ती रही तो सब रहेगा। |
गुड़ गोबर करना | बनाया काम बिगाड़ना | वीरू ने जरा-सा बोलकर सब गुड़-गोबर कर दिया। |
गुरू घंटाल | दुष्टों का नेता या सरदार | अरे भाई, मोनू तो गुरू घंटाल है, उससे बचकर रहना। |
गंगा नहाना | अपना कर्तव्य पूरा करके निश्चिन्त होना | रमेश अपनी बेटी की शादी करके गंगा नहा गए। |
गच्चा खाना | धोखा खाना | रामू गच्चा खा गया, वरना उसका कारोबार चला जाता। |
गजब ढाना | कमाल करना | लता मंगेशकर ने तो गायकी में गजब ढा दिया है। |
गज भर की छाती होना | अत्यधिक साहसी होना | उसकी गज भर की छाती है तभी तो अकेले ने ही चार-चार आतंकवादियों को मार दिया। |
गढ़ फतह करना | कठिन काम करना | आई.ए.एस. पास करके शंकर ने सचमुच गढ़ फतह कर लिया। |
गधा बनाना | मूर्ख बनाना | अप्रैल फूल डे वाले दिन मैंने रामू को खूब गधा बनाया। |
गधे को बाप बनाना | काम निकालने के लिए मूर्ख की खुशामद करना | रामू गधे को बाप बनाना अच्छी तरह जानता है। |
गर्दन ऐंठी रहना | घमंड या अकड़ में रहना | सरकारी नौकरी लगने के बाद तो उसकी गर्दन ऐंठी ही रहती है। |
गर्दन फँसना | झंझट या परेशानी में फँसना | उसे रुपया उधार देकर मेरी तो गर्दन फँस गई है। |
गरम होना | क्रोधित होना | अंजू की दादी जरा-जरा सी बात पर गरम हो जाती है। |
गला काटना | किसी की ठगना | कल अध्यापक ने बताया कि किसी का गला काटना बुरी बात है। |
गला पकड़ना | किसी को जिम्मेदार ठहराना | गलती चाहे किसी की हो, पिताजी मेरा ही गला पकड़ते है। |
गला फँसाना | मुसीबत में फँसाना | अपराध उसने किया है और गला मेरा फँसा दिया है। बहुत चतुर है वो! |
गला फाड़ना | जोर से चिल्लाना | राजू कब से गला फाड़ रहा है कि चाय पिला दो, पर कोई सुनता ही नहीं। |
गले पड़ना | पीछे पड़ना | मैंने उसे एक बार पैसे उधार क्या दे दिए, वह तो गले ही पड़ गया। |
गले पर छुरी चलाना | अत्यधिक हानि पहुँचाना | उसने मुझे नौकरी से बेदखल करा के मेरे गले पर छुरी चला दी। |
गले न उतरना | पसन्द नहीं आना | मुझे उसका काम गले हीं उतरता, वह हर काम उल्टा करता है। |
गाँठ का पूरा, आँख का अंधा | धनी, किन्तु मूर्ख व्यक्ति | सेठ जी गाँठ के पूरे, आँख के अंधे है तभी रामू का कहना मानकर अनाड़ी मोहन को नौकरी पर रख लिया है। |
गाजर-मूली समझना | तुच्छ समझना | मोहन ने कहा कि उसे कोई गाजर-मूली न समझे, वह बहुत कुछ कर सकता है। |
गाढ़ी कमाई | मेहनत की कमाई | ये मेरी गाढ़ी कमाई है, अंधाधुंध खर्च मत करो। |
गाढ़े दिन | संकट का समय | रमेश गाढ़े दिनों में भी खुश रहता है। |
गाल फुलाना | रूठना | अंशु सुबह से ही गाल फुलाकर बैठी हुई है। |
गुजर जाना | मर जाना | मेरे दादाजी तो एक साल पहले ही गुजर गए और तुम आज पूछ रहे हो। |
गुल खिलाना | बखेड़ा खड़ा करना | यह लड़का जरूर कोई गुल खिलाकर आया है तभी चुप बैठा है। |
गुलछर्रे उड़ाना | मौजमस्ती करना | मित्र, परीक्षाएँ नजदीक है और तुम गुलछर्रे उड़ा रहे हो। |
गूँगे का गुड़ | वर्णनातीत अर्थात जिसका वर्णन न किया जा सके | दादाजी कहते है कि ईश्वर के ध्यान में जो आनंद मिलता है, वह तो गूँगे का गुड़ है। |
गोता मारना | गायब या अनुपस्थित होना | अरे मित्र! तुमने दो दिन कहाँ गोता मारा, नजर नहीं आए। |
गोली मारना | त्याग देना या ठुकरा देना | रंजीत ने कहा कि बस को गोली मारो, हम तो पैदल जायेंगे। |
गौं का यार | मतलब का साथी | रमेश तो गौं का यार है, वो बेमतलब तुम्हारा काम नहीं करेगा। |
गोद भरना | संतान होना, विवाह से पूर्व कन्या के आँचल में नारियल आदि सामान देकर विवाह पक्का करना | सुरेश की बहन का गोद भर गई है, अब अगले माह शादी होनी है। |
गोद लेना | दत्तक बनाना, अपना पुत्र न होने पर किसी बच्चे को विधिवत अपना पुत्र बनाना | महिमा दीदी के जब कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने एक बच्चा गोद लिया। |
गोद सूनी होना | संतानहीन होना | जब तुम्हारी गोद सूनी है तो किसी बच्चे को गोद क्यों नहीं ले लेते? |
गोबर गणेश | मूर्ख | वह तो एकदम गोबर गणेश है, उसकी समझ में कुछ नहीं आता। |
गोलमाल करना | काम बिगाड़ना/गड़बड़ करना | मुंशी जी ने सेठ जी का सारे हिसाब-किताब का गोलमाल कर दिया। |
गंगाजली उठाना | हाथ में गंगाजल से भरा पात्र लेकर शपथपूर्वक कहना | मैंने गंगाजली उठा ली तो भी उसे मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ। |
घर का न घाट का | कहीं का नहीं | कोई काम आता नही और न लगन ही है कि कुछ सीखे-पढ़े। ऐसा घर का न घाट का जिये तो कैसे जियें। |
घाव पर नमक छिड़कना | दुःख में दुःख देना | राम वैसे ही दुखी है, तुम उसे परेशान करके घाव पर नमक छिड़क रहे हो। |
घोड़े बेचकर सोना | बेफिक्र होना | बेटी तो ब्याह दी। अब क्या, घोड़े बेचकर सोओ। |
घड़ो पानी पड़ जाना | अत्यन्त लज्जित होना | वह हमेशा फस्ट क्लास लेता था मगर इस बार परीक्षा में चोरी करते समय रँगे हाथ पकड़े जाने पर बच्चू पर घोड़े पड़ गया। |
घी के दीए जलाना | अप्रत्याशित लाभ पर प्रसत्रता | जिससे तुम्हारी बराबर ठनती रही, वह बेचारा कल शाम कूच कर गया। अब क्या है, घी के दीये जलाओ। |
घर बसाना | विवाह करना | उसने घर क्या बसाया, बाहर निकलता ही नहीं। |
घात लगाना | मौका ताकना | वह चोर दरवान इसी दिन के लिए तो घात लगाये था, वर्ना विश्र्वास का ऐसा रँगीला नाटक खेलकर सेठ की तिजोरी-चाबी तक कैसे समझे रहता? |
घाट-घाट का पानी पीना | हर प्रकार का अनुभव होना | मुन्ना घाट-घाट का पानी पिए हुए है, उसे कौन धोखा दे सकता है। |
घर आबाद करना | विवाह करना | देर से ही सही, रामू ने अपना घर आबाद कर लिया। |
घर का उजाला | सुपुत्र अथवा इकलौता पुत्र | सब जानते है कि मोहन अपने घर का उजाला है। |
घर काट खाने दौड़ना | सुनसान घर | घर में कोई नहीं है, इसलिए मुझे घर काट खाने को दौड़ रहा है। |
घर का चिराग गुल होना | पुत्र की मृत्यु होना | यह सुनकर बड़ा दुःख हुआ कि मेरे मित्र के घर का चिराग गुल हो गया। |
घर का बोझ उठाना | घर का खर्च चलाना या देखभाल करना | बचपन में ही अपने पिता के मरने के बाद राकेश घर का बोझ उठा रहा है। |
घर का नाम डुबोना | परिवार या कुल को कलंकित करना | रामू ने चोरी के जुर्म में जेल जाकर घर का नाम डुबो दिया। |
घर घाट एक करना | कठिन परिश्रम करना | नौकरी के लिए संजय ने घर घाट एक कर दिया। |
घर फूँककर तमाशा देखना | अपना घर स्वयं उजाड़ना या अपना नुकसान खुद करना | जुए में सब कुछ बर्बाद करके राजू अब घर फूँक के तमाशा देख रहा है। |
घर में आग लगाना | परिवार में झगड़ा कराना | वह तो सबके घर में आग लगाता फिरता है इसलिए उसे कोई अपने पास नहीं बैठने देता। |
घर में भुंजी भाँग न होना | बहुत गरीब होना | रामू के घर में भुंजी भाँग नहीं है और बातें करता है नवाबों की। |
घाव पर मरहम लगाना | सांत्वना या तसल्ली देना | दादी पहले तो मारती है, फिर घाव पर मरहम लगाती है। |
घाव हरा होना | भूला हुआ दुःख पुनः याद आना | राजा ने अपने मित्र के मरने की खबर सुनी तो उसके अपने घाव हरे हो गए। |
घास खोदना | तुच्छ काम करना | अच्छी नौकरी छोड़ के राजू अब घास खोद रहा है। |
घास न डालना | सहायता न करना या बात तक न करना | मैनेजर बनने के बाद राजू अब मुझे घास नहीं डालता। |
घी-दूध की नदियाँ बहना | समृद्ध होना | श्रीकृष्ण के युग में हमारे देश में घी-दूध की नदियाँ बहती थी। |
घुटने टेकना | हार या पराजय स्वीकार करना | संजू इतनी जल्दी घुटने टेकने वाला नहीं है, वह अंतिम साँस तक प्रयास करेगा। |
घोड़े पर सवार होना | वापस जाने की जल्दी में होना | अरे मित्र, तुम तो सदैव घोड़े पर सवार होकर आते हो, जरा हमारे पास भी बैठो। |
घोलकर पी जाना | कंठस्थ याद करना | रामू दसवीं में गणित को घोलकर पी गया था तब उसके 90 प्रतिशत अंक आए है। |
घनचक्कर | मूर्ख/आवारागर्द | किस घनचक्कर को मेरे पास लाए हो, इसे तो बात करने की भी तमीज नहीं है। |
घपले में पड़ना | किसी काम का खटाई में पड़ना | लोन के कागज पूरे न होने के कारण लोन स्वीकृति का मामला घपले में पड़ गया है। |
घर उजड़ना | गृहस्थी चौपट हो जाना | रामनायक की दुर्घटना में मृत्यु क्या हुई, दो महीने में ही उसका सारा घर उजड़ गया। |
घिग्घी बँध जाना | डर के कारण आवाज न निकलना | वैसे तो रोहन अपनी बहादुरी की बहुत डींगे मारता है पर कल रात एक चोर को देखकर उसकी घिग्घी बँध गई। |
घुट-घुटकर मरना | असहय कष्ट सहते हुए मरना | गरीबों पर अत्याचार करने वाले घुट-घुट कर मरेंगे। |
घुटा हुआ | छँटा हुआ बदमाश | प्रमोद पर विश्वास मत करना एकदम घुटा हुआ है। |
चल बसना | मर जाना | बेचारे का बेटा भरी जवानी में चल बसा। |
चार चाँद लगाना | चौगुनी शोभा देना | निबन्धों में मुहावरों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाता है। |
चिकना घड़ा होना | बेशर्म होना | तुम ऐसा चिकना घड़ा हो तुम्हारे ऊपर कहने सुनने का कोई असर नहीं पड़ता। |
चिराग तले अँधेरा | पण्डित के घर में घोर मूर्खता आचरण | पण्डितजी स्वयं तो बड़े विद्वान है, किन्तु उनके लड़के को चिराग तले अँधेरा ही जानो। |
चैन की बंशी बजाना | मौज करना | आजकल राम चैन की बंशी बजा रहा है। |
चार दिन की चाँदनी | थोड़े दिन का सुख | राजा बलि का सारा बल भी जब चार दिन की चाँदनी ही रहा, तो तुम किस खेत की मूली हो? |
चींटी के पर लगना या जमना | विनाश के लक्षण प्रकट होना | इसे चींटी के पर जमना ही कहेंगे कि अवतारी राम से रावण बुरी तरह पेश आया। |
चूँ न करना | सह जाना, जवाब न देना | वह जीवनभर सारे दुःख सहता रहा, पर चूँ तक न की। |
चादर से बाहर पैर पसारना | आय से अधिक व्यय करना | डेढ़ सौ ही कमाते हो और इतनी खर्चीली लतें पाल रखी है। चादर के बाहर पैर पसारना कौन-सी अक्लमन्दी है? |
चाँद पर थूकना | व्यर्थ निन्दा या सम्माननीय का अनादर करना | जिस भलेमानस ने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा, उसे ही तुम बुरा-भला कह रहे हो ?भला, चाँद पर भी थूका जाता है? |
चूड़ियाँ पहनना | स्त्री की-सी असमर्थता प्रकट करना | इतने अपमान पर भी चुप बैठे हो! चूड़ियाँ तो नहीं पहन रखी है तुमने? |
चहरे पर हवाइयाँ उड़ना | डरना, घबराना | साम्यवाद का नाम सुनते ही पूँजीपतियों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगती है। |
चाँदी काटना | खूब आमदनी करना | कार्यालय में बाबू लोग खूब चाँदी काट रहे है। |
चम्पत हो जाना | भाग जाना | जब काम करने की बारी आई तो राजू चंपत हो गया। |
चकमे में आना | धोखे में पड़ना | किशोर किसी के चकमे में आने वाला नहीं है, वह बहुत समझदार है। |
चकमा देना | धोखा देना | वह बदमाश मुझे धोखा देकर भाग गया। |
चक्कर में आना | फंदे में फँसना | मुझसे गलती हो गई जो मैं उस ठग के चक्कर में फँस गया। |
चना-चबैना | रूखा-सूखा भोजन | आजकल रामू चना-चबैना खाकर गुजारा कर रहा है। |
चपत पड़ना | हानि अथवा नुकसान होना | नया मकान खरीदने में रमेश को 20 हजार की चपत पड़ी। |
चमक उठना | उन्नति करना | रामू ने जीवन में बहुत परिश्रम किया है, अब वह चमक उठा है। |
चमड़ी उधेड़ना या खींचना | बहुत पीटना | राजू, तुमने दुबारा मुँह खोला तो मैं तुम्हारी चमड़ी उधेड़ दूँगा। |
चरणों की धूल | तुच्छ व्यक्ति | हे प्रभु! मैं तो आपके चरणों की धूल हूँ, मुझ पर दया करो। |
चलता पुर्जा | चालाक | रवि चलता पुर्जा है, उससे बचकर रहना ही अच्छा है। |
चस्का लगना | बुरी आदत | धीरू को धूम्रपान का बहुत बुरा चस्का लग गया है। |
चाँद का टुकड़ा | बहुत सुन्दर | रामू का पुत्र तो चाँद का टुकड़ा है, वह उसे प्रतिदिन काला टीका लगाता है। |
चाँदी कटना | खूब लाभ होना | आजकल रामरतन की कारोबार में चाँदी कट रही है। |
चाँदी ही चाँदी होना | खूब धन लाभ होना | अरे मित्र! यदि तुम्हारी ये दुकान चल गई तो चाँदी ही चाँदी हो जाएगी। |
चाँदी का जूता | घूस या रिश्वत | जब रामू ने लाइन में लगे बिना अपना काम करा लिया तो उसने मुझसे कहा- तुम भी चाँदी का जूता मारो और काम करा लो, लाइन में क्यों लगे हो? |
चाट पड़ना | आदत पड़ना | रानी को तो चाट पड़ गई है, वह बार-बार पैसा उधार माँगने आ जाती है। |
चादर देखकर पाँव पसारना | आमदनी के अनुसार खर्च करना | पिताजी ने मुझसे कहा कि आदमी को चादर देखकर पाँव पसारने चाहिए, वरना उसे पछताना पड़ता है। |
चादर के बाहर पैर पसारना | आय से अधिक व्यय करना | जो लोग चादर के बाहर पैर पसारते है हमेशा तंगी का ही अनुभव करते रहते है। |
चार सौ बीस | कपटी एवं धूर्त व्यक्ति | मुन्ना चार सौ बीस है, इसलिए सब उससे दूर रहते है। |
चार-सौ बीसी करना | छल-कपट या धोखा करना | मित्र, तुम मुझसे चार-सौ बीसी मत करना, अन्यथा अच्छा नहीं होगा। |
चिकनी-चुपड़ी बातें | धोखा देने वाली बातें | एक व्यक्ति चिकनी-चुपड़ी बातें करके रामू की माँ को ठग ले गया। |
चिड़िया उड़ जाना | चले जाना या गायब हो जाना | अरे भाई, कब से तुमसे कहा था कि शहद अच्छा है, ले लो। अब तो चिड़िया उड़ गई। जाओ अपने घर। |
चिड़िया फँसाना | किसी को धोखे से अपने वश में करना | जब परदेस में एक आदमी मुझे फुसलाने लगा तो मैंने उससे कहा- अरे भाई, अपना काम करो। ये चिड़िया फँसने वाली नहीं है। |
चिनगारी छोड़ना | लड़ाई-झगड़े वाली बात करना | राजू ने ऐसी चिनगारी छोड़ी कि दो मित्रों में झगड़ा हो गया। |
चिराग लेकर ढूँढना | बहुत छानबीन या तलाश करना | मैंने माँ से कहा कि राजू जैसा मित्र तो चिराग लेकर ढूँढ़ने से भी नहीं मिलेगा, इसलिए मैं उसे अपने घर लाया हूँ। |
चिल्ल-पौं मचना | शोरगुल होना | जब कक्षा में अध्यापक नहीं होते तो चिल्ल-पौं मच जाती है। |
चीं बोलना | हार मान लेना | आज राजू कबड्डी में चीं बोल गया। |
चींटी के पर निकलना | मृत्यु के निकट पहुँचना | रामू ने जब ज्यादा आतंक मचाया तो मैंने कहा- लगता है, अब चींटी के पर निकल आए है। |
चुटकी लेना | हँसी उड़ाना | जब रमेश डींग मारता है तो सभी उसकी चुटकी लेते है। |
चुटिया हाथ में लेना | पूर्ण रूप से नियंत्रण में होना | मित्र, उस बदमाश की चुटिया मेरे हाथ में है। तुम फिक्र मत करो। |
चुल्लू भर पानी में डूब मरना | अत्यन्त लज्जित होना | जब सबके सामने राजू का झूठ पकड़ा गया तो उसके लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात हो गई। |
चूना लगाना | ठगना | कल एक अनजान आदमी गोपाल को 100 रुपए का चूना लगा गया। |
चूहे-बिल्ली का बैर | स्वाभाविक विरोध | राम और मोहन में तो चूहे-बिल्ली का बैर है। दोनों भाई हर समय झगड़ते रहते है। |
चेहरे का रंग उड़ना | निराश होना | जब रानी को परीक्षा में फेल होने की सूचना मिली तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया। |
चेहरा खिलना | खुश होना | जब अमित दसवीं में उत्तीर्ण हो गया तो उसका चेहरा खिल गया। |
चेहरा तमतमाना | बहुत क्रोध आना | जब बच्चे कक्षा में शोर मचाते है तो अध्यापक का चेहरा तमतमा जाता है। |
चैन की वंशी बजाना | सुख से समय बिताना | मेरा मित्र डॉक्टर बनकर चैन की वंशी बजा रहा है। |
चोटी और एड़ी का पसीना एक करना | खूब परिश्रम करना | मुकेश ने नौकरी के लिए चोटी और एड़ी का पसीना एक कर दिया है। |
चोली-दामन का साथ | काफी घनिष्ठता | धीरू और वीरू का चोली-दामन का साथ है। |
चोटी पर पहुँचना | बहुत उन्नति करना | अध्यापक ने कक्षा में कहा कि चोटी पर पहुँचने के लिए व्यक्ति को अथक परिश्रम करना पड़ता है। |
चोला छोड़ना | शरीर त्यागना | गाँधीजी ने चोला छोड़ते समय ‘हे राम’ कहा था। |
चंडू खाने की | निराधार बात | मेरे सामने तुम चंडूखाने की मत सुनाया करो। मुझे तुम्हारी किसी भी बात पर यकीन नहीं है। |
चट कर जाना | सबका सब खा जाना | वह तीन दिन से भूखा था, सारा खाना एकदम चट कर गया। |
चप्पा-चप्पा छान डालना | हर जगह जाकर देख आना | पुलिस ने जंगल का चप्पा-चप्पा छान मारा लेकिन चोरों का सुराग न मिला। |
चरबी चढ़ना | मदांध होना | लॉटरी लगते ही प्रमोद पर चरबी चढ़ गई है, दूसरों को कुछ समझता ही नहीं है। |
चहल-पहल होना | रौनक होना | दिवाली के कारण आज बाजार में बहुत चहल-पहल है। |
चाकरी बजाना | सेवा करना | रामकमल ने अपने अधिकारी की खूब चाकरी बजाई फिर भी उसका प्रमोशन न हो सका। |
चिल्ले का जाड़ा | बहुत भयंकर ठंड | जनवरी माह में दिल्ली में चिल्ले का जाड़ा पड़ता है। अगर इन्हीं दिनों जाना पड़े तो गरम कपड़े लेकर जाना। |
चुगली खाना/लगाना | पीछे-पीछे निंदा करना | जो लोग पीछे-पीछे दूसरों की चुगली लगाते/खाते है उनकी पोल जल्दी ही खुल जाती है। |
चुटकी बजाते-बजाते | चटपट | आपका यह काम तो मैं चुटकी बजाते-बजाते पूरा कर दूँगा, आप चिंता न करें। |
चूँ-चूँ का मुरब्बा | बेमेल चीजों का योग | यह पार्टी तो चूँ-चूँ का मुरब्बा है। न जाने इस पार्टी में कहाँ-कहाँ के लोग शामिल है। |
चूर-चूर कर देना | नष्ट करना | कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान का घमंड चूर-चूर कर दिया था। |
चूल्हा जलना | खाना बनना | रामेश्वर के यहाँ इतनी तंगी है कि दो दिन से घर में चूल्हा तक नहीं जला है। |
चौखट पर माथा टेकना | अनुनय-विनय करना | वैष्णो देवी की चौखट पर जाकर माथा टेको, तभी कष्ट दूर होंगे। |
छक्के छूटना | बुरी तरह पराजित होना | महाराजकुमार विजयनगरम की विकेट-कीपरी में अच्छे-अच्छे बॉलर के छक्के छूट चुके है। |
छप्पर फाडकर देना | बिना मेहनत का अधिक धन पाना | ईश्वर जिसे देता है, उसे छप्पर फाड़कर देता है। |
छाती पर पत्थर रखना | कठोर ह्रदय | उसने छाती पर पत्थर रखकर अपने पुत्र को विदेश भेजा था। |
छाती पर सवार होना | आ जाना | अभी वह बात कर रही थी कि बच्चे उसके छाती पर सवार हो गए। |
छक्के छुड़ाना | हौंसला पस्त करना या हराना | शिवाजी ने युद्ध में मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे। |
छाती पर मूँग या कोदो दलना | किसी को कष्ट देना | राजन के घर रानी दिन-रात उसकी विधवा माँ की छाती पर मूँग दल रही है। |
छाती पर साँप लोटना | ईर्ष्या से हृदय जलना | जब पड़ोसी ने नई कार ली तो शेखर की छाती पर साँप लोट गया। |
छठी का दूध याद आना | बहुत कष्ट आ पड़ना | मैंने जब अपना मकान बनवाया तो मुझे छठी का दूध याद आ गया। |
छठे छमासे | कभी-कभार | चुनाव जीतने के बाद नेता लोग छठे-छमासे ही नजर आते है। |
छत्तीस का आँकड़ा | घोर विरोध | मुझमें और मेरे मित्र में आजकल छत्तीस का आँकड़ा है। |
छाती पीटना | मातम मनाना | अपने किसी संबंधी की मृत्यु पर मेरे पड़ोसी छाती पीट रहे थे। |
छाती जलना | ईर्ष्या होना | जब भवेश दसवीं में फर्स्ट क्लास आया तो उसके विरोधियों की छाती जल गई। |
छाती दहलना | डरना, भयभीत होना | अंधेरे हॉल में कंकाल देखकर मोहन की छाती दहल गई। |
छाती दूनी होना | अत्यधिक उत्साहित होना | जब रोहन बारहवीं कक्षा में प्रथम आया तो कक्षा अध्यापक की छाती दूनी हो गई। |
छाती फूलना | गर्व होना | जब मैंने एम.ए. कर लिया तो मेरे अध्यापक की छाती फूल गई। |
छाती सुलगना | ईर्ष्या होना | किसी को सुखी देखकर मेहता जी की तो छाती सुलग उठती है। |
छिपा रुस्तम | अप्रसिद्ध गुणी | वरुण तो छिपा रुस्तम निकला। सब देखते रह गए और परीक्षा में उसी ने पहला स्थान प्राप्त कर लिया। |
छींका टूटना | अनायास लाभ होना | अरे, उसकी तो लॉटरी निकल गई। इसे कहते है- छींका टूटना। |
छुट्टी पाना | झंझट या अपने कर्तव्य से मुक्ति पाना | रामपाल जी अपनी इकलौती बेटी का विवाह करके छुट्टी पा गए। |
छू हो जाना या छूमंतर हो जाना | चले जाना या गायब हो जाना | अरे, विकास अभी तो यही था, अभी कहाँ छूमंतर हो गया। |
छोटा मुँह बड़ी बात | हैसियत से अधिक बात करना | अध्यापक ने विद्यार्थियों को समझाया कि हमें कभी छोटे मुँह बड़ी बात नहीं करनी चाहिए, वरना पछताना पड़ेगा। |
छलनी कर डालना | शोक-विह्वल कर देना | तुम्हारी जली-कटी बातों ने मेरा कलेजा छलनी कर डाला है, अब मुझसे बात मत करो। |
छाप पड़ना | प्रभाव पड़ना | प्रोफेसर शर्मा का व्यक्तित्व ही ऐसा है। उनकी छाप सब पर जरूर पड़ती है। |
छी-छी करना | घृणा प्रकट करना | तुम्हारे काले कारनामों के कारण सब लोग तुम्हारे लिए छी-छी कर रहे है। |
छेड़छाड़ करना | तंग करना | छोटे बच्चों के साथ छेड़छाड़ करने में मुझे बहुत मजा आता है। |
जलती आग में घी डालना | क्रोध बढ़ाना | बहन ने भाई की शिकायत करके जलती आग में भी डाल दिया। |
जमीन आसमान एक करना | बहुत प्रयास करना | मै शहर में अच्छा मकान लेने के लिए जमीन आसमान एक कर दे रहा हूँ परन्तु सफलता नहीं मिल रही है। |
जान पर खेलना | साहसिक कार्य | हम जान पर खेलकर भी अपने देश की रक्षा करेंगे। |
जूती चाटना | खुशामद करना, चापलूसी करना | संजीव ने अफसरों की जूतियाँ चाटकर ही अपने बेटे की नौकरी लगवाई है। |
जड़ उखाड़ना | पूर्ण नाश करना | श्री कृष्ण ने अपने काल में सभी दुष्टों को जड़ से उखाड़कर फ़ेंक दिया था। |
जहर उगलना | कड़वी बातें कहना या भला-बुरा कहना | पता नहीं क्या बात हुई, आज राजू अपने मित्र के खिलाफ जहर उगल रहा था। |
जान खाना | तंग करना | अरे भाई! क्यों जान खा रहे हो? तुम्हें देने के लिए मेरे पास एक भी पैसा नहीं है। |
जख्म पर नमक छिड़कना | दुःखी या परेशान को और परेशान करना | जब सोहन भिखारी को बुरा-भला कहने लगा तो मैंने कहा कि हमें किसी के जख्म पर नमक नहीं छिड़कना चाहिए। |
जख्म हरा हो जाना | पुराने दुःख या कष्ट भरे दिन याद आना | जब भी मैं गंगा स्नान के लिए जाता हूँ तो मेरा जख्म हरा हो जाता है, क्योंकि गंगा नदी में मेरा मित्र डूबकर मर गया था। |
जबान चलाना | अनुचित शब्द कहना | सीमा बहुत जबान चलाती है, उससे कौन बात करेगा? |
जबान देना | वायदा करना | अध्यापक ने विद्यार्थियों से कहा कि अच्छा आदमी वही होता है जो जबान देकर निभाता है। |
जबान बन्द करना | तर्क-वितर्क में पराजित करना | रामधारी वकील ने अदालत में विपक्षी पार्टी के वकील की जबान बंदकर दी। |
जबान में ताला लगाना | चुप रहने पर विवश करना | सरकार जब भी चाहे पत्रकारों की जबान में ताला लगा सकती है। |
जबानी जमा-खर्च करना | मौखिक कार्यवाही करना | मित्र, अब जबानी जमा-खर्च करने से कुछ नहीं होगा। कुछ ठोस कार्यवाही करो। |
जमाना देखना | बहुत अनुभव होना | दादाजी बात-बात पर यही कहते है कि हमने जमाना देखा है, तुम हमारी बराबरी नहीं कर सकते। |
जमीन पर पाँव न पड़ना | अत्यधिक खुश होना | रानी दसवीं में उत्तीर्ण हो गई है तो आज उसके जमीन पर पाँव नहीं पड़ रहे है। |
जमीन में समा जाना | बहुत लज्जित होना | जब उधार के पैसे ने देने पर सबके सामने रामू का अपमान हुआ तो वह जमीन में ही समा गया। |
जरा-सा मुँह निकल आना | लज्जित होना | सबके सामने पोल खुलने पर शशि का जरा-सा मुँह निकल आया। |
जल-भुनकर राख होना | बहुत क्रोधित होना | सुरेश जरा-सी बात पर जल-भुनकर राख हो जाता है। |
जल में रहकर मगर से बैर करना | अपने आश्रयदाता से शत्रुता करना | मैंने रामू से कहा कि जल में रहकर मगर से बैर मत करो, वरना नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। |
जली-कटी सुनाना | बुरा-भला कहना | मैं जरा देर से ऑफिस पहुँचा तो मालिक ने मुझे जली-कटी सुना दी। |
जले पर नमक छिड़कना | दुःखी व्यक्ति को और दुःखी करना | अध्यापक ने छात्रों से कहा कि हमें किसी के जले पर नमक नहीं छिड़कना चाहिए। |
जवाब देना | नौकरी से निकालना | आज राजू जब देर से दफ्तर गया तो उसके मालिक ने उसे जवाब दे दिया। |
जहन्नुम में जाना/भाड़ में जाना | बद्दुआ देने से संबंधित है। | पिताजी ने रामू से कहा कि यदि मेरा कहना नहीं मानो तो जहन्नुम में जाओ। |
जहर का घूँट पीना | कड़वी बात सुनकर चुप रह जाना | सबके सामने अपमानित होकर रानी जहर का घूँट पीकर रह गई। |
जहर की गाँठ | बुरा या दुष्ट व्यक्ति | अखिल जहर की गाँठ है, उससे मित्रता करना बेकार है। |
जादू चढ़ना | प्रभाव पड़ना | राम के सिर पर लता मंगेशकर का ऐसा जादू चढ़ा है कि वह हर समय उसी के गाने गाता रहता है। |
जादू डालना | प्रभाव जमाना | आज नेताजी ने आकर ऐसा जादू डाला है कि सभी उनके गुण गा रहे है। |
जान न्योछावर करना | बलिदान करना | हमारे सैनिक देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर देते है। |
जान हथेली पर लेना | जान की परवाह न करना | सीमा पर सैनिक जान हथेली पर लेकर चलते है और देश की रक्षा करते है। |
जान हलकान करना | अत्यधिक परेशान करना | आजकल नए मैनेजर ने मेरी जान हलकान कर दी है। |
जाल फेंकना | किसी को फँसाना | उस अजनबी ने मुझ पर ऐसा जाल फेंका कि मेरे 500 रुपये ठग लिए। |
जाल में फँसना | षड्यंत्र या चंगुल में फँसना | राजू कल उस ठग के जाल में फँस गया तो मैंने ही उसे बचाया था। |
जी खट्टा होना | मन में वैराग पैदा होना | मेरे दादाजी का तो शहर से जी खट्टा हो गया है। वे अब गाँव में ही रहते है। |
जी छोटा करना | हतोत्साहित करना | अरे मित्र, जी छोटा मत करो, जो लेना है, ले लो। पैसे मैं दे दूँगा। |
जी हल्का होना | चिन्ता कम होना | मदद की सांत्वना मिलने पर ही रामू का जी हल्का हुआ। |
जी हाँ, जी हाँ करना | खुशामद करना | रमन, जी हाँ, जी हाँ करके ही चपरासी से बाबू बन गया। |
जी उकताना | मन न लगना | पिछले आठ महीनों से यहाँ रहते-रहते पिताजी का जी उकता गया था, इसलिए कल ही छोटे भाई के यहाँ चले गए। |
जी उड़ना | आशंका/भय से व्यग्र रहना | जबसे राम प्यारी को यह खबर मिली है कि इन दिनों उसका बेटा लड़ाई पर गया है तबसे उसका जी उड़ता रहता है। |
जी खोलकर | पूरे मन से | हँसने की बात पर जी खोलकर हँसना चाहिए। |
जी जलना | संताप का अनुभव करना | ‘अपनी बहुओं की आदतों को देख-देखकर तुम क्यों अपना जी जलाती हो?’ पिताजी ने माँ को समझाते हुए कहा। |
जी जान से | बहुत परिश्रम से | यदि जी जान से काम करोगे तो जल्दी तरक्की मिलेगी। |
जी तोड़ | पूरी शक्ति से | मेरे भाई ने जी तोड़ मेहनत की थी तब जाकर मेडिकल में एडमीशन मिला। |
जी भर के | जितना जी चाहे | इस बार गर्मियों में हमने जी भर के आम खाए। |
जी मिचलाना | वमन/कै की इच्छा होना | ‘डॉक्टर साहब, आज सुबह से पेट में दर्द है और जी मिचला रहा है’, वह बोली। |
जी में आना | इच्छा होना | कभी-कभी मेरे जी में आता है कि मैं भी व्यापार करके देखूँ। |
जीते जी मर जाना | जीवन काल में मृत्यु से बढ़कर कष्ट भोगना | बेटे के काले कारनामों के कारण रामप्रसाद तो बेचारा जीते जी मर गया। |
जी चुराना | काम में मन न लगाना | जो लोग काम से जी चुराते है कभी सफल नहीं हो पाते। |
जीती मक्खी निगलना | जान-बूझकर गलत काम करना | अरे मित्र! तुम तो मुझे जीती मक्खी निगलने को कह रहे हो! मैं जान-बूझकर किसी का अहित नहीं कर सकता। |
जीवट का आदमी | साहसी आदमी | शेरसिंह जीवट का आदमी है। उसने अकेले ही आतंकवादियों का सामना किया है। |
जुल देना | धोखा देना | आज एक अनजान आदमी सीताराम को जुल देकर चला गया। |
जूतियाँ चटकाना | बेकार में, बेरोजगार घूमना | एम.ए. करने के बाद भी शंकर जूतियाँ चटका रहा है। |
जेब गर्म करना | रिश्वत देना | लालू जेब गर्म करके ही किसी को अपने साहब से मिलने देता है। |
जेब भरना | रिश्वत लेना | आजकल अधिकांश अधिकारी अपनी जेब भरने में लगे हुए है। |
जोड़-तोड़ करना | उपाय करना | लालू जोड़-तोड़ करना खूब जानता है। |
जौहर दिखाना | वीरता दिखाना | जवान सीमा पर अपना खूब जौहर दिखाते है। |
जौहर करना | स्त्रियों का चिता में जलकर भस्म होना | अंग्रेजी शासनकाल में भारतीय नारियों ने खूब जौहर किया था। |
ज्वाला फूँकना | क्रोध दिलाना | रामू की जरा-सी करतूत ने उसके पिता के अन्दर ज्वाला फूँक दी है। |
जान का प्यासा होना | मार डालने के लिए तत्पर | सारे मुहल्ले वाले तुम्हारी जान के प्यासे हो रहे है। भलाई इसी में है कितुम चुपचाप यहाँ से खिसक जाओ। |
जान के लाले पड़ना | प्राण बचाना कठिन लगना | रात के अँधेरे में मुसाफिरों को डाकुओं ने घेर लिया। बेचारे मुसाफिरों की जान के लाले पड़ गए। सब कुछ छीन लिया तब बड़ी मुश्किल से छोड़ा। |
जान में जान आना | घबराहट दूर होना | लग रहा था आज विमान नहीं मिल पाएगा। हमलोग ट्रैफिक में फँसे हुए थे, पर जब मोबाइल पर संदेश आया कि विमान एक घंटा लेट हो गया है तब जाकर जान में जान आई। |
जिंदगी के दिन पूरे करना | जैसे-तैसे जीवन के शेष दिन पूरे करना | कहीं से कोई इनकम का साधन नहीं है। बेचारा रामगोपाल जैसे-तैसे जिंदगी के दिन पूरे कर रहा है। |
जिक्र छेड़ना | चर्चा करना | अपनी बहन के रिश्ते के लिए शर्मा जी से जिक्र तो छेड़ों, शायद बात बन जाए। |
जिरह करना | बहस करना | मेरे वकील ने आज जिस तरह से कोर्ट में जिरह की, मजा आ गया। |
जुट जाना | किसी काम में तन्मयता से लगना | परीक्षा की तिथियों की सूचना मिलते ही सारे बच्चे परीक्षा की तैयारी में जुट गए है। |
जुल्म ढाना | अत्याचार करना | जो लोग असहायों पर जुल्म ढाते है, ईश्वर उन्हें कभी-न-कभी सजा देता ही है। |
जूते पड़ना | बहुत निंदा होना | अभी आपको मेरी बात समझ में नहीं आ रही। जब जूते पड़ेंगे तब समझ में आएगी। |
जूते के बराबर न समझना | बहुत तुच्छ समझना | घमंड के कारण वह हमलोगों को जूते के बराबर भी नहीं समझता। |
जैसे-तैसे करके | बड़ी कठिनाई से | जैसे-तैसे करके तो नौकरी मिली थी वह भी बीमारी के कारण छूट गई। |
जोर चलना | वश चलना | अपनी पत्नी पर तुम्हारा जोर नहीं चलता। उसके आगे तो भीगी बिल्ली बने रहते हो। |
जोश ठंडा पड़ना | उत्साह कम होना | वह कईं बार आई.ए.एस. की परीक्षा में बैठा, पर सफल न हो सका। अब तो बेचारे का जोश ही ठंडा पड़ गया है। |
झक मारना | विवश होना | दूसरा कोई साधन नहीं है। झक मारकर तुम्हें साइकिल से जाना पड़ेगा। |
झण्डा गाड़ना/झण्डा फहराना | अपना आधिपत्य स्थापित करना | अंग्रेजों ने झाँसी की रानी को परास्त करने के पश्चात् भारत में अपना झण्डा गाड़ दिया था। |
झण्डी दिखाना | स्वीकृति देना | साहब के झण्डी दिखाने के बाद ही क्लर्क बाबू ने लालू का काम किया। |
झख मारना | बेकार का काम करना | आजकल बेरोजगारी में राजू झख मार रहा है। |
झाँसा देना | धोखा देना | विपिन को उसके सगे भाई ने ही झाँसा दे दिया। |
झाँसे में आना | धोखे में आना | वह बहुत होशियार है, फिर भी झाँसे में आ गया। |
झाड़ू फेरना | बर्बाद करना | प्रेम ने अपने पिताजी की सारी दौलत पर झाड़ू फेर दी। |
झाड़ू मारना | निरादर करना | अध्यापक कहते है कि आगंतुक पर झाड़ू मारना ठीक नहीं है, चाहे वह भिखारी ही क्यों न हो। |
झूठ का पुतला | बहुत झूठा व्यक्ति | वीरू तो झूठ का पुतला है तभी कोई उसकी बात का विश्वास नहीं करता। |
झूठ के पुल बाँधना | झूठ पर झूठ बोलना | अपनी नौकरी बचाने के लिए रामू ने झूठ के पुल बाँध दिए। |
झटक लेना | चालाकी से ले लेना | बड़ी-बड़ी बातें सुनाकर उसने मुझसे पाँच सौ रुपये झटक लिए। |
झटका लगना | आघात लगना | किसी पर इतना विश्वास मत करो कि कभी झटका लगने पर सँभल भी न पाओ। |
झपट्टा मारना | झपटकर छीन लेना | झपट्टा मारकर चील अपने शिकार को उठा ले गई। |
झाड़ू फिरना | सब बर्बाद हो जाना | मेरी सारी मेहनत पर तुम्हारे कारण झाड़ू फिर गया। अब मैं फिर से यह काम नहीं कर सकता। |
झापड़ रसीद करना | थप्पड़ मारना | अध्यापक ने जब सुरेश के गाल पर एक झापड़ रसीद किया तो वह सारी हेकड़ी भूल गया। |
झोली भरना | भरपूर प्राप्त होना | ईश्वर बड़ा दयालु है। अपने भक्तों को वह हमेशा झोली भरकर ही देता है। |
टाँग अड़ाना | अड़चन डालना | हर बात में टाँग ही अड़ाते हो या कुछ आता भी है तुम्हे? |
टका सा जबाब देना | साफ़ इनकार करना | मैं नौकरी के लिए मैनेज़र से मिला लेकिन उन्होंने टका सा जबाब दे दिया। |
टस से मस न होना | कुछ भी प्रभाव न पड़ना | दवा लाने के लिए मै घंटों से कह रहा हूँ, परन्तु आप आप टस से मस नहीं हो रहे है। |
टोपी उछालना | निरादर करना | जब पुत्री के विवाह में दहेज नहीं दिया तो लड़के वालों ने रमेश की टोपी उछाल दी। |
टंटा खड़ा करना | झगड़ा करना | जरा-सी बात पर सरिता ने टंटा खड़ा कर दिया। |
टके के तीन | बहुत सस्ता | गाँव में तो मूली-गाजर टके के तीन मिल रहे है। |
टके को भी न पूछना | कोई महत्व न देना | कोई टके को भी नहीं पूछता, फिर भी राजू मामाजी के पीछे लगा रहता है। |
टके सेर मिलना | बहुत सस्ता मिलना | आजकल आलू टके सेर मिल रहे है। |
टर-टर करना | बकवास करना/व्यर्थ में बोलते रहना | सुनील तो हर वक्त टर-टर करता रहता है। कौन सुनेगा उसकी बात? |
टाँग खींचना | किसी के बनते हुए काम में बाधा डालना | रमेश ने मेरी टाँग खींच दी, वरना मैं मैनेजर बन जाता। |
टाँग तोड़ना | सजा देना या सजा देने की धमकी देना | अगर सौरव ने दुबारा मेरा काम बिगाड़ा तो मैं उसकी टाँग तोड़ दूँगा। |
टुकड़ों पर पलना | दूसरे की कमाई पर गुजारा करना | सुमन अपने मामा के टुकड़ों पर पल रहा है। |
टें बोलना | मर जाना | दादाजी जरा-सी बीमारी में टें बोल गए। |
टेढ़ी खीर | अत्यन्त कठिन कार्य | आई.ए.एस. पास करना टेढ़ी खीर है। |
टक्कर खाना | बराबरी करना | जो धूर्त है उनसे टक्कर लेने से क्या लाभ? |
टपक पड़ना | सहसा आ जाना | हम लोग फ़िल्म जाने का कार्यक्रम बना रहे थे कि न जाने कहाँ से अध्यापक टपक पड़े और कार्यक्रम रद्द हो गया। |
टाँय-टाँय फिस | तैयारी अधिक परिणाम तुच्छ | इतनी मेहनत की पर परिणाम टाँय-टाँय फिस। |
टालमटोल करना | बहाना बनाना | मैंने उनसे पूछा, ‘टालमटोल मत कीजिए। साफ बताइए, आप मेरी मदद करेंगे या नहीं?’ |
टीस मारना/उठना | कसक/दर्द होना | कल रात से घाव टीस मार रहा है। |
टुकुर-टुकुर देखना | टकटकी लगाकर देखना | भिखारी भीख माँग रहा था और उसका छोटा-सा बच्चा सबको टुकुर-टुकुर देखे जा रहा था। |
टूट पड़ना | आक्रमण करना | सब लोगों को इतनी तेज भूख लगी थी कि खाना देखते ही वे टूट पड़े। |
टोह लेना | पता लगाना | वह अचानक कहाँ भाग गई, किसी को नहीं मालूम अब उसकी टोह लेना आसान नहीं है। |
ठन-ठन गोपाल | खाली जेब या अत्यन्त गरीब | सुमेर तो ठन-ठन गोपाल है, वह चंदा कहाँ से देगा? |
ठंडा करना | क्रोध शान्त करना | महेश ने समझा-बुझाकर दादाजी को ठंडा कर दिया। |
ठंडा पड़ना | मर जाना | वह साईकिल से गिरते ही ठंडा पड़ गया। |
ठकुरसोहाती/ठकुरसुहाती करना | चापलूसी या खुशामद करना | ठकुरसोहाती करने पर भी मालिक ने सुरेश का वेतन नहीं बढ़ाया। |
ठठरी हो जाना | बहुत कमजोर या दुबला-पतला हो जाना | बीमारी के कारण मोहन ठठरी हो गया है। |
ठिकाने लगाना | मार डालना | अपहरणकर्ताओं ने भवन के बेटे को ठिकाने लगा ही दिया। |
ठेंगा दिखाना | इनकार करना | वक्त आने पर मेरे मित्र ने मुझे ठेंगा दिखा दिया। |
ठेंगे पर मारना | परवाह न करना | कृपाशंकर अमीर है इसलिए वह सबको ठेंगे पर मारता है। |
ठोकरें खाना | कष्ट या दुःख सहना | दुनियाभर की ठोकरें खाकर गोपाल ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है। |
ठोड़ी पकड़ना | खुशामद करना | मैंने सेठजी की बहुत ठोड़ी पकड़ी, परंतु उन्होंने मुझे पैसे उधार नहीं दिए। |
ठंडी आहें भरना | दुखभरी साँस लेना | दूसरों की शोहरत को देखकर ठंडी आहें नहीं भरनी चाहिए। |
ठट्टा मारना | हँसी-मजाक करना | माता जी ने लड़कियों को डाँटते हुए कहा कि ठट्टा मारना बंद करो और रसोई में जाकर काम करो। |
ठन जाना | लड़ाई/झगड़ा हो जाना या परस्पर विरोध होना | जब दो पार्टियों में आपस में ठन जाती है तो परिणाम अच्छा नहीं होता। |
ठहाका मारना | जोर से हँसना | वह छोटी-छोटी बातों पर भी ठहाका मारती है। |
ठाट-बाट से रहना | शानौशौकत से रहना | वे जिस ठाट-बाट से रहते है, उसकी बराबरी शायद ही कोई कर सके। |
ठिकाने की बात कहना | समझदारी की बात कहना | जो लोग ठिकाने की बात कहते है, लोग उन पर अवश्य यकीन करते है। |
ठिकाने लगना | मर जाना | युद्ध में कई सैनिक ठिकाने लग गए। |
ठीकरा फोड़ना | दोष लगाना | गलती आपकी है और ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ रहे है? |
ठीहा होना | रहने का स्थान होना | जिनका कोई ठीहा नहीं होता, वे इधर-उधर भटकते रहते है। |
ठेस पहुँचना/लगना | चोट पहुँचना | तुम्हारी बातों से मुझे बहुत ठेस पहुँची है। |
ठोंक बजाकर देखना | अच्छी तरह से जाँच-परख करना | घर-परिवार सब कुछ ठोंक बजाकर देख लेना तब शादी के लिए हाँ करना। |
डकार जाना | हड़प जाना | सियाराम अपने भाई की सारी संपत्ति डकार गया। |
डींग मारना या हाँकना | शेखी मारना | जब देखो, शेखू डींग मारता रहता है- ‘मैंने ये किया, मैंने वो किया’। |
डेढ़/ढाई चावल की खिचड़ी पकाना | सबसे अलग काम करना | सुधीर अपनी डेढ़ चावल बनी खिचड़ी अलग पकाता है। |
डोरी ढीली करना | नियंत्रण कम करना | पिताजी ने जरा-सी डोरी ढीली छोड़ दी तो पिंटू ने पढ़ना ही छोड़ दिया। |
डंका पीटना | प्रचार करना | अनिल ने झूठा डंका पीट दिया कि उसकी लॉटरी खुल गई है। |
डंके की चोट पर | खुल्लमखुल्ला | शेरसिंह जो भी काम करता है, डंके की चोट पर करता है। |
डोंड़ी पीटना | मुनादी या ऐलान करना | बीरबल की विद्वता को देखकर अकबर ने डोंड़ी पीट दी थी कि वह राज दरबार के नवरत्नों में से एक है। |
डंका बजाना | प्रभाव जमाना | ऑस्ट्रेलिया ने सभी देशों की टीमों को हरा कर अपना डंका बजा दिया। |
डंडी मारना | कम तोलना | यह दुकानदार बड़ा बेईमान है। तौलते समय हमेशा डंडी मार लेता है। |
डकार तक न लेना | किसी का माल हड़प कर जाना | इससे बचकर रहो। सारा माला हड़प लेगा और डकार तक न लेगा। |
डुबकी मारना | गायब हो जाना | ‘इतने दिनों से कहाँ डुबकी मार गए थे’, सुरेश ने मदन से पूछा। |
डूब मरना | बहुत लज्जित होना | इस तरह की बातें मेरे लिए डूब मरने के समान है। |
डूबती नैया को पार लगाना | संकट से छुड़ाना | ईश्वर की कृपा होगी तभी तुम्हारी डूबती नैया पार लगेगी। |
डेरा डालना | निवास करना | साधु ने मंदिर में जाकर अपना डेरा डाल दिया। |
डेरा उठाना | चल देना | स्वामी जी एक जगह नहीं रुकते। कुछ दिनों बाद ही डेरा उठाकर दूसरी जगह के लिए चल देते है। |
डोरे डालना | किसी को अपने प्रेम-पाश में फँसाने की कोशिश करना | उस पर डोरे डालने की कोशिश मत करो। वह तुम्हारे चक्कर में आने वाली नहीं। |
ढील देना | छूट देना | दादी माँ कहती है कि बच्चों को अधिक ढील नहीं देनी चाहिए। |
ढेर हो जाना | गिरकर मर जाना | कल पुलिस की मुठभेड़ में दो बदमाश ढेर हो गए। |
ढोल पीटना | सबसे बताना | अरे, कोई इस रानी को कुछ मत बताना, वरना ये ढोल पीट देगी। |
ढपोरशंख होना | केवल बड़ी-बड़ी बातें करना, काम न करना | राहुल तो ढपोरशंख है, बस बातें ही करता है, काम कुछ नहीं करता। |
ढर्रे पर आना | सुधरना | अब तो शराबी कालू ढर्रे पर आ गया है। |
ढलती-फिरती छाया | भाग्य का खेल या फेर | कल वह गरीब था, आज अमीर है- सब ढलती-फिरती छाया है। |
ढाई ईंट की मस्जिद | सबसे अलग कार्य करना | राजेश घर में कुआँ खुदवाकर ढाई ईंट की मस्जिद बना रहा है। |
ढाई दिन की बादशाहत होना या मिलना | थोड़े दिनों की शान-शौकत या हुकूमत होना | मैनेजर के बाहर जाने पर मोहन को ढाई दिन की बादशाहत मिल गई है। |
ढेर करना | मार गिराना | पुलिस ने कल दो लुटेरों को सरेआम ढेर कर दिया। |
ढोल की पोल | खोखलापन; बाहर से देखने में अच्छा, किन्तु अन्दर से खराब होना | श्यामा तो ढोल की पोल है- बाहर से सुन्दर और अन्दर से चालाक। |
ढल जाना | कमजोर हो जाना, वृद्धावस्था की और जाना | बीमारी के कारण उसका सारा शरीर ढल गया है। |
ढिंढोरा पीटना | घोषणा करना | केवल ढिंढोरा पीटने से काम नहीं बनता। काम बनाने के लिए लोगों का विश्वास जीतना जरूरी है। |
ढोंग रचना | पाखंड करना | ढोंग रचने वाले साधुओं से मुझे सख्त नफ़रत है। |
तूती बोलना | बोलबाला होना | आजकल तो राहुल गाँधी की तूती बोल रही है। |
तारे गिनना | चिंता के कारण रात में नींद न आना | अपने पुत्र की चिन्ता में पिता रात भर तारे गिनते रहे। |
तिल का ताड़ बनाना | छोटी-सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना | शांति तो तिल का ताड़ बनाने में माहिर है। |
तीन तेरह करना | नष्ट करना, तितर बितर करना | जरा-से झगड़े ने दोनों भाइयों को तीन तेरह कर दिया। |
तकदीर खुलना या चमकना | भाग्य अनुकूल होना | सरकारी नौकरी लगने से श्याम की तो तकदीर खुल गई। |
तख्ता पलटना | एक शासक द्वारा दूसरे शासक को हटाकर उसके सिंहासन पर खुद बैठना | पाकिस्तान में मुशर्रफ ने तख्ता पलट दिया और कोई कुछ न कर सका। |
तलवा या तलवे चाटना | खुशामद या चापलूसी करना | ओमवीर ने अफसरों के तलवे चाटकर ही तरक्की पाई है। |
तलवे धोकर पीना | अत्यधिक आदर-सत्कार या सेवा करना | अमन अपने माता-पिता के तलवे धोकर पीता है तभी लोग उसे श्रवण का अवतार कहते है। |
तलवार की धार पर चलना | बहुत कठिन कार्य करना | मित्रता निभाना तलवार की धार पर चलने के समान है। |
तलवार के घाट उतारना | तलवार से मारना | राजवीर ने अपने शत्रु को तलवार के घाट उतार दिया। |
तलवार सिर पर लटकना | खतरा होना | आजकल रामू के मैनेजर से उसकी कहासुनी हो गई है इसलिए तलवार उसके सिर पर लटकी हुई है। |
तवे-सा मुँह | बहुत काला चेहरा | किरण का तो तवे-सा मुँह है, फिर भी वह स्वयं को सुंदर समझती है। |
तशरीफ लाना | आना | घर में मेहमान आते है, तो यही कहते है- तशरीफ लाइए। |
तांत-सा होना | दुबला-पतला होना | चार दिन की बीमारी में गौरव तांत-सा हो गया है। |
ताक पर धरना | व्यर्थ समझकर दूर हटाना | सारे नियम ताक पर रखकर अध्यापक ने एक छात्र को नकल करवाई। |
ताक में बैठना | मौके की तलाश में रहना | सुधीर बहुत दिनों से ताक में बैठा था कि उसे मैं कब अकेला मिलूं और वो मुझे पीटे। |
तारीफ के पुल बाँधना | अधिक प्रशंसा या तारीफ करना | राकेश जब फर्स्ट क्लास पास हुआ तो सभी ने उसकी तारीफ के पुल बाँध दिए। |
तारे तोड़ लाना | कठिन या असंभव कार्य करना | जब विवेक ने अपनी डींग मारनी शुरू की तो मैंने कहा- बस करो भाई! तारे नहीं तोड़ लाए हो, जो इतनी डींग मार रहे हो। |
तिनके का सहारा | थोड़ी-सी मदद | मैंने मोहित की जब सौ रुपए की मदद की तो उसने कहा कि डूबते को तिनके का सहारा बहुत होता है। |
तीन-पाँच करना | हर बात में आपत्ति करना | राघव बहुत तीन-पाँच करता है, इसलिए सब उससे दूर रहते है। |
तीर मार लेना | कोई बड़ा काम कर लेना | इंजीनियर बनकर आयुष ने तीर मार लिया है। |
तीस मार खाँ बनना | अपने को बहुत शूरवीर समझना | मुन्ना खुद को बहुत तीस मारखाँ समझता है, जब देखो लड़ाई की बातें करता रहता है। |
तूफान उठना | उपद्रव खड़ा करना | मित्र, तुम जहाँ भी जाते हो, वहीं तूफान खड़ा कर देते हो। |
तेल निकालना | खूब कसकर काम लेना | प्राइवेट फर्म तो कर्मचारी का तेल निकाल लेती है। तभी विकास को नौकरी करना पसंद नहीं है। |
तेली का बैल | हर समय काम में लगा रहने वाला व्यक्ति | प्रेमचन्द्र तो तेली का बैल है, जब देखो, रात-दिन काम करता रहता है। |
तोता पालना | किसी बुरी आदत को न छोड़ना | केशव ने तंबाकू खाने का तोता पाल लिया है। बहुत मना किया, मानता ही नहीं है। |
तंग हाल | निर्धन होना | नीरू खुद तंग हाल है, तुम्हें कहाँ से कर्ज देगी। |
तकदीर फूटना | भाग्य खराब होना | उस लड़की की तो तकदीर ही फूट गई जो तुम जैसे जाहिल से उसकी शादी हो गई। |
तबीयत आना | किसी पर आसक्ति होना | वह तो मनमौजी है जब जिस चीज पर उसकी तबीयत आ जाती है तो उसे हासिल करके ही छोड़ता है। |
तबीयत भरना | मन भरना, इच्छा न होना | इस शहर से अब मेरी तबीयत भर चुकी है इसलिए इस शहर को छोड़कर जाना चाहता हूँ। |
तरस खाना | दया करना | ठंड में काँपते हुए उस भिखारी पर तरस खाकर मैंने अपना कंबल उसी को दे दिया। |
तह तक पहुँचना | गुप्त रहस्य को मालूम कर लेना | जब तक वह इस मामले की तह तक नहीं पहुँचेगा तब तक कोई फैसला नहीं सुनाएगा। |
तहलका मचना | खलबली मचना | विमान में बम होने की खबर से चारों ओर तहलका मच गया। |
ताँता बंधना | एक के बाद दूसरे का आते रहना | वैष्णो देवी के मंदिर में दर्शनार्थियों का सुबह से ताँता लग जाता है। |
ताक-झाँक करना | इधर-उधर देखना | दूसरे के घर में ताक-झाँक करना अच्छी आदत नहीं है। |
तानकर सोना | निश्चित होकर सोना | बेटी के विवाह के बाद वह सारी चिंताओं से मुक्त हो गया है और अब तानकर सोता है। |
ताल ठोंकना | लड़ने के लिए ललकारना | उसके सामने तुम ताल मत ठोंको, तुम उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाओगे। |
ताव आना | क्रोध आना | मोहनलाल की झूठी बातें सुनकर मुझे ताव आ गया। |
तिल-तिल करके मरना | धीरे-धीरे मृत्यु के मुख में जाना | बेटे के गम में उसने बिस्तर पकड़ लिया है और अब तिल-तिल करके मर रही है। |
तिल रखने की जगह न होना | स्थान का ठसाठस भरा होना | शनिवार के दिन शनि मंदिर में तिल रखने तक की जगह नहीं होती। |
तिलमिला उठना | बहुत बुरा मानना | जब मैंने उसकी पोल खोल दी तो वह तिलमिला उठा। |
तिलांजलि देना | त्याग देना | वर्मा जी ने घर-परिवार को तिलांजलि देकर संन्यास ले लिया। |
तुक न होना | कोई औचित्य न होना | पहले मैं बाजार जाऊँ फिर तुम्हें लेने के लिए घर आऊँ, इसमें कोई तुक नहीं है। |
तुल जाना | किसी काम को करने के लिए उतारू होना | यदि तुम मेहनत करने पर तुल जाओ तो सफलता अवश्य मिलेगी। |
तू-तू मैं-मैं होना | आपस में कहा-सुनी होना | कल रमेश और उसकी पत्नी के बीच तू-तू मैं-मैं हो गई। |
तूल पकड़ना | उग्र रूप धारण करना | बातों-ही-बातों में कहा-सुनी हो गई और झगड़े ने तूल पकड़ ली। |
तेल निकालना | खूब कसकर काम लेना | जमींदार मजदूरों का तेल निकाल लेते थे। |
तेवर चढ़ाना | क्रोध के कारण भौहों को तानना | मुझे परिणाम का अनुमान है। तुम्हारे तेवर चढ़ाने से मैं निर्णय नहीं बदल सकता। |
तैश में आना | क्रोध करना | तैश में आकर किसी का अपमान करना गलत है। |
तोबा करना | भविष्य में किसी काम को न करने की प्रतिज्ञा करना | ईट के व्यापार में घाटा होने से मैंने इससे तोबा कर दिया। |
तौल-तौल कर मुँह से शब्द निकालना | बहुत सोच-विचार कर बोलना | शालिनी बहुत विवेकशील है। वह तौल-तौलकर मुँह से शब्द निकालती है। |
त्यौरी/त्यौरियाँ चढ़ना | क्रोध के कारण माथे पर बल पड़ना | अपमानजनक शब्द सुनते ही उसकी त्यौरियाँ चढ़ गई। |
थूक कर चाटना | कहकर मुकर जाना | कल मुन्ना थूक कर चाट गया। अब उस पर कोई विश्वास नहीं करेगा। |
थाली का बैंगन होना | ऐसा आदमी जिसका कोई सिद्धान्त न हो | आजकल के नए-नए नेता तो थाली के बैंगन है। |
थाह मिलना या लगना | भेद खुलना | अब वैज्ञानिकों ने थाह लगा ली है कि मंगल ग्रह पर भी पानी है। |
थुक्का फजीहत होना | अपमान होना | कुमार थुक्का फजीहत होने से पहले ही चला गया। |
थुड़ी-थुड़ी होना | बदनामी होना | बच्चों को बेवजह पीटने पर अध्यापक की हर जगह थुड़ी-थुड़ी हो रही है। |
थक कर चूर होना | बहुत थक जाना | मई की धूप में चार किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के कारण मैं तो थककर चूर हो गया हूँ। |
थर्रा उठना | अत्यंत भयभीत होना | अचानक इतनी तेज धमाका हुआ कि दूर तक के लोग थर्रा उठे। |
थाह लेना | मन का भव जानना | गंभीर लोगों के मन की थाह लेना मुश्किल होता है। |
थैली का मुँह खोलना | खूब धन व्यय करना | सेठ रामप्रसाद ने अपनी बेटी के विवाह में थैली का मुँह खोल दिया था। |
दम टूटना | मर जाना | शेर ने एक ही गोली में दम तोड़ दिया। |
दिन दूना रात चौगुना | तेजी से तरक्की करना | रामदास अपने व्यापार में दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है। |
दाल में काला होना | संदेह होना | हम लोगों की ओट में ये जिस तरह धीरे-धीरे बातें कर रहें है, उससे मुझे दाल में काला लग रहा है। |
दौड़-धूप करना | बड़ी कोशिश करना | कौन बाप अपनी बेटी के ब्याह के लिए दौड़-धूप नहीं करता? |
दो कौड़ी का आदमी | तुच्छ या अविश्र्वसनीय व्यक्ति | किस दो कौड़ी के आदमी की बात करते हो? |
दो टूक बात कहना | थोड़े शब्दों में स्पष्ट बात कहना | दो टूक बात कहना अच्छा रहता है। |
दो दिन का मेहमान | जल्द मरने वाला | किसी का क्या बिगाड़ेगा? वह बेचारा खुद दो दिन का मेहमान है। |
दूध के दाँत न टूटना | ज्ञानहीन या अनुभवहीन | वह सभा में क्या बोलेगा? अभी तो उसके दूध के दाँत भी नहीं टूटे है। |
दूध का दूध और पानी का पानी कर देना | पूरा-पूरा इन्साफ करना | कल सरपंच ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। |
दूज का चाँद होना या ईद का चाँद होना | कभी-कभार दिखाई पड़ना | मित्र, आजकल तो तुम दूज का चाँद हो रहे हो। |
दो नावों पर पैर रखना/दो नावों पर सवार होना | दो काम एक साथ करना | मित्र, तुम दो नावों पर पैर मत रखो- या तो पढ़ लो, या नौकरी कर लो। |
दम खींचना या साधना | चुप रह जाना | पैसा उधार मांगने पर सेठजीदम साध गए। |
दमड़ी के तीन होना | बहुत तुच्छ या सस्ता होना | आजकल मूली दमड़ी की तीन बिक रही है। |
दरवाजे की मिट्टी खोद डालना | बार-बार तकाजा करना | सौ रुपए के लिए श्याम ने राजू के दरवाजे की मिट्टी खोद डाली। |
दरार पड़ना | मतभेद पैदा होना | अब कौशल और कौशिक की दोस्ती में दरार पड़ गई है। |
दसों उंगलियाँ घी में होना | खूब लाभ होना | आजकल रामअवतार की दसों उंगलियाँ घी में है। |
दाँत पीसना | बहुत क्रोधित होना | रमेश तो बात-बात पर दाँत पीसने लगता है। |
दाँत काटी रोटी होना | अत्यन्त घनिष्ठता होना या मित्रता होना | आजकल राम और श्याम की दाँत काटी रोटी है। |
दाँत खट्टे करना | परास्त करना, हराना | महाभारत में पांडवों ने कौरवों के दाँत खट्टे कर दिए थे। |
दाँतों तले उँगली दबाना | दंग रह जाना | जब एक गरीब छात्र ने आई.ए.एस. पास कर ली तो सब दाँतों तले उँगली दबाने लगे। |
दाई से पेट छिपाना | जानने वाले से भेद छिपाना | मैं पंकज की हरकत जानता हूँ, फिर भी वह दाई से पेट छिपा रहा था। |
दाद देना | प्रशंसा करना | माहेश्वरी सर के पढ़ाने के ढँग की सभी छात्र दाद देते है। |
दाना-पानी उठना | आजीविका का साधन खत्म होना या बेरोजगार होना | लगता है आज रोहित का दाना-पानी उठ गया है। तभी वह मैनेजर को उल्टा जवाब दे रहा है। |
दाल-भात में मूसलचन्द | दो व्यक्तियों की बातों में तीसरे व्यक्ति का हस्तक्षेप करना | शंकर हर जगह दाल-भात में मूसलचन्द की तरह आ जाता है। |
दिन में तारे दिखाई देना | अधिक दुःख के कारण होश ठिकाने न रहना | जब रामू की नौकरी छूट गई तो उसे दिन में तारे दिखाई दे गए। |
दिन गँवाना | समय नष्ट करना | बेरोजगारी में रोहन आजकल यूँ ही दिन गँवा रहा है। |
दिन पूरे होना | अंतिम समय आना | लगता है किशन के दिन पूरे हो गए है तभी अत्यधिक धूम्रपान कर रहा है। |
दिन पलटना | अच्छे दिन आना | नौकरी लगने के बाद अब शम्भू के दिन पलट गए है। |
दिन-रात एक करना | कठिन श्रम करना | मोहन ने दसवीं पास करने के लिए दिन-रात एक कर दिया था। |
दिन आना | अच्छा समय आना | अभी उनके दिन चल रहे है पर कभी-न-कभी हमारे भी दिन आएँगे। |
दिन लद जाना | समय व्यतीत हो जाना | वे दिन लद गए जब जमींदार लोग किसानों पर अत्याचार करते थे। |
दिमाग दौड़ाना | विचार करना, अत्यधिक सोचना | कमल बहुत दिमाग दौड़ाता है तभी वह इंजीनियर बन पाया है। |
दिमाग सातवें आसमान पर होना | बहुत अधिक घमंड होना | सरकारी नौकरी लगने पर परमजीत का दिमाग सातवें आसमान पर हो गया है। |
दिमाग खाना या खाली करना | मगजपच्ची या बकवास करना | मेरे दिमाग खाली करने के बाद भी गणित का सवाल सोनू की समझ में नहीं आया। |
दिल टुकड़े-टुकड़े होना या दिल टूटना | बहुत निराश होना | जब मनीष को मैंने किताब नहीं दी तो उसका दिल टुकड़े-टुकड़े हो गया। |
दिल पर पत्थर रखना | दुःख सहकर या हानि होने पर चुप रहना | रामू के जब पाँच हजार रुपए खो गए तो उसने दिल पर पत्थर रख लिया। |
दिल पसीजना | किसी पर दया आना | भिखारी की दुर्दशा देखकर मेरा दिल पसीज गया। |
दिल हिलना | अत्यधिक भयभीत होना | रात में किसी की परछाई देखकर मेरा दिल हिल गया। |
दिल का काला या खोटा | कपटी अथवा दुष्ट | मुन्ना दिल का काला है। |
दिल बाग-बाग होना | अत्यधिक हर्ष होना | वर्षों बाद बेटा घर आया तो माता-पिता का दिल बाग-बाग हो गया। |
दिल कड़ा करना | हिम्मत करना | जब तक दिल कड़ा नहीं करोगे तब तक किसी काम में सफलता नहीं मिलेगी। |
दिल का गुबार निकालना | मन का मलाल दूर करना | अपने बेटे के विवाह में पंडित रामदीन ने अपने दिल के सारे गुबार निकाल लिए। |
दिल की दिल में रह जाना | मनोकामना पूरी न होना | जिस लड़की से वह विवाह करना चाहता था उससे कह ही नहीं पाया और इस तरह से दिल की दिल में ही रह गई। |
दिल के अरमान निकलना | इच्छा पूरी होना | जब मेरे दिल के अरमान निकलेंगे तब मुझे तसल्ली मिलेगी। |
दिल्ली दूर होना | लक्ष्य दूर होना | अभी तो मोहन ने सिर्फ दसवीं पास की है। उसे डॉक्टर बनना है तो अभी दिल्ली दूर है। |
दुनिया की हवा लगना | कुमार्ग पर चलना | रामू को दुनिया की हवा लग गई है, पहले तो वह बहुत सीधा था। |
दुनिया से उठ जाना | मर जाना | काका हाथरसी दुनिया से उठ गए तो संगीत प्रेमी रोने लगे थे। |
दूध का धुला | निष्पाप; निर्दोष | मुकेश तो दूध का धुला है, लोग उसे चोरी के इल्जाम में खाहमखाह फँसा रहे है। |
दूध का-सा उबाल आना | एकदम से क्रोध आना | जैसे ही मैंने पिताजी से रुपए माँगे, उनमें दूध का-सा उबाल आ गया। |
दूध की नदियाँ बहना | धन-दौलत से पूर्ण होना | कृष्ण के युग में मथुरा में दूध की नदियाँ बहती थीं। |
दूध की मक्खी | तुच्छ व्यक्ति | बेरोजगार होने के बाद रामू तो अपने घर में दूध की मक्खी की तरह है। |
दूध में से मक्खी की तरह निकालकर फेंकना | अनावश्यक समझकर अलग कर देना | राजू की कंपनी ने कल उसे दूध में से मक्खी की तरह निकालकर फ़ेंक दिया। |
दो-दो हाथ होना | लड़ाई होना | छोटी-सी बात पर राजू और रामू में दो-दो हाथ हो गए। |
दोनों हाथों में लड्डू होना | हर प्रकार से लाभ होना | अब अजय के तो दोनों हाथों में लड्डू है। |
दोनों हाथों से लुटाना | खूब खर्च करना | सुरेश बाप-दादों की संपत्ति दोनों हाथों से लुटा रहा है। |
दूर के ढोल सुहावने होना या लगना | दूर की वस्तु या व्यक्ति अच्छा लगना | जब मैंने वैष्णो देवी जाने को कहा तो पिताजी बोले कि तुम्हें दूर के ढोल सुहावने लग रहे है, चढ़ाई चढ़ोगे तब मालूम पड़ेगा। |
देवलोक सिधारना | मर जाना | रामू के पिताजी तो बहुत पहले देवलोक सिधार गए, पर मुझे आज ही ज्ञात हुआ है। |
दफा होना | चले जाना | अगर तुम वहाँ से दफा न हुए होते तो तुम्हारी खैर नहीं थी। |
दबदबा मानना | रौब मानना | सारे मुहल्ले के लोग आपके बेटे का दबदबा मानते है। |
दबे पाँव आना/जाना | बिना आहट किए आना/जाना | इस कमरे में दबे पाँव जाना क्योंकि अंदर बच्चा सो रहा है। |
दर-दर की खाक छानना/दर-दर-मारा-मारा फिरना | जगह-जगह की ठोकरें खाना | नौकरी के चक्कर में माधव दर-दर की खाक छानता फिर रहा है। |
दशा फिरना | अच्छे दिन आना | इतने दिनों से वह परेशान चल रही थी। जैसे ही दशा फिरी सब अच्छा-ही-अच्छा हो गया |
दाँत निपोरना | गिड़गिड़ाना | क्यों दाँत निपोरकर भीख माँग रहे हो, काम क्यों नहीं करते? |
दाने-दाने को तरसना | भूखों मरना | पिता की मृत्यु के कारण बच्चे दाने-दाने को तरसने लगे है। |
दाम खड़ा करना | उचित कीमत प्राप्त करना | आप चाहें तो अपनी पुरानी कार के दाम खड़े कर सकते है। |
दामन छुड़ाना | पीछा छुड़ाना | पति की मार सहना उसकी मजबूरी थी। बेचारी पति से दामन छुड़ाकर जाती भी कहाँ? |
दामन पकड़ना | किसी की शरण में जाना | मैं एक बार जिसका दामन पकड़ लेता हूँ, जीवन भर साथ नहीं छोड़ता। |
दाल गलना | युक्ति सफल होना | उसने मुझे फुसलाने की बहुत कोशिश की पर मेरे आगे उसकी दाल न गली। |
दाल रोटी चलना | जीवन निर्वाह होना | इतनी तनख्वाह मिल जाती है कि किसी तरह दाल-रोटी चल जाती है। |
दिल बल्लियों उछलना | बहुत खुश होना | नौकरी की खबर मिलते ही उसका दिलबल्लियों उछलने लगा। |
दिल्लगी करना | मजाक करना | हर समय दिल्लगी करना अच्छा नहीं लगता। |
दुकान बढ़ाना | दूकान बंद करना | लाला जी ने शाम को सात बजे दुकान बढ़ाई और घर की ओर चल दिए। |
दीवारों के कान होना | किसी गोपनीय बात के प्रकट हो जाने का खतरा | दीवारों के भी कान होते है। अतः तुम लोग बात करते समय सावधानी रखा करो। |
दुखती रग को छूना | मर्म पर आघात करना | उसकी दुखती रग को मत छुओ वरना वह रो पड़ेगी। |
दुम दबाकर भागना | डटकर भागना/चले जाना | पुलिस वाले को देखते ही चोर दुम दबाकर भाग गया। |
दुलत्ती झाड़ना | दोनों लातों से मारना | घोड़ा जब दुलत्ती झाड़ता है तब थोड़ी दूर रहना चाहिए। |
दुश्मनी मोल लेना | व्यर्थ की दुश्मनी करना | बैठे बिठाए दुश्मनी मोल लेना कोई अक्लमंदी नहीं है। |
दूध की लाज रखना | वीरोचित कार्य करना | माँ ने अपने बेटे को युद्ध में भेजते समय यही कहा था कि ‘बेटे मेरे दूध की लाज रखना। या तो जीत कर लौटना या शहीद हो जाना’। |
दूध पीता बच्चा | अबोध एवं निरपराध व्यक्ति | वह कोई दूध पीता बच्चा नहीं है जो हमेशा उसे टोकती रहती हो। |
दृष्टि फिरना | पहले जैसा प्रेम या स्नेह न रहना | यदि आपकी ही दृष्टि फिर गई तो हमलोग कहाँ जाएँगे? |
देखते रह जाना | दंग रह जाना | इतने छोटे बच्चे के करतब लोग देखते रह गए। |
देखते ही बनना | वर्णन न कर पाना | उन पहाड़ों की छटा देखते ही बनती थी। |
देह टूटना | शरीर में दर्द होना | लगता है इनफैक्शन हो गया है। सुबह से ही मेरी देह टूट रही है। |
देह भरना | मोटा हो जाना | पहले तो वह बहुत कमजोर था पर नौकरी के तीन महीने बाद ही उसकी देह भर गई। |
द्वार-द्वार फिरना | घर-घर भीख माँगना | बेचारा द्वार-द्वार फिरता है तब जाकर पेट भरने लायक भीख मिलती है। |
द्वार लगाना | दरवाजा बंद करना | उसने मुझे देखते ही द्वार लगा दिया था। |
दरदर भटकना | मारे-मारे फिरना | कभी तुलसीदास को भी दर-दर भटकना पड़ा था। |
दाल-भात का कौर समझना | आसान समझना | यह आई.ए.एस. की परीक्षा है। कोई दाल-भात का कौर नहीं। |
दहिना हाथ होना | सहायक होना | अनुग्रह बाबू श्री बाबू के दहिने हाथ थे। |
दिल्ली दूर होना | कार्य में विलंब होना | अभी दिल्ली दूर है। घबड़ाने से काम नहीं चलेगा। |
दीन-दुनिया की खबर न होना | संसार का कुछ भी पता न होना | जब से उसका विवाह हुआ, उसे दीन-दुनिया की खबर ही न रही। |
दीन दुनिया भूल जाना | सुध-बुध भूल बैठना | मजनूँ लैला के प्यार में दीन-दुनिया भूल गया था। |
धज्जियाँ उड़ाना | किसी के दोषों को चुन-चुनकर गिनाना | उसने उनलोगों की धज्जियाँ उड़ाना शुरू किया कि वे वहाँ से भाग खड़े हुए। |
धूप में बाल सफेद करना | बिना अनुभव के जीवन का बहुत बड़ा भाग बिता देना | रामू काका ने धूप में बाल सफेद नहीं किये है, उन्हें बहुत अनुभव है। |
धोबी का कुत्ता घर का न घाट का | जिसका कहीं ठिकाना न हो, निरर्थक व्यक्ति | जब से रामू की नौकरी छूटी है, उसकी दशा धोबी का कुत्ता घर न घाट का जैसी है। |
धतूरा खाए फिरना | उन्मत्त होना | लॉटरी खुलने पर अमित धतूरा खाए फिर रहा है। |
धन्नासेठ का नाती बनना | गरीब आदमी का बहुत गर्व करना | किशन के पास कुछ भी नहीं है, फिर भी धन्नासेठ का नातीबनता है। |
घब्बा लगना | कलंकित करना | मोहन ने चोरी करके खुद पर धब्बा लगा लिया। |
धमाचौकड़ी मचाना | उपद्रव करना | अंकुर और टीटू मिलकर बहुत धमाचौकड़ी मचातेहै। |
धुर्रे उड़ाना | बहुत अधिक मारना | ट्रेन में लोगों ने पॉकेटमार के धुर्रे उड़ा दिए। |
धूल फाँकना | मारा-मारा फिरना | बी.ए. पास करने के बाद कालू नौकरी के लिए धूल फाँक रहा है। |
धाक जमाना | रोब या दबदबा जमाना | वह जहाँ भी जाता है वहीं अपनी धाक जमा लेता है। |
धीरज बँधाना | सांत्वना देना | सब लोगों ने धीरज बँधाने की कोशिश की पर उसके आँसू न थमे। |
धुन का पक्का | लगन से काम करने वाला | जो धुन के पक्के होते है, वे काम पूरा करके ही छोड़ते है। |
धुन सवार होना | लगन लगना | अब उसे संगीत सीखने की धुन सवार हो गई है। |
धूनी रमाना | साधु या विरक्त हो जाना, कहीं पर जाकर निवास करना | हमारा क्या है? जहाँ कहीं भी धूनी रमा देंगे वहीं अपना किया बन जाएगा। |
धोखा देना | ठगना | चोर पुलिस को धोखा देकर भाग गया। |
धूल चाटना | खुशामद करना | पहले तो बहुत अकड़ रहे थे। जब पता चला कि मदन मंत्री का बेटा है तो लगे उसकी धूल चाटने। |
ध्यान में न लाना | विचार न करना | अपनी पत्नी की बातों को ध्यान में मत लाया करो वरना दुखी होते रहोगे। |
ध्यान से उतरना | भूलना | मैंने गाड़ी की चाबी कहाँ रख दी है यह मेरे ध्यान से उतर गया है। |
धता बताना | टालना, भागना | हमीद बड़ी ही उम्मीद से अफजल के यहाँ गया, लेकिन उसने तो धता बता दिया। |
धरना देना | अड़कर बैठना | सत्याग्रही मंत्री की कोठी के सामने धरना दे रहे है। |
धाँधली मचाना | झंझट करना, उपद्रव करना | इस विभाग में बड़ी धाँधली मची हुई है। |
धुनी रमाना | तप करना | भाई ! इसी उम्र में क्यों धुनी रमा रहे हो? |
धूल छानना | मारना-पीटना | बदमाशी करोगे, तो धूल झाड़ देंगे। |
धोती ढीली होना | डर जाना | मास्टर साहब के आते ही लड़के की धोती ढीली हो गई। |
धक्का देना | अपमान करना | तुम मुझे धक्का दो और मैं तुम्हारी आरती उतारूँ- ऐसा क्या संभव है? |
ध्यान बँटना | एकाग्रचित्त न होना | जब ध्यान बंट जाता है, तो पढ़ाई नहीं होती। |
नौ-दो ग्यारह होना | भाग जाना | बिल्ली को देखकर चूहे नौ दो ग्यारह हो गए। |
न इधर का, न उधर का | कहीं का नही | कमबख्त ने न पढ़ा, न बाप की दस्तकारी सीखी; न इधर रहा, न उधर का। |
नाकों दम करना | परेशान करना | पिछली लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को नाकों दम कर दिया। |
निन्यानबे के फेर में पड़ना | अत्यधिक धन कमाने में व्यस्त होना | आजकल रामू सब कुछ भूलकर निन्यानबे के फेर में पड़ा हुआ है। |
न घर का रहना न घाट का | दोनों तरफ से उपेक्षित होना | पढ़ाई छोड़ कर रोहन घर का रहा न घाट का, अब वह पछताता है। |
नमक हलाल करना | उपकार का बदला उतारना | कुत्ते ने मालिक के लिए अपनी जान दे कर अपना नमक हलाल कर दिया। |
नमक का हक अदा करना | बदला/ऋण चुकाना | यदि आप मेरी मदद करेंगे तो जीवन भर मैं आपके नमक का हक अदा करता रहूँगा। |
नमक-मिर्च लगाना | बढ़ा-चढ़ाकर कहना | मेरे भाई ने नमक-मिर्च लगाकर मेरी शिकायत पिता जी से कर डाली। |
नमकहराम होना | अकृतज्ञ होना | तुम जैसे नमकहराम लोगों पर कोई कैसे यकीन करेगा? |
नयनों का तारा | अत्यन्त प्रिय व्यक्ति या वस्तु | पिंटू अपने माता-पिता के नयनों का तारा है। |
नस-नस ढीली होना | बहुत थक जाना | दिनभर घर का काम करके माँ की नस-नस ढीली हो जाती है। |
नस-नस पहचानना | भली-भाँति अच्छी तरह जानना | माता-पिता अपने बच्चों की नस-नस पहचानते है। |
नाक में दम करना | बहुत परेशान करना | इस बच्चे ने तो नाक में दम कर दिया है। कितना ऊधम करता है ये! |
नाक में नकेल डालना | नियंत्रण में करना | अशोक ने मैनेजर बनकर सबकी नाक में नकेल डाल दी है। |
नाक ऊँची रखना | सम्मान या प्रतिष्ठा रखना | शांति हमेशा अपनी नाक ऊँची रखती है। |
नाक रगड़ना | बहुत अनुनय-विनय करना | सुरेश को नाक रगड़ने पर भी नौकरी नहीं मिली। |
नाकों चने चबाना | बहुत परेशान होना | शिवाजी से टक्कर लेकर मुगलों को नाकों चने चबाने पड़े। |
नाक का बाल होना | बहुत प्यारा होना | इन दिनों हरीश अपने प्रधानाध्यापक की नाक का बाल बना हुआ है। |
नाक रखना | इज्जत रखना | आई.ए.एस. की परीक्षा में प्रथम आकर मेरी बेटी ने मेरी नाक रख ली। |
नाक काटना | इज्जत जाना | पोल खुलते ही सबके सामने उसकी नाक कट गई। |
नाक कटना | प्रतिष्ठा या मर्यादा नष्ट होना | माँ ने बेटी को समझाया कि कोई ऐसा काम न करना जिससे उनकी नाक कट जाए। |
नाम उछालना | बदनामी करना | छात्रों ने बेमतलब ही संस्कृति के आचार्य जी का नाम उछाल दिया कि ये बच्चों को मारते है। |
नाम डुबोना | प्रतिष्ठा, मर्यादा आदि खोना | सीमा ने घर से भाग कर अपने माँ-बाप का नाम डुबो दिया। |
नाव या नैया पार लगाना | सफलता या सिद्धि प्रदान करना | ईश्वर सदा मेहनती व्यक्ति की नाव/नैया पार लगाता है। |
नीला-पीला होना | बहुत क्रोध करना | राजू के होमवर्क करके न लाने पर स्कूल में अध्यापक नीले-पीले हो रहे थे। |
नंगा कर देना | असलियत प्रकट कर देना | यदि ज्यादा बक-बक करोगे तो सबके सामने नंगा कर दूँगा। |
नंगा नाच करना | खुलेआम नीच काम करना | मुहल्ले में गुंडे नंगा नाच करते है और पुलिस कुछ करना ही नहीं चाहती। |
नंबर दो का पैसा/रुपया | अवैध धन | सारे नेता नंबर दो के पैसे को स्विस बैंक में जमा करने में लगे है। |
नशा उतरना/काफूर होना | घमण्ड दूर होना | व्यापार में घाटा होते ही सेठ जी का नशा उतर गया/काफूर हो गया। |
नकेल हाथ में होना (किसी की) | सभी प्रकार से अधिकार में होना | उसकी नकेल मेरे हाथ में है। मेरे सामने कुछ भी नहीं कर पाएगा। |
न लेना न देना | कोई संबंध न रखना | रोहन का अपनी पत्नी से न लेना है न देना। दोनों अलग हो गए है। |
नखरे उठाना | खुशामद करना | मैं किसी के नखरे नहीं उठा सकता। जो मुझे उचित लगेगा वही करूँगा। |
नजर अंदाज करना | उपेक्षा करना | धनवान बच्चों के सामने गरीब बच्चों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। |
नजर उतारना | बुरी दृष्टि के प्रभाव को मंत्र आदि युक्ति से दूर करना | लगता है तुम्हें लोगों की नजर लग जाती है, इसलिए जल्दी-जल्दी बीमार पड़ जाती हो। इस बार किसी साधु-संत से नजर उतरवा लो। |
नजर डालना | देखना | यदि आप इस तरफ नजर डालेंगे तो आपको सब समझ में आ जाएगा। |
नजरबंद करना | जेल में रखना | गाँधी जी को अंग्रेजों ने कईं बार नजरबंद करके रखा था। |
नजर बचाकर | चुपके से | माता-पिता की नजर बचाकर वह सिनेमा देखने आई थी। |
नजर से गिरना | प्रतिष्ठा कम करना | जो लोग अपने बड़ों की नजर में गिर जाते है उनको कोई नहीं पूछता। |
नब्ज छूटना | मर जाना | सेठजी की नब्ज छूटते ही सब लोग रोने चिल्लाने लगे। |
नसीब फूटना | भाग्य का प्रतिकूल होना | हमारे तो नसीब फूटे थे जो इस शहर में आकर बसे। |
नाक के नीचे | बहुत निकट | आपकी नाक के नीचे आपका नौकर चोरी करता रहा और आपको तब पता चला जब उसने सारा खजाना खाली कर दिया। |
नानी मर जाना | बहुत कष्ट होना | थोड़ा-सा भी काम बढ़ जाता है तो तुम्हारी नानी क्यों मर जाती है? |
नाम कमाना | ख्याति प्राप्त करना | कंप्यूटर के क्षेत्र में मेरे बेटे ने बहुत नाम कमाया है। |
नाक भौं चढ़ाना | घृणा प्रदर्शित करना | इस जगह को देखकर नाक-भौं मत चढ़ाओ। इतनी खराब जगह नहीं है यह। |
नाक पर मक्खी न बैठने देना | अपने ऊपर किसी भी प्रकार का आक्षेप न लगने देना | जो अपनी नाक पर मक्खी तक नहीं बैठने देता वह इस बेईमानी के धंधे में हमारी मदद करेगा, यह तो संभव ही नहीं। |
नुक़्ताचीनी करना | दोष दिखाना, आलोचना करना | तुम हर बात में नुक्ताचीनी क्यों करती हो, कोई भी बात सीधे क्यों नहीं मान लेती हो। |
निछावर करना | बलिदान करना | अनेक देशभक्तों ने देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। |
नींद हराम करना | चिंता आदि के कारण सो न पाना | बेटी के विवाह की चिंता में वर्मा जी की नींद हराम हो गई है। |
नींव डालना | शुभ कार्य आरंभ करना | जैसी नींव डालोगे वैसी ही इमारत खड़ी होगी। अतः बच्चों को शुरू से ऐसी शिक्षा दो कि उनकी नींव मजबूत हो। |
नीचा दिखाना | अपमानित करना | जो दूसरों को अकारण नीचा दिखाने की कोशिश करते है एक दिन खुद गड्ढ़े में गिरते है। |
नोंक-झोंक होना | कहा-सुनी होना | वैसे तो इनमें गहरी दोस्ती है, पर कभी-कभी नोंक-झोंक होती रहती है। |
नौकरी बजाना | कर्तव्यों का पालन करना | मैं तो ईमानदारी से अपनी नौकरी बजाता हूँ, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। |
नौबत आना | संयोग उपस्थित होना | अब यह नौबत आ गई है कि कोई एक गिलास पानी तक को नहीं पूछता। |
पेट काटना | अपने भोजन तक में बचत | अपना पेट काटकर वह अपने छोटे भाई को पढ़ा रहा है। |
पानी उतारना | इज्जत लेना | भरी सभा में द्रोपदी को पानी उतारने की कोशिश की गयी। |
पेट में चूहे कूदना | जोर की भूख | पेट में चूहे कूद रहे है। पहले कुछ खा लूं, तब तुम्हारी सुनूँगा। |
पहाड़ टूट पड़ना | भारी विपत्ति आना | उस बेचारे पर तो दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा। |
पट्टी पढ़ाना | बुरी राय देना | तुमने मेरे बेटे को कैसी पट्टी पढ़ाई कि वह घर जाता ही नहीं? |
पौ बारह होना | खूब लाभ होना | क्या पूछना है ! आजकल तुम व्यापारियों के ही तो पौ बारह है। |
पाँचों उँगलियाँ घी में होना | पूरे लाभ में | पिछड़े देशों में उद्योगियों और मेहनतकशों की हालत पतली रहती है तथा दलालों, कमीशन एजेंटों और नौकरशाहों की ही पाँचों उँगलियाँ घी में रहता है। |
पगड़ी रखना | इज्जत बचाना | हल्दीघाटी में झाला सरदार ने राजपूतों की पगड़ी रख ली। |
पगड़ी उतारना | अपमानित करना | दहेज-लोभियों ने सीता के पिता की पगड़ी उतार दी। |
पानी-पानी होना | अधिक लज्जित होना | जब धीरज की चोरी पकड़ी गई तो वह पानी-पानी हो गया। |
पत्ता कटना | नौकरी छूटना | मंदी के दौर में मेरी कंपनी में दस लोगों का पत्ता कट गया। |
परछाई से भी डरना | बहुत डरना | राजू तो अपने पिताजी की परछाई से भी डरता है। |
पर्दाफाश करना | भेद खोलना | महेश मुझे बात-बात पर धमकी देता है कि यदि मैं उसकी बात नहीं मानूँगा तो वह मेरा पर्दाफाश कर देगा। |
पर्दाफाश होना | भेद खुलना | रामू ने बहुत छिपाया, पर कल उसका पर्दाफाश हो ही गया। |
पल्ला झाड़ना | पीछा छुड़ाना | मैंने उसे उधार पैसे नहीं दिए तो उसने मुझसे पल्ला झाड़ लिया। |
पाँव तले से धरती खिसकना | अत्यधिक घबरा जाना | बस में जेब कटने पर मेरे पाँव तले से धरती खिसक गई। |
पाँव फूलना | डर से घबरा जाना | जब चोरी पकड़ी गई तो रामू के पाँव फूल गए। |
पानी का बुलबुला | क्षणभंगुर, थोड़ी देर का | संतों ने ठीक ही कहा है- ये जीवन पानी का बुलबुला है। |
पानी फेरना | समाप्त या नष्ट कर देना | मित्र! तुमने तो सब किये कराए पर पानी फेर दिया। |
पारा उतरना | क्रोध शान्त होना | जब मोहन को पैसे मिल गए तो उसका पारा उतर गया। |
पारा चढ़ना | क्रोधित होना | मेरे दादाजी का जरा-सी बात में पारा चढ़ आता है। |
पेट का गहरा | भेद छिपाने वाला | कल्लू पेट का गहरा है, राज की बात नहीं बताता। |
पेट का हल्का | कोई बात न छिपा सकने वाला | रामू पेट का हल्का है, उसे कोई बात बताना बेकार है। |
पटरा कर देना | चौपट कर देना | इस वर्ष के अकाल ने तो पटरा कर दिया। |
पट्टी पढ़ाना | गलत सलाह देना | किसी को पट्टी पढ़ाना अच्छी बात नहीं। |
पत्थर का कलेजा | कठोर हृदय व्यक्ति | शेरसिंह का पत्थर का कलेजा है तभी अपने माता-पिता के देहांत पर उसकी आँखों में आँसू नहीं थे। |
पत्थर की लकीर | पक्की बात | पंडित जी की बात पत्थर की लकीर है। |
पर्दा उठना | भेद प्रकट होना | आज सच्चाई से पर्दा उठ ही गया कि मुन्ना धनवान है। |
पलकों पर बिठाना | बहुत अधिक आदर-स्वागत करना | रामू ने विदेश से आए बेटों को पलकों पर बिठा लिया। |
पलकें बिछाना | बहुत श्रद्धापूर्वक आदर-सत्कार करना | नेताजी के आने पर सबने पलकें बिछा दीं। |
पाँव धोकर पीना | अत्यन्त सेवा-शुश्रुषा और सत्कार करना | रमा अपनी सासुमाँ के पाँव धोकर पीती है। |
पॉकेट गरम करना | घूस देना | अदालत में पॉकेट गर्म करने के बाद ही रामू का काम हुआ। |
पीठ की खाल उधेड़ना | कड़ी सजा देना | कक्षा में शोर मचाने पर अध्यापक ने रामू की पीठ की खाल उधेड़ दी। |
पीठ ठोंकना | शाबाशी देना | कक्षा में फर्स्ट आने पर अध्यापक ने राजू की पीठ ठोंक दी। |
प्राण हथेली पर लेना | जान खतरे में डालना | सैनिक प्राण हथेली पर लेकर देश की रक्षा करते है। |
प्राणों पर खेलना | जान जोखिम में डालना | आचार्य जी डूबती बच्ची को बचाने के लिए अपने प्राणों पर खेल गए। |
पंख लगना | विशेष चतुराई के लक्षण प्रकट करना | मधु के तो पंख लग गए है, उसे बहस में हरा पाना आसान नहीं है। |
पंथ निहारना/देखना | प्रतीक्षा करना | गोपियाँ पंथ निहारती रहीं पर कृष्ण कभी वापस न आए। |
पत्ता खड़कना | आशंका होना | अगर यहाँ पत्ता भी खड़केगा तो मुझे खबर मिल जाएगी, इसलिए आप निश्चिंत होकर अपना काम कीजिए। |
पर कटना | अशक्त हो जाना | इस लड़के के पर काटने पड़ेंगे बहुत बक-बक करने लगा है। |
पलक-पाँवड़े बिछाना | बहुत श्रद्धापूर्वक स्वागत करना | गाँधी जी जिस गाँव से भी निकल जाते थे लोग उनके स्वागत में पलक-पाँवड़े बिछा देते थे। |
पलकों में रात बीतना | रातभर नींद न आना | रात को कॉफी क्या पी, पलकों में ही सारी रात बीत गई। |
पल्ला छुड़ाना | छुटकारा पाना | मुझे इस काम में फँसाकर आप मुझसे पल्ला क्यों छुड़ाना चाहते है? |
पल्ला पकड़ना | आश्रय लेना | अब पल्ला पकड़ा है तो जीवनभर साथ निभाना होगा। |
पसीने की कमाई | मेहनत से कमाई हुई संपत्ति | भाई साहब! यह मेरे पसीने की कमाई है, मैं ऐसे ही नहीं लुटा सकता। |
पाँव पड़ना | बहुत अनुनय-विनय करना | मेरे पाँव पड़ने से कुछ न होगा, जाकर अपने अध्यापक से माँफी माँगो। |
पाँव में बेड़ी पड़ना | स्वतंत्रता नष्ट हो जाना | मल्लिका का विवाह क्या हुआ बेचारी के पाँवों में बेड़ी पड़ गई है, उसके सास-ससुर उसे कहीं आने-जाने ही नहीं देते। |
पाँवों में मेंहदी लगना | कहीं जाने में अशक्त होना | तुम्हारे पाँवों में क्या मेंहदी लगी है जो तुम बाजार तक जाकर सब्जी भी नहीं ला सकते? |
पाँसा पलटना | भाग्य का प्रतिकूल होना | पता नहीं कब क्या से क्या हो जाए? पाँसा पलटते देर नहीं लगती। |
पानी जाना | प्रतिष्ठा नष्ट होना | मनुष्य का यदि एक बार पानी चला जाए तो दुबारा वैसा ही सम्मान वापस नहीं मिलता। |
पानी की तरह रुपया बहाना | अन्धाधुन्ध खर्च करना | सेठजी ने सेठानी के इलाज पर पानी की तरह रुपया बहाया पर कुछ न हो सका। |
पापड़ बेलना | कष्टमय जीवन बिताना, बहुत परिश्रम करना | कितने पापड़ बेले है तब जाकर यह छोटी-सी नौकरी मिली है। |
पाप का घड़ा भरना | पाप का पराकाष्ठा पर पहुँचना | वह दुष्ट समझता था कि उसके पापों का घड़ा कभी भरेगा ही नहीं, पर समय किसी को नहीं छोड़ता। |
पार लगाना | उद्धार करना | ईश्वर पर भरोसा रखो। वे ही हमारी नैया पार लगाएँगे। |
पाला पड़ना | वास्ता पड़ना | मुझसे पाला पड़ा होता तो उसके होश ठिकाने आ जाते। |
पासा पलटना | स्थिति उलट जाना | क्या करें पास ही पलट गया। सोचा कुछ था हो कुछ गया। |
पिंड छुड़ाना | पीछा छुड़ाना | बड़ा दुष्ट है वह। उससे पिंड छुड़ाना बहुत मुश्किल है। |
पिल पड़ना | किसी काम के पीछे बुरी तरह लग जाना | बर्तन में रखे दूध पर बिल्लियाँ ऐसे पिल पड़ीं कि सारा दूध जमीन पर फैल गया। |
पीछा छुड़ाना | जान छुड़ाना | बड़ी मुश्किल से मैं उससे पीछा छुड़ाकर आया हूँ। |
पीठ दिखाना | हारकर भागना/पीछे हटना | पाकिस्तानी सेना पीठ दिखाकर भाग निकली। |
पीस डालना | नष्ट कर देना | जो मुझसे टक्कर लेगा उसे मैं पीस डालूँगा। |
पुरजा ढीला होना | व्यक्ति का सनकी हो जाना | मदन लाल के दिमाग का पुरजा ढीला हो गया है। उसे पता ही नहीं चलता कि क्या बोल रहा है? |
पूरा न पड़ना | कमी पड़ना | मेहमान अधिक आ गए है शायद इतना खाना पूरा न पड़े? |
पेट पर लात मारना | रोजी ले लेना | मैं किसी के पेट पर लात मारना नहीं चाहता वरना अब तक तो उसे नौकरी से बाहर कर दिया होता। |
पेट पीठ एक होना | बहुत दुर्बल होना | तीन माह की बीमारी में रमेश के पेट-पीठ एक हो गए है। |
पेट में दाढ़ी होना | बहुत चालाक होना | उसे सीधा मत समझना। उसके पेट में दाढ़ी है, किसी भी दिन चकमा दे सकता है। |
पेट में बात न पचना | कोई बात छिपा न सकना | उसे हर बात मत बताया करो क्योंकि उसके पेट में कोई बात नहीं पच ती। |
पेट में बल पड़ना | इतना हँसना कि पेट दुखने लगे | आज सब लोगों ने जो चुटकले सुनाए उन्हें सुनकर सब लोगों के पेट में बल पड़ गए। |
पैंतरे बदलना | नई चाल चलना | रामेश्वर से सावधान रहना। वह हर बार पैंतरे बदलता है। |
पैर उखड़ना | भाग जाना | युद्ध में कौरवों की सेना के पैर उखड़ गए। |
पैर न टिकना | कहीं स्थायी रूप से कुछ समय भी न रहना | तुम्हारा कभी पैर क्यों नहीं टिकता? |
पैर फैलाकर सोना | निश्चिंत रहना | बेटी का विवाह हो जाए फिर पैर फैला कर सोऊँगा। |
पोल खुलना | किसी का छुपा हुआ दोष सामने आ जाना | जब तुम्हारी पोल खुल जाएगी तब ये ही लोग तुम्हारा क्या हाल करेंगे तुम्हें अनुमान नहीं है। |
पोल खोलना | रहस्य प्रकट करना | आखिर एक दिन पोल खुली कि वह पैसा कहाँ से लाता है। |
पैसा खींचना | ठग कर किसी से धन लेना | उसने उससे पैसे खींच लिए। |
पैसा डूबना | हानि होना | इस कारोबार में मेरा पैसा डूब गया। |
पौ फटना | प्रातः काल होना | पौ फटते ही पिता जी घर से निकल पड़े। |
प्रशंसा के पुल बाँधना | बहुत तारीफ करना | आज तो समारोह में सभाध्यक्ष ने शर्मा जी की प्रशंसा के पुल बाँध दिए। |
प्राणों की बाजी लगाना | जान की परवाह न करना | चिंता मत करो। प्राणों की बाजी लगाकर वह तुम्हारी रक्षा करेगा। |
प्राण सूखना | बहुत घबरा जाना | जंगल में शेर की आवाज सुनते ही हमलोगों के प्राण सूख गए। |
प्राण हरना | मार डालना | शेर ने एक ही झपट्टे में बेचारे हिरण के प्राण हर लिया। |
फूलना-फलना | धनवान या कुलवान होना | मेरा आशीर्वाद है; सदा फूलो-फलो। |
फटे में पाँव देना | दूसरे की विपत्ति अपने ऊपर लेना | शर्मा जी की फटे में पाँव देने की आदत है। |
फल चखना | कुपरिणाम भुगतना | वह जैसा कर्म करेगा, वैसा फल चखेगा। |
फुलझड़ी छोड़ना | कटाक्ष करना | गुप्ता जी तो कोई न कोई फुलझड़ी छोड़ते ही रहते है। |
फूट डालना | मतभेद पैदा करना | अंग्रेजों ने फूट डालकर भारत पर राज किया था। |
फूला न समाना | अत्यन्त आनन्दित होना | जब रवि कक्षा 10 में पास हो गया तो वह फूला नहीं समाया। |
फूँककर पहाड़ उड़ाना | असंभव कार्य करना | धीरज फूँककर पहाड़ उड़ाना चाहता है। |
फूंक-फूंककर कदम रखना | सोच-समझकर काम करना | एक बार नुकसान उठा लिया अब तो फूंक-फूंक कर कदम रखो। |
फूटी आँखों न सुहाना | तनिक भी अच्छा न लगना | झूठ बोलने वाले लोग मुझे फूटी आँख नहीं सुहाते। |
फटे हाल होना | बहुत गरीब होना | जो बेचारा खुद फटे हाल है वह दूसरों की क्या मदद करेगा। |
फूँक निकल जाना | भयभीत होना | बहुत बढ़-चढ़कर बोल रहा था। जैसे ही प्रधानाचार्य आए उसकी फूँक निकल गई। |
फूटी कौड़ी भी न होना | बहुत गरीब होना | मेरे पास तो फूटी कौड़ी भी नहींहै, मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता। |
फूट-फूटकर रोना | बहुत रोना | परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने की खबर सुनकर वह फूट-फूटकर रोने लगी। |
फूलकर कुप्पा हो जाना | बहुत खुश होना | नौकरी लगने की खबर सुनते ही वह फूलकर कुप्पा हो गया। |
फक हो जाना | घबड़ा जाना | ज्यों ही मैंने उससे एक हिसाब पूछा कि वह फ़क हो गया। |
फंदे में फँसना | जाल में फँसना | जब तुम किसी बदमाश के फंदे में फँसोगे, तो पता चलेगा। |
फंदे में पड़ना | धोखे में पड़ना | क्या तुम्हारे जैसा चतुर व्यक्ति भी किसी के फंदे में पड़ सकता है? |
फब्तियाँ कसना | व्यंग्य करना | फब्तियाँ कसने की आदत छोड़ो। |
फाख्ता उड़ाना | गुलछर्रे उड़ाना | दूसरे की कमाई पर फाख्ता उड़ाए जाओ, जब स्वयं कमाने लगोगे तो आटे-दाल का भाव मालूम होगा। |
फूल सूँघकर रहना | बहुत थोड़ा खाना | क्या आप फूल सूँघकर रहतेहै, जो इतना दुर्बल हो गये है। |
फ़ूलों से तौला जाना | अतीव कोमल होना | रानी तो फूलों से तौली जाती है। |
बीड़ा उठाना | दायित्व लेना | गांधजी ने भारत को आजाद करने का बीड़ा उठाया था। |
बाजी ले जाना या मारना | जीतना | देखें, दौड़ में कौन बाजी ले जाता या मारता है। |
बेसिर-पैर की बात करना | व्यर्थ की बात करना | वह तो जब भी देखो, बेसिर-पैर की बात करता है। |
बगलें झाँकना | उत्तर न दे सकना | अध्यापक के सवाल पर राजू बगलें झाँकने लगा। |
बगुला भगत | ढोंगी व्यक्ति | वो साधु तो बगुला भगत निकला, सबको लूटकर भाग गया। |
बाग-बाग होना | बहुत खुश होना | जब राम अपनी कक्षा में फर्स्ट आया तो उसके माता-पिता का दिल बाग-बाग हो गया। |
बोलबाला होना | ख्याति होना | शहर में सेठ रामचंदानी का बहुत बोलबाला है। |
बखिया उधेड़ना | भेद या राज खोलना या पोल खोलना | आज अजय ने रामू की बखिया उधेड़ दी। |
बाँसों उछलना | बहुत खुश होना | जब बेरोजगार राजू को नौकरी मिल गई तो वह बाँसों उछल रहा था। |
बाट जोहना | इन्तजार अथवा प्रतीक्षा करना | रामू की माँ परदेस गए बेटे की कब से बाट जोह रही है। |
बात को गाँठ में बाँधना | स्मरण/याद रखना | मित्र, मेरी बात को गाँठ में बाँध लो, तुम अवश्य सफल होओगे। |
बात खुलना | रहस्य खुलना | कल सबके सामने रमेश की बात खुल गई। |
बात बनाना | झूठ बोलना | मोहन अब बात बनाना भी सीख गया है। |
बुद्धि पर पत्थर पड़ना | अक्ल काम न करना | आज उसकी बुद्धि पर पत्थर पड़ गए तभी तो उसने 10 लाख का मकान 2 लाख में बेच दिया। |
बेपेंदी का लौटा | किसी की तरफ न टिकने वाला | वह नेता तो बेपेंदी का लौटा है- कभी इस पार्टी में तो कभी उस पार्टी में चला जाता है। |
बछिया का ताऊ | मूर्ख व्यक्ति | धीरू तो बछिया का ताऊ है। |
बधिया बैठना | बहुत घाटा होना | नए रोजगार में तो पवन की बधिया ही बैठ गई। |
बहत्तर घाट का पानी पीना | अनेक प्रकार के अनुभव प्राप्त करना | काका जी बहत्तर घाट का पानी पी चुके है, उनको कोई धोखा नहीं दे सकता। |
बाएं हाथ का खेल | बहुत सुगम कार्य | रामू ने कहा कि कबड्डी में जीतना तो उसके बाएं हाथ का खेल है। |
बारह बाट करना | तितर-बितर करना | भाई-भाई की लड़ाई ने राम और श्याम को बारह बाट कर दिया। |
बाल की खाल निकालना | छोटी से छोटी बातों पर तर्क करना | सूरज तो हमेशा बाल की खाल निकालता रहता है। |
बाल बाँका न होना | जरा भी हानि न होना | जिसकी रक्षा ईश्वर करता है उसका बाल भी बाँका नहीं हो सकता। |
बुढ़ापे की लाठी | बुढ़ापे का सहारा | रामदीन का बेटा उसके बुढ़ापे का लाठी था, वह भी विदेश चला गया। |
बहती गंगा में हाथ धोना | समय का लाभ उठाना | हर आदमी बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है चाहें उसमें क्षमता हो या न हो। |
बगलें झाँकना | उत्तर न दे सकना | साक्षात्कार के समय प्रत्येक प्रश्न के उत्तर में वह बगलें झाँकने लगा था। |
बट्टा लगाना | कलंकित होना, दाग लगना | चोरी करके उसने अपने माँ-बाप के नाम पर बट्टा लगा दिया। |
बदन में आग लग जाना | बहुत क्रोध आना | राजेश की झूठी बातें सुनकर मेरे बदन में आग लग गई। |
बधिया बैठना | बहुत घाटा होना | आमदनी कम, खर्चे अधिक। बधिया तो बैठनी ही थी। |
बना बनाया खेल बिगड़ जाना | सिद्ध हुआ काम खराब हो जाना | तुम्हारी एक छोटी-सी गलती से सारा बना बनाया खेल ही बिगड़ गया। |
बलि जाना | न्योछावर होना | मीरा कृष्ण के हर रूप पर बलि जाती थी। |
बरस पड़ना | क्रोधित होना | मुझे देखते ही अध्यापक क्यों इतना बरस पड़े? |
बाँछें खिल जाना | बहुत प्रसन्न होना | बेटे को नौकरी मिलने की खबर सुनते ही शर्मा जी की बाँछें खिल गई। |
बाँह चढ़ाना | लड़ने को तैयार होना | इस तरह से बाँह चढ़ाकर बात करने से समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। बैठकर शांति से बात करो। |
बाँह पकड़ना | शरण में लेना | किसी बड़े आदमी की बाँह पकड़ लो, बेड़ा पार हो जाएगा। |
बाज न आना | बुरी आदत न छोड़ना | सब लोगों ने इतना समझाया फिर भी वह अपनी आदतों से बाज नहीं आता। |
बात का बतंगड़ बनाना | छोटी-सी बात को बहुत बढ़ा देना | बात का बतंगड़ मत बनाओ और इस किस्से को यहीं समाप्त करो। |
बात न पूछना | परवाह न करना | जब उसका अपना बेटा ही बात नहीं पूछता तो दूसरा कोई क्या मदद करेगा? |
बात बढ़ना | झगड़ा होना | बात ही बात में इतनी बात बढ़ गई कि दोनों ओर से चाकू-छुरियाँ निकल आई। |
बाल-बाल बचना | मुश्किल से बचना | विमान दुर्घटना में सभी यात्री बाल-बाल बच गए। |
बात का धनी होना | वायदे का पक्का होना | वह अपनी बात का धनी है। यदि उसने आने का वायदा किया है तो अवश्य आएगा। |
बेड़ा गर्क करना | नष्ट करना | तुमने मेरा बेड़ा गर्क कर दिया है। अब मैं तुम्हारे साथ काम नहीं कर सकता। |
बे पर की उड़ाना | निराधार बातें करना | मेरे सामने बे पर की मत उड़ाया करो। वही बातें किया करो जिनका कोई प्रमाण हो। |
बुरा फँसना | झंझट में पड़ना | मैं इस खराब रास्ते में गाड़ी लाकर बुरा फँसा। |
बुरा मानना | नाराज होना | बूढ़े की बातों का बुरा न मानना चाहिए। |
बेवक्त की शहनाई बजाना | अवसर के प्रतिकूल कार्य करना | पूजा के अवसर पर सिनेमा के गीत सुना कर लोग बेवक्त की शहनाई बजाते है। |
बोलती बंद करना | भय से आवाज न निकलना | मैंने उसे ऐसी डाँट बताई कि उसकी बोलती बंद हो गई। |
भीगी बिल्ली होना | डर से दबना | वह अपने शिक्षक के सामने भीगी बिल्ली हो जाता है। |
भानमती का कुनबा जोड़ना | अलग-अलग तरह की चीजें जोड़ना या इकट्ठा करना | राजू ने अपने ऑफिस में भानमती का कुनबा जोड़ा हुआ है, उसमें सभी तरह के लोग है। |
भंडा फूटना | पोल खुलना | भंडा फूटने के डर से रवि मीटिंग से उठ कर चला गया। |
भंडा फोड़ना | पोल खोलना | जरा-सी कहासुनी पर महेश ने रवि का भंडा फोड़ दिया। |
भगवान को प्यारे हो जाना | मर जाना | सोनू के नानाजी कल भगवान को प्यारे हो गए। |
भरी थाली में लात मारना | लगी लगाई नौकरी छोड़ना | राजू ने भरी थाली में लात मारकर अच्छा नहीं किया। |
भांजी मारना | किसी के बनते काम को बिगाड़ना | रामू के विवाह में उसके ताऊ ने भांजी मार दी। |
भेड़ की खाल में भेड़िया | देखने में सरल तथा भोलाभाला, पर वास्तव में खतरनाक | कालू तो भेड़ की खाल में भेड़िया है। |
भैंस के आगे बीन बजाना | वज्र मूर्ख के सामने बुद्धिमानी की बातें करना | राजू को कोई बात समझाना तो भैंस के आगे बीन बजाना है। |
भौंहे टेढ़ी करना | क्रोध आना | पिताजी की जरा भौंहे टेढ़ी करते ही पिंटू चुप हो गया। |
भनक पड़ना | सुनाई पड़ना | पुजारी जी ने अपनी लड़की की शादी कर दी और किसी को भनक तक नहीं पड़ी। |
भाड़ झोंकना | व्यर्थ समय नष्ट करना | अगर पढ़ाई-लिखाई नहीं करोगे तो सारी जिंदगी भाड़ झोंकोगे। |
भाड़े का टट्टू | किराए का आदमी | इस तरह के काम भाड़े के टट्टुओं से नहीं होते। खुद मेहनत करनी पड़ती है। |
भूत चढ़ना या सवार होना | किसी काम में पूरी तरह लग जाना | उस पर आजकल परीक्षा का भूत सवार है। दिन रात पढ़ने में ही लगी रहती है। |
भूत उतरना | क्रोध शांत होना | उससे कुछ मत कहो। जब भूत उतर जाएगा तब खुद ही शांत हो जाएगा। |
भूत बनकर लगना | जी-जान से लगना | वह तो मेरे पीछे भूत बनकर लग गया है, छोड़ने का नाम ही नहीं लेता। |
भृकुटि तन जाना | क्रोध आना | मेरी बात सुनते ही अध्यापक महोदय की भृकुटि तन गई। |
भोग लगाना | देवता/ईश्वर को नैवेद्य चढ़ाना | मैं पहले ठाकुरजी को भोग लगाऊँगा तब नाश्ता करूँगा। |
भभूत रमाना | साधु हो जाना | बेचारे की पत्नी मरी, तो उसने भभूत रमा लिया। |
भर नजर देखना | अच्छी तरह देखना | आओ, तुझे भर नजर देख लूँ, पता नहीं फिर कब मुलाकात होती है? |
भँवरा बना फिरना | रस-लोलुप होना | इन दिनों कुमार भँवरा बना फिरता है। |
भाग्य खुलना | भाग्य चमकना | देखें, हमारा भाग्य कब खुलता है? |
भाग्य फूटना | किस्मत बिगड़ना | भाग्य फूट गया जो तुमसे संबंध किया। |
भुजा उठा कर कहना | प्रतिज्ञा करना | ”निशिचरहीन करौं महीं, भुज उठाइ पन कीन्ह”। |
भूँजी भाँग न होना | अत्यंत दरिद्र होना | घर भूँजी भाँग नहीं और दरवाजे पर तमाशा करा रहे है। |
मुँह धो रखना | आशा न रखना | यह चीज अब मिलने को नही मुँह धो रखिए। |
मुँह में पानी आना | लालच होना | मिठाई देखते ही उसके मुँह में पानी भर आया। |
मैदान मारना | बाजी जीतना | पानीपत की लड़ाई में आखिर अब्दाली ही मैदान मारा। |
मैदान साफ होना | कोई रुकावट न होना | जब रात को सब लोग सो गए और पुलिस वाले भी चले गए तो चोरों को लगा कि अब मैदान साफ है और सामने वाले घर में घुसा जा सकता है। |
मिट्टी के मोल बिकना | बहुत सस्ता | जो चीज मिट्टी के मोल थी आज की मँहगाई में सोने के भाव बिक रही है। |
मुट्ठी गरम करना | घूस देना | मुट्ठी गर्म करने के बाद ही क्लर्क बाबू ने मेरा काम किया। |
मुँह बंद कर देना | शांत कराना | तुम धमकी देकर मेरा मुँह बंद कर देना चाहते हो |
मीठी छुरी | छली-कपटी मनुष्य | वह तो मीठी छुरी है, मैं उसकी बातों में नहीं आती। |
मुँह अँधेरे | बहुत सवेरे | वह नौकरी के लिए मुँह अँधेरे निकल जाता है। |
मुँह काला होना | अपमानित होना | उसका मुँह काला हो गया, अब वह किसी को क्या मुँह दिखाएगा। |
मुँह की खाना | हारना/पराजित होना | इस बार तो राजू पहलवान ने मुँह की खाई है, पिछली बार वह जीता था। |
मक्खन लगाना | चापलूसी करना | चपरासी को मक्खन लगाने के बाद भी रामू का काम नहीं बना। |
मक्खी मारना | बेकार रहना | पढ़-लिखकर श्यामदत्त मक्खी मार रहा है। |
मगजपच्ची करना | समझाने के लिए बहुत बकना | इस काठ के उल्लू के साथ कौन मगजपच्ची करे। |
मगरमच्छ के आँसू | दिखावटी सहानुभूति प्रकट करना | राम के फेल होने पर उसके साथी मगरमच्छ के आँसू बहाने लगे। |
मरने को भी छुट्टी न होना | अत्यधिक व्यस्त रहना | आचार्य जी के पास तो मरने की भी छुट्टी नहीं होती। |
मरम्मत करना | मारना-पीटना | माँ ने सुबह-सुबह टीटू की मरम्मत कर दी। |
मस्तक ऊँचा करना | प्रतिष्ठा बढ़ाना | डॉक्टरी पास करके रवि ने अपने माँ-बाप का मस्तक ऊँचा कर दिया। |
महाभारत मचाना | खूब लड़ाई-झगड़ा करना | सोनू और मोनू दोनों बहन-भाई सुबह से महाभारत मचा रहे है। |
मांग उजाड़ना | विधवा होना | युवावस्था में ही सीमा की मांग उजड़ गई। |
मिजाज आसमान पर होना | बहुत घमंड होना | नई कार खरीदने के बाद शंभू का मिजाज आसमान पर हो गया है। |
मिट्टी डालना | किसी के दोष को छिपाना | बच्चों की गलतियों पर मिट्टी नहीं डालनी चाहिए। |
मुँह पर कालिख लगना | कलंकित होना | चोरी करते पकड़े जाने पर राजू के मुँह पर कालिख लग गई। |
मुँह पर ताला लगना | चुप रहने के लिए विवश होना | कक्षा में अध्यापक के आने पर सब छात्रों के मुँह पर ताला लग जाता है। |
मुँह पर थूकना | बुरा-भला कहना | कालू की करतूत देखकर सब उसके मुँह पर थूक गए। |
मुँह फुलाना | अप्रसन्नता या असंतुष्ट होकर रूठकर बैठना | शांति सुबह से ही अपना मुँह फुलाए घूम रही है। |
मुँह सिलना | चुप रहना | मैंने तो अपना मुँह सिल लिया है। तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हारे विरुद्ध कुछ नहीं बोलूँगा। |
मुँह काला करना | कलंकित होना | दुश्चरित्र महिलाएँ न जाने कहाँ-कहाँ मुँह काला कराती फिरती है। |
मुँह चुराना | सम्मुख न आना | इस तरह समाज में कब तक मुँह चुराते फिरोगे। जाकर प्रधान जी से अपनी गलती की माफी माँग लो। |
मुँह जूठा करना | थोड़ा-सा खाना/चखना | यदि भूख नहीं है तो कोई बात नहीं। थोड़ा-सा मुँह जूठा कर लीजिए। |
मुँहतोड़ जबाब देना | ऐसा उत्तर देना कि दूसरा कुछ बोल ही न सके | मैंने ऐसा मुँहतोड़ जबाब दिया कि सबकी बोलती बंद हो गई। |
मुँह निकल आना | कमजोरी के कारण चेहरा उतर जाना | एक सप्ताह की बीमारी में ही उसका मुँह निकल आया है। |
मुँह की बात छीन लेना | दूसरे के मन की बात कह देना | आपने यह बात कहकर तो मेरे मुँह की बात छीन ली। मैं भी यही बात कहना चाहता था। |
मुँह में खून लगना | अनुचित लाभ की आदत पड़ना | इस थानेदार के मुँह में खून लग गया है। बेचारे गरीब सब्जी वालों से भी हफ़्ता-वसूली करता है। |
मुँह मोड़ना | उपेक्षा करना | जब ईश्वर ही मुँह मोड़ लेता है तब दुनिया में कोई सहारा नहीं बचता। |
मुँह लगाना | बहुत स्वतंत्रता देना | ऐसे घटिया लोगों को मैं मुँह नहीं लगाता। |
मूँछ उखाड़ना | गर्व नष्ट करना | सत्तो पहलवान की आज तक कोई मूँछ नहीं उखाड़ पाया है। |
मूँछ नीची होना | लज्जित होना | जब नौकर ने टका-सा जवाब दे दिया तो ठाकुर साहब की मूँछ नीची हो गई। |
मूँछों पर ताव देना | वीरता की अकड़ दिखाना | ज्यादा मूँछों पर ताव मत दो, बजरंग आ गया तो सारी हेकड़ी निकल जाएगी। |
मूँछ मुड़वाना | हार मान लेना | यदि मेरी बात झूठी निकली तो मैं मूँछ मुड़वा लूँगा। |
मूली-गाजर समझना | अति तुच्छ समझना | आतंकवादी आम जनता को मूली-गाजर समझते है। |
मैदान छोड़ना | युद्धक्षेत्र से भाग जाना | मैदान छोड़कर भागने वाला कायर होता है। |
म्यान से बाहर होना | अत्यन्त क्रुद्ध होना | अशोक जरा-सी बात पर म्यान से बाहर हो गया। |
मन उड़ा-उड़ा सा रहना | मन स्थिर न रहना | पति के आने के इंतजार में मधु का मन आजकल उड़ा-उड़ा सा रहता है। |
मन डोलना | इच्छा होना/ललचाना | मेले में मिठाइयों की दुकान से गुजरते समय केशव का मन डोलने लगा। |
मजा किरकिरा होना | आनंद में विघ्न पड़ना | बार-बार बिजली आती-जाती रही इसलिए फ़िल्म का सारा मजा किरकिरा हो गया। |
मजा चखाना | गलती की सजा देना | जो कुछ तुमने किया है उसका तुम्हें मजा चखाकर रहूँगा। |
मन कच्चा होना/करना | हिम्मत हारना/छोड़ना | इतनी कोशिश के बाद भी नौकरी नहीं मिली इसलिए मेरा तो मन कच्चा हो गया है। |
मन की मन में रह जाना | इच्छा पूरी न होना | बेटी के विवाह में लड़के वालों से अनबन हो गई इसलिए कुछ भी ठीक से न हो पाया। |
मन बढ़ना | हौसला बढ़ना | हमारे गेम्स-टीचर हमेशा हमलोगों का मन बढ़ाते रहते है, इसलिए हमारे स्कूल की टीम हर मैच जीतती है। |
मन मारकर रह जाना | अधिक वेदना होना | मेरे बेटे की जगह जब एक मंत्री के बेटे को नौकरी मिल गई तो मैं मन मार कर रह गया। |
मन मसोस कर रह जाना | मन के भावों को मन में ही दबा देना | जब उन लोगों की बातें सरकार ने नहीं मानी तो बेचारे मन मसोस कर रह गए। |
मन में बसना | प्रिय लगना | जब कोई मन में बस जाता है तब उसकी कमियाँ दिखाई नहीं देतीं। |
मन में चोर होना | मन में धोखा-फरेब होना | जिसके मन में चोर होता है वही ऐसी अविश्वसनीय बातें करता है। |
मन रखना | इच्छा पूरी करना | मैंने उसका मन रखने के लिए ही झूठ बोला था। |
मस्ती मारना | मौज उड़ाना | पिकनिक में सब लोग मस्ती मार रहे है। |
मिट्टी का माधो | मूर्ख | सुबोध तो एकदम मिट्टी का माधो है, उससे कुछ भी उम्मीद मत कीजिए। |
मिट्टी में मिलाना | नष्ट करना | यदि उसने मेरे साथ गद्दारी की तो मैं उसे मिट्टी में मिला दूँगा। |
मिट्टी पलीद करना | दुर्गति करना | भाषण प्रतियोगिता में सुशील ने सभी वक्ताओं की मिट्टी पलीद कर दी। |
माथा ठनकना | खटका पैदा होना, आशंका होना | उसकी बहकी-बहकी बातें सुनकर मेरा तो माथा तभी ठनका था और मैंने तुमलोगों को आगाह भी किया था पर तुमलोगों ने मेरी सुनी ही नहीं। |
माथा-पच्ची करना | सिर खपाना | हमलोग सुबह से माथा-पच्ची कर रहे है पर इस सवाल को हल नहीं कर पाए है। |
माथा फिरना | दिमाग खराब होना | तुम चले जाओ यहाँ से। अगर मेरा माथा फिर गया तो तुम्हारी खैर नहीं। |
मार-मार कर चमड़ी उधेड़ देना | बहुत पीटना | पुलिस वाले ने उस चोर को मार-मारकर उसकी चमड़ी उधेड़ दी। |
मारा-मारा फिरना | इधर-उधर ठोकरें खाते फिरना | आजकल वह नौकरी की तलाश में चारों और मारा-मारा फिर रहा है। |
माला फेरना | माला के दानों को गिनकर जप करना | केवल माला फेरने से ईश्वर नहीं मिलते, मन से भक्ति करनी पड़ती है तब ईश्वर प्रसन्न होते है। |
मिट्टी खराब करना | दुर्दशा करना | रमानाथ से झगड़ा मत करना। वह तुम्हारी मिट्टी खराब कर देगा। |
मिलीभगत होना | गुप्त सहमति होना | पुलिसवालों की मिलीभगत थी, इसलिए चोर जेल से गायब हो गए। |
मुट्ठी में होना | वश में होना | चिंता क्यों करते हो? जब मंत्री जी मेरी मुट्ठी में है तो हमारा काम कैसे नहीं बनेगा? |
मुराद पूरी होना | मनोकामना पूरी होना | करीम का बेटा जब डॉक्टर बन गया तो उसकी मुराद पूरी हो गई। |
मेल खाना | संगति के अनुकूल होना | वह लड़की सबसे अलग है। उसके विचार किसी से मेल नहीं खाते। |
मोटे तौर पर | साधारणतः | इस बात के बारे में मैंने तो आपको मोटे तौर पर समझाया है। यदि आपको विस्तृत जानकारी चाहिए तो हमारे डायरेक्टर से मिलिए। |
मोर्चा मारना | विजय हासिल करना | तीन दिन तक घमासान युद्ध हुआ और चौथे दिन हमारी सेना ने मोर्चा मार लिया तथा पाकिस्तानी चौकी पर भारत का झंडा फहरा दिया। |
मोर्चा लेना | युद्ध करना | जब तक हमारी सेना दुश्मन की सेना के साथ मोर्चा नहीं लेगी तब तक ये लोग इसी तरह की आतंकवादी गतिविधियाँ करते रहेंगे। |
मोल-भाव करना | कीमत घटा-बढ़ाकर सौदा करना | पिता जी ने समझाया था कि जब भी कुछ खरीदो मोल-भाव अवश्य कर लो। |
मौका हाथ आना | अवसर आना | जब मौका हाथ आएगा, मैं अवश्य काम पूरा करूँगा। |
मौत के मुँह में जाना | जान जोखिम में डालना | राजकुमारी को बचाने के लिए राजकुमार को मौत के मुँह में जाना पड़ा। |
मौत बुलाना | खतरनाक कार्य करना | मोटर साइकिल को तेज चलाना मौत बुलाना है। |
मर मिटना | कुर्बान हो जाना | हम तुम्हारे लिए मर मिटेंगे पर उफ-आह भी न कहेंगे। |
मुठभेड़ होना | सामना होना | हुमायूँ और शेरशाह में चौसा के निकट मुठभेड़ हो गयी। |
मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ना | बिना काम किये दूसरों का अन्न खाना | मेरा कुछ काम भी तो करो, कब तक मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ते रहोगे? |
मोम हो जाना | कोमल होना | विपत्ति आने पर कठोर आदमी भी मोम हो जाता है। |
यमपुर पहुँचाना | मार डालना | पुलिस ने चोर को मारमार कर यमपुर पहुँचा दिया। |
युक्ति लड़ाना | उपाय करना | अशोक हमेशा पैसा कमाने की युक्ति लड़ाता रहता। |
यश गाना | प्रशंसा करना | यदि आप देश के लिए अच्छे काम करेंगे तो लोग आपका यश गाएँगे। |
यारी गाँठना | मित्रता करना | पुलिस वालों से यारी गाँठना उसे महँगा पड़ा। |
यश मिलना | सम्मान मिलना | देखें, इस चुनाव में किसे यश मिलता है? |
रंग जमना | धाक जमना | तुम्हारा तो कल खूब रंग जमा। |
रंग बदलना | परिवर्तन होना | जमाने का रंग बदल गया है। |
रंग में भंग पड़ना | बिघ्न या बाधा पड़ना | मीरा की शादी में कुछ असामाजिक तत्वों के आने से रंग में भंग पड़ गया। |
रंग उड़ना या रंग उतरना | फीका होना | सजा सुनते ही अपराधी के चेहरे का रंग उतर गया। |
रंग चढ़ना | प्रभावित होना | रामू पर दिल्ली के रहन-सहन का रंग चढ़ गया है। अब तो वह कान में मोबाइल लगाए फिरता है। |
रंग जमाना | रौब जमाना | नया मैनेजर सभी पर अपना रंग जमा रहा है। |
रंग में ढलना | किसी के प्रभाव में आना | मनोज आवारा लड़कों के साथ रहकर उन्हीं के रंग में ढल गया है। |
रंग में भंग करना | आनन्द और हंसी-ख़ुशी में विघ्न डालना | शादी में लड़ाई करके रवि ने रंग में भंग कर दिया। |
रंग उड़ना | रौनक समाप्त हो जाना | शर्मा जी को देखते ही मदन के चेहरे का रंग उड़ गया। |
रंग लाना | प्रभाव दिखाना | ‘मेहनत हमेशा रंग लाती है, इस बात को मत भूलो।’ |
रँगा सियार | धोखेबाज आदमी | मैं सुमन पर विश्वास करता था पर वह तो रँगा सियार निकला, मेरा सारा पैसा लेकर भाग गया। |
रफू चक्कर होना | गायब होना | अभी तो वह लड़का यहीं बैठा था। आपको आते देख लिया होगा इसलिए लगता है कहीं रफू चक्कर हो गया। |
राई से पर्वत करना या बनाना | छोटे से बड़ा होना | शांति किसी भी बात को राई से पर्वत कर देती है। |
राई का पर्वत होना | बात का बतंगड़ होना | मुझे क्या पता कि मेरे बोलने से राई का पर्वत हो जाएगा, वर्ना मैं चुप ही रहता। |
राई-काई करना | छिन्न-भिन्न करना | पुलिस ने जरा-सी देर में सारी भीड़ को राई-काई कर दिया। |
रंगे हाथों पकड़ना | अपराध करते हुए पकड़ना | पुलिस ने चोर को रंगे हाथों पकड़ लिया। |
रास्ते का काँटा | उन्नति या प्रगति में बाधक | मोहन की कड़वी जुबान उसके रास्ते का काँटा है। |
राह में रोड़ा पड़ना | काम में बाधा आना | राह में तमाम रोड़े पड़ने पर साहसी लोग कभी नहीं रुकते। |
रात-दिन एक करना | निरन्तर कठिन परिश्रम करना | परीक्षा में पास होने के लिए सुरेश ने रात-दिन एक कर दी। |
राम नाम सत्त हो जाना | मर जाना | कल राजू के परदादा की राम नाम सत्त हो गई। |
रामराम होना | मुलाकात होना | सुबह-सुबह टहलने जाते समय सबसे रामराम हो जाती है। |
रास्ता देखना | इन्तजार करना | हम लोग कल आपका रास्ता देखते रहे पर न तो आप आए और न ही कोई सूचना दी। |
रास्ते पर लाना | सुधारना | महात्माजी ने अनेक पथ भ्रष्ट लोगों को रास्ते पर ला दिया है। |
रुपया पानी में फेंकना | रुपया व्यर्थ खर्च करना | खटारा कार खरीद कर राम ने रुपया पानी में फ़ेंक दिया है। |
रोटी चलाना | भरण-पोषण करना | रवि मजदूरी करके अपनी रोटी चला रहा है। |
रोशनी डालना | स्पष्ट करना | अभी आपने जो कुछ कहा था उस पर फिर से रोशनी डालिए, मैं आपकी बात समझ नहीं पाया। |
रट लगाना | बार-बार एक ही बात करना | रमा का बेटा बहुत जिद्दी है। हर चीज की रट लगाए रहता है और माँ-बाप को वह चीज दिलानी पड़ती है। |
रत्ती भर | जरा-सा | मैं उसकी बातों पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं करता। |
रफा-दफा करना | फैसला करना | अच्छा हुआ आपने मामले को रफा-दफा कर दिया वरना खून-खच्चर हो जाता। |
रहम खाना | दया करना | उस बेचारी विधवा पर रहम खाओ और उसका कर्जा माफ कर दो। |
राग अलापना | अपनी कहते जाना, दूसरे की न सुनना | रोहन जी अपना ही राग अलापते रहते है किसी दूसरे की सुनते ही नहीं है। |
रामबाण औषधि | अचूक दवा | प्राणायाम ही समस्त रोगों की रामबाण औषध है। |
रास आना | अनुकूल होना | मुझे यह शहर रास आ गया है। अब मैं रिटायरमेंट तक यहीं रहूँगा। |
रास्ता नापना | चले जाना | तुम अपना रास्ता नापो। यहाँ तुम्हारी दाल नहीं गलेगी। |
रुपया उड़ाना | धन व्यर्थ में खर्च करना | पिताजी लाखों रुपए छोड़े थे पर राकेश ने शराब और जुए में सारा रुपया उड़ा दिया। |
रुपया ऐंठना | चालाकी से धन ले लेना | ट्रेन में जो लोग सामान बेचने आते है उनसे कभी कुछ मत खरीदना। घटिया सामान दिखाकर रुपये ऐंठ ले जाते है। |
रुपया बरसना | खूब धन प्राप्त होना | भगवान की कृपा से सेठ जी के धंधे में रुपया बरस रहा है। |
रूह काँपना | बहुत डरना | अँधेरे में श्मशान पर जाने की बात सोचकर ही मेरी तो रूह काँपने लगती है। |
रोंगटे खड़े होना | भय, शोक, हर्ष आदि के कारण रोमांचित होना | रात को डर के मारे मेरी पत्नी के रोंगटे खड़े हो गए। |
रोजी चलना | जीविका का निर्वाह होना | इस महँगाई में रोजी चलना भी दूभर हो गया है। |
रोटियाँ तोड़ना | किसी के यहाँ उसकी कृपा पर जीवन वसर करना | कब तक ससुराल में मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ते रहोगे? जाकर कहीं काम-धंधे की तलाश क्यों नहीं करते? |
रोड़ा अटकना/अटकाना | विघ्न पड़ना/डालना | मेरा काम बनने ही वाला था कि उस क्लर्क ने रिश्वत के लालच में रोड़ा अटका दिया। |
रोब में आना | दूसरे के प्रभाव में आना | जाकर किसी और को धमकाना, यहाँ तुम्हारे रोब में कोई आने वाला नहीं। |
रक्त चूसना | संपत्ति हरण करना | उसने उसके साथ रहकर उसका रक्त चूस लिया। |
रक्तपात मचाना | मार-काट करना | महाभारत-युद्ध में बड़ा ही रक्तपात मचा। |
रस लेना | आनंद लेना | वे इन दिनों कवि-गोष्ठियों में रस नहीं लेते। |
रस्सी ढीली छोड़ना | ढील देना | जब से उसने रस्सी ढीली छोड़ दी, तब से उसका लड़का बिगड़ गया। |
राग-रंग में रहना | ऐश में रहना | इन दिनों राजनीतिज्ञ ही राग-रंग में रहते है। |
रूई की तरह धुन डालना | खूब पीटना | अगर बदमाशी करोगे तो रूई की तरह धुन दिये जाओगे। |
रेल-पेल होना | भीड़-भड़क्का होना | जहाँ रेल-पेल हो, वहाँ मैं जाता नहीं। |
रौनक जाती रहना | कांति समाप्त हो जाना | बीमारी के कारण उसके चेहरे की रौनक जाती रही। |
रसातल को पहुँचना | बर्बाद करना | यदि मुझसे भिड़ोगे, तो रसातल को पहुँचा दूँगा। |
लोहे के चने चबाना | कठिनाई झेलना | भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना को लोहे के चने चबाने पड़े। |
लकीर का फकीर होना | पुरानी प्रथा पर ही चलना | ये अब तक लकीर के फकीर ही है। टेबल पर नही, चौके में ही खायेंगे। |
लोहा मानना | किसी के प्रभुत्व को स्वीकार करना | क्रिकेट के क्षेत्र में आज सभी देशों की टीमें ऑस्ट्रेलिया की टीम का लोहा मानती है। |
लेने के देने पड़ना | लाभ के बदले हानि | नया काम है। सोच-समझकर आगे बढ़ना। कहीं लेने के देने न पड़ जायें। |
लँगोटिया यार | बचपन का दोस्त | अभिषेक मेरा लँगोटिया यार है। |
लल्लो-चप्पो करना | खुशामद करना, चिरौरी करना | विनोद ल्लो-चप्पो करके अपना काम चलाता है। |
लाल-पीला होना | नाराज होना | राजू के कक्षा में शोर मचाने पर अध्यापक लाल-पीले हो गए। |
लुटिया डूबना | काम चौपट हो जाना | रामू ने नया कारोबार किया था, उसकी लुटिया डूब गई। |
लंबी-चौड़ी हाँकना | गप्प मारना | मोहन कक्षा में लंबी-चौड़ी हाँक रहा था तभी अध्यापक आ गए और वह खामोश हो गया। |
लकीर पीटना | बिना सोचे-समझे पुरानी प्रथा पर चलना | कब तक यूँ ही लकीर पीटती रहोगी? जमाने के साथ अपने को बदलना सीखो। |
लगाम कड़ी करना | सख्ती से नियंत्रण करना/सख्ती करना | प्रधानाचार्य ने लगाम कड़ी की तो सभी समय पर आने लगे। |
लगाम ढीली करना | सख्ती न करना/नियमों में नरमी बरतना | जरा-सी लगाम ढीली करने से मेरी कंपनी का कोई भी कर्मचारी अब समय पर नहीं आता। |
लज्जा या शर्म से पानी-पानी होना | बहुत लज्जित होना | अपनी गलती पर पंडित जी लज्जा से पानी-पानी हो गए। |
लौ लगना | धुन लगना, प्रेम होना | मधुरिमा को तो पढ़ाई की लौ लग गई है। दिन रात पढ़ने में ही लगी रहती है। |
लंका कांड होना | लड़ाई-झगड़ा होना | आज सीमा का अपने पड़ोसी से लंका कांड हो गया। |
लंबे हाथ मारना | खूब धन प्राप्त करना | शंकर आजकल लंबे हाथ मार रहा है। |
लकड़ी होना | अत्यन्त दुर्बल होना | बीमारी में बिट्टू लकड़ी हो गया है। |
लाख टके की बात | अत्यंत उपयोगी और सारगर्भित बात | आचार्य जी हमेशा लाख टके की बात कहते है। |
लोट-पोट कर देना | बहुत हँसाना | दादा कोंडके की फिल्में हमें लोट-पोट कर देती है। |
लोहा लेना | सामना करना | 1857 के संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लोहा लिया। |
लंका ढहाना | किसी संपन्न देश/परिवार का सत्यानाश कर देना | अपने चाचा को समझाओ वे क्यों विभीषण की तरह अपने परिवार की लंका ढहाने पर लगे हुए है। |
लहू का घूँट पीकर रह जाना | विवशतावश क्रोध को पीकर रह जाना | गलती न करने पर भी जब उस दरोगा ने जेल में बंद करने की धमकी दी तो मैं लहू का घूँट पीकर रह गया। |
लगन लगना | प्रेम/भक्ति होना | ईश्वर में जब लगन लग जाती है तो सारा संसार मिथ्या लगने लगता है। |
लच्छेदार बातें करना | मजेदार बातें करना | उसकी बातों में मत आ जाना। वह हमेशा लच्छेदार बातें करती है और लोगों को फँसा लेती है। |
लट्टू होना | आसक्त होना, फिदा होना | मदन की मतिभ्रष्ट हो गई है। कितनी घटिया लड़की पर लट्टू हो गया है। |
लाले पड़ना | किसी चीज को देखने या पाने के लिए तरसना | पिता जी के देहांत के बाद आमदनी के सारे रास्ते बंद हो गए और घर में खाने के भी लाले पड़ गए। |
लुटिया डुबोना | काम चौपट करना | अरे भाई, उस लड़के का साथ छोड़ दो वरना तुम्हारी भी लुटिया डुबो देगा। |
लानत भेजना | धिक्कारना | मैं तुम्हें लानत भेजता हूँ। निकल जाओ यहाँ से और फिर कभी अपना मनहूस चेहरा मत दिखाना। |
लेने के देने पड़ना | लाभ के स्थान पर हानि होना | शेयरों में इतना पैसा मत लगाओ। कहीं लेने के देने न पड़ जाए। |
लीप-पोतकर बराबर करना | सर्वस्व बर्बाद कर देना | जब से वह कंपनी का मैनेजर हुआ, उसने कंपनी का सारा हिसाब लीप-पोतकर बराबर कर दिया। |
वक्त पड़ना | मुसीबत आना | वक्त पड़ने पर ही मित्र की पहचान होती है। |
वज्र टूटना | भारी विपत्ति आना | रामू के पिताजी के मरने के पश्चात् उस पर वज्र टूट पड़ा। |
विष घोलना | किसी के मन में शक या ईर्ष्या पैदा करना | राजू ने बनी-बनाई बात में विष घोल दिया। |
विष उगलना | कड़वी बात कहना | कालू हमेशा राजू के खिलाफ विष उगलता रहता है। |
वेद वाक्य | सौ-प्रतिशत सत्य | हमारे शिक्षक की कही हर बात वेद वाक्य है। |
वचन से फिरना | प्रतिज्ञा पूरी न करना | तुमने जैसा कहा है मैं वैसा कर दूँगा लेकिन अपने वचन से फिरना मत। |
वारा-न्यारा करना | निपटारा करना, ख़त्म करना | जब मेरा काम चलने लगेगा तो ऐसे कई लोगों का तो मैं वारा-न्यारा कर दूँगा। |
वाहवाही लूटना | प्रशंसा पाना | काम कोई करना नहीं चाहता। सिर्फ बिना कुछ करे-धरे वाहवाही लूटना चाहते है। |
वीरगति को प्राप्त होना | मर जाना | राणा प्रताप ने मुगल सेना का डट कर सामना किया और अंत में वीरगति को प्राप्त हुए। |
वक़्त पर काम आना | विपत्ति में मदद करना | सच्चे दोस्त ही वक्त पर काम आते है। |
वार खाली जाना | चाल सफल न होना | इस बार तो वार खाली गया, आगे क्या होता है? |
शैतान की खाला | बहुत ही दुष्ट स्त्री | शांति तो शैतान की खाला है। |
शंख के शंख रहना | मूर्ख के मूर्ख बने रहना | शंभू तो शंख का शंख ही रहा। |
शक़्कर से मुँह भरना | खुशखबरी सुनाने वाले को मिठाई खिलाना | रमेश ने दसवीं पास होने पर अपने मित्रों का शक़्कर से मुँह भर दिया। |
शह देना | उत्साह बढ़ाना | तुम शह न देते तो उनकी मजाल थी कि मुझे यूँ आँखें दिखाती। |
शहद लगाकर चाटना | निरर्थक वस्तु को संभालकर रखना | मेरा काम हो गया, अब तुम इस फाइल को शहद लगाकर चाटो। |
शेर होना | निर्भय और घृष्ट होना | अपनी गली में तो कुत्ते भी शेर होते है। |
शैेतान का बच्चा | बहुत नीच और दुष्ट आदमी | वह वकील तो शैतान का बच्चा है। |
शेखी बघारना/मारना | अपनी झूठी प्रशंसा करना | वह हमेशा अपनी शेखी ही बघारती रहती है और खुशामदी लोग उसकी हाँ में हाँ मिलाते रहते है। |
शकुन देखना/विचारना | शुभ-अशुभ का विचार करना | शकुन देखकर विवाह की तारीख तय कर लीजिए। |
शरीर टूटना | शरीर में दर्द होना | आज सुबह से ही मेरा शरीर टूट रहा है और जी मचला रहा है। |
शह देना | उकसाना | तुमने शह न दी होती तो आज वह मुझे गाली देकर न जाता। |
शामत आना | बुरा समय आना | सब ठीक ठाक चल रहा था। न जाने कहाँ से शामत आ गई और सब बर्बाद हो गई। |
शिकस्त देना | पराजित करना | शतरंज के खेल में मुझे कोई शिकस्त नहीं दे सकता। |
शिगूफा खिलाना/छोड़ना | कोई अनोखी बात करना | तुम हमेशा कोई-न-कोई नया शिगूफा क्यों छोड़ते रहते हो? |
शीशे में अपना मुँह देखना | अपनी योग्यता पर विचार करना | पहले शीशे में अपना मुँह देखो तब सोचो कि क्या तुम ऐसी सुंदर लड़की के लिए उपयुक्त हो? |
शौक चर्राना | इच्छा का तीव्र होना | तुम्हें अब इस बुढ़ापे में साइकिल चलाने का क्या शौक चर्राया है, कहीं गिर गिरा गए तो हड्डी-पसली टूट जाएगी। |
शिकार हाथ लगना | मोटा असामी मिलना | तुम्हें अच्छा शिकार हाथ लगा है। |
शहीद होना | कुर्बान होना | आजादी के लिए कितने दीवाने शहीद हो गये। |
शोभा देना | उचित लगना | तुम्हारे जैसे व्यक्ति के मुँह में ऐसी बात शोभा नहीं देती। |
श्री गणेश करना | शुभारम्भ करना | कोई शुभ दिन देखकर किसी शुभ कार्य का श्री गणेश करना चाहिए। |
सर्द हो जाना | डरना, मरना | बड़ा साहसी बनता था, पर भूत का नाम सुनते ही सर्द हो गया। |
साँप-छछूंदर की हालत | दुविधा | पिता अलग नाराज है, माँ अलग। किसे क्या कहकर मनाऊँ? मेरी तो साँप-छछूंदर की हालत है इन दिनों। |
समझ (अक्ल) पर पत्थर पड़ना | बुद्धि भ्रष्ट होना | रावण की समझ पर पत्थर पड़ा था कि भला कहने वालों को उसने लात मारी। |
सिक्का जमना | प्रभाव जमना | आज तुम्हारे भाषण का वह सिक्का जमा कि उसके बाद बाकी वक्ता जमे ही नहीं। |
सवा सोलह आने सही | पूरे तौर पर ठीक | राम की सेना में हनुमान इसलिए श्रेष्ठ माने जाते थे कि हर काम में वे ही सवा सोलह आने सही उतरते थे। |
सर धुनना | शोक करना | राम परीक्षा में असफल होने पर सर धुनने लगी। |
सर गंजा कर देना | खूब पीटना | भागो यहाँ से, नही तो सर गंजा कर दूँगा। |
सफेद झूठ | सरासर झुठ | यह सफेद झूठ है कि मैंने उसे गाली दी। |
संसार देखना | सांसारिक अनुभव प्राप्त करना | गुरुजी ज्ञानी और विद्वान है। उन्होंने संसार देखा है। |
संसार बसाना | विवाह करके कौटुम्बिक जीवन व्यतीत करना | शंभू ने अपना संसार बसा लिया है। |
संसार सिर पर उठा लेना | बहुत उपद्रव करना | अंकुर और पुनीत जहाँ भी जाते है, संसार सिर पर उठा लेते है। |
सनीचर सवार होना | बुरे दिन आना | सुनील पर सनीचर सवार हो गया है तभी वह अपना घर बेच रहा है। |
सरकारी मेहमान | कैदी | मुन्ना झूठे आरोप में ही सरकारी मेहमान बन गया। |
सराय का कुत्ता | स्वार्थी आदमी | सब जानते है कि अभिषेक तो सराय का कुत्ता है तभी उसका कोई मित्र नहीं है। |
साँप का बच्चा | दुष्ट व्यक्ति | समर पूरा साँप का बच्चा है। |
साँप लोटना | ईर्ष्या आदि के कारण अत्यन्त दुःखी होना | राजू की सरकारी नौकरी लग गई तो पड़ोसी के साँप लोट गया। |
सागपात समझना | तुच्छ समझना | रामू को सागपात समझना बड़ी भूल होगी, वह तो बी.ए. पास है। |
साया उठ जाना | संरक्षक का मर जाना | सर से साया उठ जाने पर रवि अनाथ हो गया है। |
सिर आँखों पर बिठाना | बहुत आदर-सत्कार करना | घर पर आए गुरुजी को छात्र ने सिर आँखों पर बिठा लिया। |
सिर ऊँचा उठाना | इज्जत से खड़ा होना | अपनी ईमानदारी के कारण मुन्ना समाज में आज सिर ऊँचा उठाए खड़ा है। |
सिर खाली करना | बहुत या बेकार की बातें करना | कल भवेश ने घर आकर मेरा सिर खाली कर दिया। |
सिर पर आसमान उठाना | बहुत शोरगुल करना | माँ के बिना बच्चे ने सिर पर आसमान उठा लिया है। |
सिर पर कफ़न बाँधना | मरने के लिए तैयार रहना | सैनिक सीमा पर सिर पर कफ़न बाँधे रहते है। |
सिर पर पाँव रखकर भागना | बहुत तेजी से भाग जाना | पुलिस को देखकर डाकू सिर पर पाँव रखकर भाग गए। |
सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ना | कार्यारम्भ में विघ्न पड़ना | यदि मैं जानता कि सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ेंगे तो विवाह के नजदीक ही न जाता। |
सिर सफेद होना | बुढ़ापा होना | अब नरेश का सिर सफेद हो गया है। |
सिर पर आ जाना | बहुत नजदीक होना | परीक्षा मेरे सिर पर आ गई है, अब मुझे खूब पढ़ना चाहिए। |
सिर खुजलाना | बहलाना करना | सिर न खुजलाओ, देना है तो दो। |
सींकिया पहलवान | दुबला-पतला व्यक्ति, जो स्वयं को बलवान समझता है। | शामू सींकिया पहलवान है फिर भी वह अपने आपको दारासिंह समझता है। |
सूरज को दीपक दिखाना | जो स्वयं प्रसिद्ध या श्रेष्ठ हो उसके विषय में कुछ कहना | आप जैसे व्यक्ति को कुछ कहना सूरज को दीपक दिखाना है। |
सूरज पर थूकना | नितान्त निर्दोष व्यक्ति पर लांछन लगाना | अमर के बारे में कुछ कहना तो सूरज पर थूकना है। |
सेर को सवा सेर मिलना | किसी जबरदस्त व्यक्ति को उससे भी बलवान या अच्छा व्यक्ति मिलना | सेर को सवा सेर मिल गया, अब राजू को मजा आएगा। |
सोने की चिड़िया | धनी देश | हिन्दुस्तान इंग्लैण्ड के लिए सोने की चिडियां था। |
स्वाहा होना | जल जाना, नष्ट या खत्म होना | कल जरा-सी चिंगारी से सैकड़ों झुग्गियाँ स्वाहा हो गई। |
संतोष की साँस लेना | राहत अनुभव करना | बच्चे को गोद में लेकर नदी पार कर ली तब जाकर संतोष की साँस ली। |
सकते में आना | चकित रह जाना | हामिद मियाँ को इस पार्टी में देखकर वह सकते में आ गई। उसे यकीन ही नहीं होता था कि वह हामिद है। |
सठिया जाना | बुद्धि नष्ट हो जाना | वह अब सठिया गया है, इसलिए बहकी बातें करने लगा है। उसकी बातों का बुरा मत मानो। |
सनक सवार होना | किसी काम को करने की धुन लग जाना | मेरी छोटी बहन को गाना सीखने की सनक सवार हो गई है, इसलिए रोज शाम को विद्यालय जाती है। |
सन्न रह जाना | कुछ करते न बनना | इनकम टैक्स-अधिकारियों को अचानक अपने घर पर देखकर सेठजी सन्न रह गए। |
सन्नाटा छाना | सब लोगों का चुप हो जाना, ख़ामोशी छा जाना | भरी सभा में जब शर्मा जी दहाड़े तो चारों ओर सन्नाटा छा गया। |
सबक मिलना | शिक्षा/दंड मिलना | अच्छा हुआ जो मुरारी को इस बार परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया। इससे दूसरे छात्रों को भी सबक मिलेगा। |
सब्जबाग दिखाना | झूठी आशाएँ दिलाना | कुछ एजेंट लोगों को विदेश भेजने की बातें करके सब्जबाग दिखाते है और उनसे पैसा लूटते है। |
समाँ बाँधना | रंग जमाना | आज लताजी ने कार्यक्रम में समाँ बाँध दिया। |
सर्दी खाना | ठंड लग जाना | कल सुबह मैं बिना मफलर लिए निकल गया और सर्दी खा गया। इस समय तेज बुखार है। |
सरपट दौड़ाना | तेज दौड़ाना | राणा प्रताप का घोड़ा युद्ध में सरपट दौड़ता था। |
साँप को दूध पिलाना | दुष्ट को प्रश्रय देना | नेताजी ने अपनी सुरक्षा के लिए एक गुंडे को रख लिया पर एक दिन उसी गुंडे ने गुस्से में नेताजी का ही खून कर दिया, इसलिए कहा जाता है कि साँप को दूध पिलाना अक्लमंदी नहीं है। |
साँप सूँघ जाना | हक्का-बक्का रह जाना | बहुत गुंडागर्दी कर रहे थे, अब थानेदार साहब को देखकर क्यों साँप सूँघ गया? |
साँस लेने की फुर्सत न होना | बहुत व्यस्त होना | आजकल इतना काम है कि साँस लेने की फुर्सत नहीं है, मैं इन दिनों आपके साथ नहीं चल सकता। |
सात खून माफ करना | बहुत बड़े अपराध माफ करना | तुम तो पंडितजी के इतने प्यारे हो कि तुम्हें तो सात खून माफ है। तुम कुछ भी कर दोगे तो भी तुमसे कोई भी कुछ नहीं कहेगा। |
सात परदों में रखना | छिपाकर रखना | उसने सेठजी को धमकी दी थी कि यदि वे अपनी बेटी को सात परदों में भी छिपाकर रखेंगे तो भी वह उसे ले जाएगा और उसी से शादी करेगा। |
सातवें आसमान पर चढ़ना | घमंड होना | पैसा आते ही तुम तो सातवें आसमान पर चढ़ गए हो। किसी की इज्जत भी नहीं करते। |
सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना | बहुत डर जाना | जब उस लड़के ने पिस्तौल निकाल ली तो वहाँ खड़े सब लोगों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। |
सिर खाना | व्यर्थ की बातों से तंग करना | मेरा सिर मत खाओ। मैं वैसे ही परेशान हूँ। |
सिर नीचा करना | इज्जत बढ़ाना | रमानाथ के अकेले बेटे ने अपने पिता का सिर ऊँचा कर दिया। |
सिर चढ़ना | अशिष्ट या उदंड होना | आपके बच्चे बहुत सिर चढ़ गए है। किसी की सुनते तक नहीं। |
सिर पटकना | पछताना | पहले तो मेरी बात नहीं मानी अब सिर पटकने से क्या होगा? |
सिर पर खड़ा रहना | बहुत निकट रहना | आप उसे कुछ समय के लिए अकेले भी छोड़ दिया करो। चौबीसों घंटे उसके सिर पर खड़े रहना ठीक नहीं है। |
सिर पर तलवार लटकना | खतरा होना | इस कंपनी में नौकरी करने पर हमेशा सिर पर तलवार ही लटकी रहती है कि कब कोई गलती हुई और नौकरी से निकाल दिए गए। |
सिर फिरना | पागल हो जाना | उसे मत छेड़ो। अगर उसका सिर फिर गया तो तुम लोगों की शामत आ जाएगी। |
सिर मुड़ाते ओले पड़ना | कार्य आरंभ करते ही विघ्न पड़ना | हमने व्यापार आरंभ किया ही था कि पुलिस वालों ने आकर हमारा लाइसेंस ही रद्द कर दिया। इसे कहते है सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना। |
सीधे मुँह बात न करना | घमंड करना | उसे अपने पैसे का बहुत घमंड है। किसी से सीधे मुँह बात तक नहीं करती। |
सुनी-अनसुनी करना | ध्यान न देना | इस तरह की बातों को सुनी-अनसुनी कर देना चाहिए। |
सुनते-सुनते कान पक जाना | एक ही बात को सुनते-सुनते ऊब जाना | तुम्हारी बातें सुनते-सुनते तो मेरे कान पक गए है, अब कुछ मत बोलो। |
सुर्खाब के पर लगना | कोई विशेष गुण होना | उस लड़की में क्या सुर्खाव के पर लगे थे जो मुझे छोड़कर उसे नौकरी मिल गई। |
सुईं का भाला बनाना | छोटी-सी बात को बढ़ाना | इस मामले को यहीं समाप्त करो। इतनी-सी बात का सुईं का भाला मत बनाओ। |
सूख कर काँटा हो जाना | बहुत कमजोर हो जाना | आइ.ए.एस. की तैयारी में क्या लगा रहा, वह तो एकदम सूखकर काँटा हो गया है। |
सेंध लगाना | चोरी करने के लिए दीवार में छेद करना | मेरे घर के पीछे की दीवार पर कल रात चोरों ने सेंध लगाने की कोशिश की थी। |
सोने पे सुहागा | बेहतर होना | सेठ दीनानाथ पहले से ही करोड़पति थे और अब उनकी लॉटरी भी निकल आई। इसे कहते है सोने पे सुहागा। |
सौ बात की एक बात | असली बात, निचोड़ | सौ बात की एक बात यह है कि तू इधर-उधर के धंधे छोड़कर कहीं ठीक से नौकरी कर। |
सौदा पटना | भाव ठीक होना | अगर यह सौदा पट गया तो हम लोग मालामाल हो जाएँगे। |
सब्ज बाग दिखाना | व्यर्थ की आशा दिलाना | भाई! कब तक सब्ज-बाग दिखाते रहोगे, कुछ मेरा काम भी तो करो। |
सितारा चमकना या बुलंद होना | सौभाग्य के दिन आना | इन दिनों इंदिराजी का सितारा चमक रहा है, बुलंद है। |
सुबह का चिराग होना | समाप्ति पर आना | वह बहुत दिनों से बीमार है। उसे सुबह का चिराग ही समझो। |
हाथ पैर मारना | काफी प्रयास | राम कितना मेहनत क्या फिर भी वह परीक्षा में सफल नहीं हुआ। |
हाथ मलना | पछताना | समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ? |
हाथ देना | सहायता करना | आपके हाथ दिये बिना यह काम न होगा। |
हाथोहाथ | जल्दी | यह काम हाथोहाथ होकर रहेगा। |
हथियार डाल देना | हार मान लेना | कारगिल की लड़ाई में पाकिस्तान ने हथियार डाल दिए थे। |
हड्डी-पसली एक करना | खूब मारना-पीटना | बदमाशों ने काशी की हड्डी-पसली एक कर दी। |
हाथों के तोते उड़ जाना | भौंचक्का या स्तब्ध हो जाना | मनोहर की आत्महत्या का समाचार पाकर घर में सबके हाथों के तोते उड़ गए। |
हँसी-खेल समझना | किसी काम को सरल समझना | सतीश पुस्तकें लिखना हँसी-खेल समझता है। |
हजम करना | हड़प लेना | प्रेम के माता-पिता के मरने पर उसकी सारी संपत्ति उसके मामा हजम कर गए। |
हथेली पर सरसों जमाना | कोई कठिन काम तुरन्त करना | जब सीमा ने राजू को दो घंटे में पूरी किताब याद करने को कहा तो राजू ने हथेली पर सरसों जमाने के लिए मना कर दिया। |
हवा उड़ना | खबर या अफवाह फैलाना | एक बार हमारे गाँव में हवा उड़ी थी कि एक पहुँचे हुए महात्मा आए है, जो कि सच थी। |
हवा के घोड़े पर सवार होना | बहुत जल्दी में होना | राजू तो हमेशा ही हवा के घोड़े पर सवार रहता है, इसलिए कभी उससे शांति से बात नहीं हो पाती। |
हवा बिगड़ना | पहले की सी धाक या मर्यादा न रह जाना | आजकल पुराने रईसों की हवा बिगड़ गई है। |
हवा में किले बनाना | काल्पनिक योजनाएँ बनाना | शंभू तो हमेशा हवा में किले बनाता रहता है। |
हवा से बातें करना | हवा की तरह तेज दौड़ाना | राणा प्रताप का घोड़ा हवा से बातें करता था। |
हाथ का खिलौना | किसी के आदेश के अनुसार काम करने वाला व्यक्ति | बेचारा राजू इन दुष्टों के हाथ का खिलौना बन गया है। |
हाथ पर हाथ धरे बैठना | कुछ कामकाज न करना | राजू एम.ए. करने के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठा है। |
हाथ भर का कलेजा होना | बहुत खुश होना | अच्छी नौकरी मिलने से राम का हाथ भर का कलेजा हो गया है। |
हाथों में चूड़ियाँ पहनना | कायरता का काम करना | कायर! जाओ, हाथ में चूड़ियाँ पहनकर बैठे रहो। |
हालत खस्ता होना | कष्टमय परिस्थिति होना | बेरोजगारी में धरमचंद की हालत खस्ता है। |
हिरण हो जाना | गायब हो जाना | पुलिस को सामने देखकर शराबी का नशा हिरण हो गया। |
हृदय उछलना | बहुत आनन्दित होना | कन्हैया को चलते देखकर यशोदा का हृदय उछलने लगता था। |
हृदय पत्थर हो जाना | निर्दय हो जाना | आतंकवादियों का हृदय पत्थर हो गया है, वे तो बच्चों को भी मार डालते है। |
होंठ काटना | क्रोधित होना | रामू का जवाब सुनकर उसके पिताजी ने होंठ काट लिए। |
होम करना | बलिदान करना | चंद्रशेखर और भगत सिंह ने देश के लिए अपने प्राण होम कर दिए। |
हक अदा करना | कर्तव्य पालन करना | मैंने अपना हक अदा कर दिया है। अब आप अपना कर्तव्य पूरा कीजिए। |
हजम करना | हड़प लेना | मेरा माल तुम इस तरह से हजम नहीं कर सकते। मैं तुम्हें छोड़ूँगा नहीं। |
हत्थे चढ़ना | वश में आना | यदि वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया तो बच नहीं पाएगा, सीधे फाँसी ही होगी। |
हथेली पर जान लिए फिरना | मरने को तैयार रहना | जो सच में बहादुर होता है, वह हथेली पर जान लिए फिरता है, किसी से नहीं डरता। |
हरी झंडी दिखाना | आगे बढ़ने का संकेत करना | इस योजना के लिए आप हरी झंडी दिखाएँ, तो हम लोग काम शुरू कर सकते है। |
हक्का-बक्का रह जाना | हैरान रह जाना | जब मुझे यह खबर मिली कि तुम्हारे पिताजी आतंकवादियों से मिले हुए है, तो मैं तो हक्का-बक्का रह गया। |
हवा बदलना | स्थिति बदलना | अन्ना हजारे के आंदोलन के कारण हवा बदल चुकी है। अगले चुनाव के परिणाम पहले जैसे नहीं होंगे। |
हवाइयाँ उड़ाना | चेहरे का रंग पीला पड़ जाना | जब सबके सामने उसकी पोल पट्टी खुली तो उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। |
हवाई किले बनाना | काल्पनिक योजनाएँ बनाना | परिश्रम न कर केवल हवाई किले बनाने वाले कभी सफल नहीं होते। |
हाथ को हाथ न सूझना | घना अंधकार होना | घर में पार्टी चल रही थी कि अचानक बिजली चली गई। चारों ओर अँधेरा छा गया, हाथ को हाथ भी नहीं सूझ रहा था। |
हाथों हाथ बिक जाना | बहुत जल्दी बिक जाना | करीम अपने खेत से ताजे खरबूज तोड़कर मंडी में ले गया। सारे खरबूज हाथों हाथ बिक गए। |
हाथ साफ करना | चोरी करना | बस की भीड़ में मेरी जेब पर किसी ने हाथ साफ कर दिया। |
होश उड़ जाना | घबरा जाना | घर पहुँच कर जब मैंने देखा कि माँ बेहोश पड़ी है तो मेरे होश उड़ गए। |
हाथ-पाँव फूल जाना | घबरा जाना | किचिन में थोड़ा-सा काम क्या बढ़ जाता है, मेरी पत्नी के तो हाथ-पैर फूल जाते है। |
हाथपाई होना | मारपीट होना | मेरी कक्षा के दो बच्चों में आज हाथपाई हो गई और दोनों को चोट लग गई। |
हुक्का पानी बंद करना | जाति से बाहर कर देना | रमाकांत की बेटी ने अंतर्जातीय विवाह किया तो सारे गाँव के लोगों ने उसका हुक्का-पानी बंद कर दिया। |
हेकड़ी निकालना | अभिमान चूर करना | यदि मुझसे टक्कर ली तो मैं तुम्हारी सारी हेकड़ी निकालूँगा। |
होड़ करना | प्रतिस्पर्धा करना | बच्चों को आपस में हर मामले में होड़ नहीं करनी चाहिए। |
होश सँभालना | वयस्क होना, समझदार होना | बेचारे ने जब से होश सँभाला है तभी से गृहस्थी की चिंता में फँस गया है। |
हौंसला पस्त होना | हतोत्साहित होना | जब इतनी मेहनत करने के बाद भी मनोनुकूल परिणाम नहीं मिलता तो हौंसला पस्त होना स्वाभाविक ही है। |
हौंसला बढ़ाना | हिम्मत बढ़ाना | अध्यापकों को चाहिए कि वे बच्चों का हौंसला बढ़ाते रहें तभी बच्चे कुछ अच्छा कर पाएँगे। |
त्राहि-त्राहि करना | विपत्ति या कठिनाई के समय रक्षा या शरण के लिए प्रार्थना करना | आग लगने पर बच्चे का उपाय न देखकर लोग त्राहि-त्राहि करने लगे। |
त्रिशुंक होना | बीच में रहना, न इधर का होना, न उधर का | केशव न तो अभी तक आया और न ही फोन किया। समारोह में जाना है या नहीं कुछ भी नहीं पता। मैं तो त्रिशुंक हो गया हूँ। |
आँख या आँखों का तेल निकालना | महीन काम करना जिससे आँखों पर बहुत जोर पड़े | दिनभर सुई में धागा पिरोते-पिरोते मेरी आँखों आँखों का तेल निकल गया। |
आँख-कान खुले रखना | बहुत सर्तक रहना | आजकल तो हमें हर जगह अपने आँख-कान खुले रखने चाहिए, वरना कोई भी दुर्घटना घट सकती है। |
आँख का पानी गिरना या आँख का पानी मर जाना | निर्लज्ज होना | राजू की आँख का पानी मर गया है, वह तो अपने पिता के सामने भी बीड़ी पीता है। |
आँखों की पट्टी खुलना | भ्रम दूर होना | प्रेम के आँख की पट्टी तब खुली जब ठग उसे ठगकर चला गया। |
आँखें निकालना | क्रोधपूर्वक देखना | अरे मित्र! फूल मत तोड़ो, माली आँखें निकाल रहा है। |
आँखें नीची होना | लज्जित होना | जब पुत्र चोरी के जुर्म में पकड़ा गया तो पिता की आँखें नीची हो गई। |
आँखें फाड़कर देखना | आश्चर्य से देखना | अरे मित्र! आँखें फाड़कर क्या देख रहे हो, ये तुम्हारा ही घर है। |
आँखें बंद होना | मर जाना | थोड़ी-सी बीमारी के बाद ही उसकी आँखें बन्द हो गई। |
आँखें बिछाना | प्रेम से स्वागत करना | जब प्रधानमंत्री आए तो स्कूल में सबने आँखें बिछा दीं। |
आँखें मूँदकर रखना | बिना सोचे-समझे करना | अध्यापक ने बच्चों से कहा कि हमें कोई काम आँख मूँदकर नहीं करना चाहिए। |
आँखों में चुभना | बुरा लगना | मैंने मित्र से कहा कि मित्र, ये रंग आँखों में चुभ रहा है, तुम दूसरे रंग की शर्ट पहन लो। |
आँखें खुलना | होश आना, सावधान होना | जनजागरण से हमारे शासकों की आँखें अब खुलने लगी है। |
आँखें चार होना | आमने-सामने होना | जब आँखें चार होती है, मुहब्बत हो ही जाती है। |
आँखें मूँदना | मर जाना | आज सबेरे उसके पिता ने आँखें मूँद ली। |
आँखें चुराना | नजर बचाना, अपने को छिपाना | मुझे देखते ही वह आँखें चुराने लगा। |
आँखों में खून उतरना | अधिक क्रोध करना | बेटे के कुकर्म की बात सुनकर पिता की आँखों में खून उतर आया। |
आँखों में गड़ना | किसी वस्तु को पाने की उत्कट लालसा | उसकी कलम मेरी आँखों में गड़ गई है। |
आँखें फेर लेना | उदासीन हो जाना | मतलब निकल जाने के बाद उसने मेरी ओर से बिलकुल आँखें फेर ली है। |
आँख मारना | इशारा करना | उसने आँख मारकर मुझे बुलाया। |
आँखों में धूल झोंकना | धोखा देना | वह बड़ों-बड़ों की आँखों में धूल झोंक सकता है। |
आँखें बिछाना | प्रेम से स्वागत करना | मैंने उनके लिए अपनी आँखें बिछा दीं। |
आँखों का काँटा होना | शत्रु होना | वह मेरी आँखों का काँटा हो रहा है। |
आँखों में पानी होना | शर्म-लिहाज होना | रमेश की आँखों में पानी होता तो वह सबके सामने बड़े भाई का अनादर न करता। |
आँखों में समाना | हमेशा ध्यान में रहना | मुरली मनोहर श्याम तो मीराबाई की आँखों में समाए हुए थे। |
आँखों से अंगारे/आग बरसना | अत्यधिक क्रोध आना | जब रावण ने सीता का हरण कर लिया तो श्री राम की आँखों से अंगारे बरसने लगे थे। |
आँखों से उतरना | मूल्य या सम्मान कम होना | जब से विवेक ने अपने पिता को जवाब दिया है तब से रामू उनकी आँखों से उतर गया है। |
आँखों से चिनगारियाँ निकलना | गुस्से या क्रोध से आँखें लाल होना | जब रोहन ने मुझसे अपशब्द कहे तो मेरी आँखों से चिनगारियाँ निकलने लगी। |
आँखों में सरसों फूलना | हरियाली ही हरियाली दिखाई देना अथवा मन उल्लास से भरना | जब राहुल की लॉटरी खुल गई तो उसकी आँखों में सरसों फूलने लगी। |
आँखों से परदा हटना | असलियत का पता लगना | जब मुझे यह ज्ञात हुआ कि सादा ढंग से रहने वाला शेखर अमीर है तो मेरी आँखों से परदा हट गया। |
आँखों पर बिठाना | बहुत आदर-सत्कार करना | जब मोहन के घर कोई मेहमान आता है तो वह उसे आँखों पर बिठाकर रखता है। |
आँखें आना | आँखों में लाली/सूजन आ जाना | मेरी आँखें आ गई है इसलिए मैंने काला चश्मा लगा रखा है। |
आँख उठाना | नुकसान करने की कोशिश करना | यदि तुम्हारी ओर किसी ने आँख भी उठाई तो मैं उसे छोड़ूँगा नहीं। |
आँख-कान खुले रखना | सतर्क रहना | यहाँ यह पता करना कठिन है कि कौन मित्र है और कौन शत्रु। अतः हमेशा आँख-कान खुले रखो। |
आँखें पथरा जाना | राह देखते-देखते थक जाना | कृष्ण के लौटकर आने की प्रतीक्षा में गोपियों की आँखें पथरा गई। |
आँखों पर पर्दा पड़ना | भले-बुरे की पहचान न होना | क्या तुम्हारी आँखों पर पर्दा पड़ा है जो तुम्हें यह भी दिखाई नहीं देता कि तुम्हारा बेटा आजकल क्या गुल खिला रहा है? |
आँखों में घर करना | मन में जगह बना लेना | अच्छे बच्चे सभी अध्यापकों की आँखों में घर कर लेते है। |
आँखों में चर्बी छाना | घमंड में चूर होना | रिश्वत और बेईमानी का पैसा उसे क्या मिला है, उसकी आँखों में तो चर्बी चढ़ गई है। |
आँख लगना | प्रेम करना, जरा-सी नींद आना | आँख लगी ही थी कि अचानक फोन की घंटी सुनकर वह उठ बैठा। |
आँखों में रात काटना | चिंता/कष्ट के कारण सो न पाना | पूनम के पति को पुलिस वाले न जाने क्यों थाने ले गए। वह रातभर नहीं लौटा, बेचारी पूनम की तो सारी रात आँखों में ही कटी। |
आँखों में धूल झोंकना | धोखा देना | चोर पुलिस वाले की आँखों में धूल झोंककर गायब हो गया। |
आँख दिखाना | क्रोध करना | मुझे क्यों आँखें दिखा रहे हो, मैंने तो तुम्हारी शिकायत नहीं की थी? |
अँगूठा चूमना | खुशामद करना | साहित्यिक भी जब शासकों का अँगूठा चूमते हैं, तो बड़ा दुःख होता है। |
अँगूठा दिखाना | मौके पर धोखा देना | चालबाजों से बचकर रहो, वे अँगूठा दिखाना खूब जानते है। |
अँगूठे पर मारना | परवाह न करना | तुम्हारे जैसे कितनों को मैं अँगूठे पर मारता हूँ। |
ऊँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना | थोड़ा झटककर अधिक झटकने का प्रयास करना | लोभियों से सावधान रहो, वे ऊँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना जानते है। |
पाँचों उँगलियाँ घी में होना | मौज-मस्ती में रहना | वह तिकड़मी सरकारी ठीकेदार हुआ कि पाँचों उँगलियाँ घी में। |
कान खोलना | सावधान करना | मैंने उसके कान खोल दिये। अब वह किसी के चक्कर में नहीं आयेगा। |
कान खड़े होना | होशियार होना | दुश्मनों के रंग-ढंग देखकर मेरे कान खड़े हो गये। |
कान फूंकना | दीक्षा देना, बहकाना | मोहन के कान सोहन ने फूंके थे, फिर उसने किसी की कुछ न सुनी। |
कान लगाना | ध्यान देना | उसकी बातें कान लगाने योग्य है। |
कान भरना | पीठ-पीछे शिकायत करना | तुम बराबर मेरे खिलाफ अफसर के कान भरते हो। |
कान में तेल डालना | कुछ न सुनना | मैं कहते-कहते थक गया, पर ये कान में तेल डाले बैठे है। |
कान पर जूँ न रेंगना | ध्यान न देना, अनसुनी करना | सरकार तो बड़ी-बड़ी बातें कहती है, मगर अफसरों के कान पर जूँ नहीं रेंगती। |
कान काटना | बढ़कर काम करना | उसे छोटा न समझो, भाषण देने में तो वह बड़े-बड़ों के कान काटता है। |
कान देना | ध्यान देना | शिक्षकों की बातों पर कान दीजिए। |
कान पकना | व्यर्थ बकवास सुनते रहने से चिढ | किसी व्रत पर जब चारों ओर लाउडस्पीकरों पर बेसुरा अष्टयाम कीर्तन होता है, तो शहर-बस्ती के हम-आप भलेमानसों की क्या बात; सात लोक पार बैठे परमात्मा के भी कान पक जाते है। |
कान पकड़ना | अनुचित न करने की प्रतिज्ञा करना | अब से मैं कान ऐंठता हूँ कि कभी ऐसी गुस्ताखी न करूँगा। |
कलेजा निकालकर रख देना | हृदय की बात कहना | ‘प्रणय-पत्रिका’ के एक-एक गीत में बच्चन ने अपनी कल्पित प्रेयसी के प्रति कलेजा निकालकर रख दिया है। |
कलेजा ठंढा होना | डाह पूरा होने पर संतोष | कुणाल के अंधा भिखारी होने पर उसका कलेजा ठंडा हुआ। |
कलेजा काढ़ना | प्रिय वस्तु का चला जाना | उसने मेरी पांडुलिपि क्या खो दी, मेरा कलेजा काढ़ लिया। |
कलेजा फटना | ईर्ष्या होना | मुझे क्या सरकारी नौकरी मिल गयी कि मेरे एक घरवारी सहयोगी का कलेजा ही फटने लगा। |
कलेजा टूक-टूक होना | हृदय पर गहरा आघात पहुँचना | नृप हरिश्चंद्र की विपत्तियों को देखकर किसका कलेजा टूक-टूक नहीं होता? |
कलेजा मुँह को आना | अत्यंत आतुरता | उसकी बीमारी देखकर कलेजा मुँह को आता है। |
कलेजे पर साँप लोटना | किसी की उन्नति याद कर जलन होना | राम के राज्याभिषेक की खबर पर कैकयी की दासी मंथरा तक के कलेजे पर साँप लोटने लगा। |
कलेजे पर पत्थर रखना | दिल मजबूत करना | छोटे भाई विभीषण की दगाबाजी पर रावण ने कलेजे पर पत्थर रख लिया, इसके सिवा उसके पास चारा ही क्या था। |
कलेजा चीरकर दिखाना | पूर्ण विश्र्वास दिलाना | तुम्हीं मेरे सब कुछ हो, यह मैं कलेजा चीरकर दिखा सकता हूँ। |
नाक कट जाना | प्रतिष्ठा नष्ट होना | पुत्र के कुकर्म से पिता की नाक कट गई। |
नाक काटना | बदनाम करना | भरी सभा में उसने मेरी नाक काट ली। |
नाक-भौं चढ़ाना | क्रोध अथवा घृणा करना | तुम ज्यादा नाक-भौं चढ़ाओगे, तो ठीक न होगा। |
नाक में दम करना | परेशान करना | शहर में कुछ गुण्डों ने लोगों की नाक में दम कर रखा है। |
नाक का बाल होना | अधिक प्यारा होना | मैनेजर मुंशी की न सुनेगा तो किसकी सुनेगा? वह तो आजकल उसकी नाक का बाल बना हुआ है। |
नाक रगड़ना | दीनतापूर्वक प्रार्थना करना | उसने मालिक के सामने बहुत नाक रगड़ी, पर सुनवाई न हुई। |
नाकों चने चबवाना | तंग करना | भारतीयों ने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिये। |
नाक पर मक्खी न बैठने देना | निर्दोष बचे रहना | उसने कभी नाक पर मक्खी बैठने ही न दी। |
नाक पर गुस्सा | तुरन्त क्रोध | गुस्सा तो उसकी नाक पर रहता है। |
नाक रखना | प्रतिष्ठा रखना | क्रिकेट में जय ने कॉमर्स कॉलेज की नाक रख ली। |
नाक-भौं सिकोड़ना | घृणा करना, सहन न कर पाना | वह तो मुझे देखते ही नाक-भौं सिकोड़ने लगता है। |
नाक-कान काटना | बहुत अधिक अपमानित करना | उन्होंने अपने मित्रों के अपमान के बदले अपनी चतुराई से कितने ही सामंतों के सरे-दरबार नाक-कान काटे। |
नाक ऊँची होना | प्रतिष्ठा बढ़ना | पिछले टेस्ट-क्रिकेट में जीत के कारण हमारी नाक ऊँची हो गई। |
नाक रहना | इज्जत बचना | भीम ने दुश्शासन को पछाड़कर द्रौपदी की नाक रख ली। |
मुँह छिपाना | लज्जित होना | वह मुझसे मुँह छिपाए बैठा है। |
मुँह पकड़ना | बोलने से रोकना | लोकतन्त्र में कोई किसी का मुँह नहीं पकड़ सकता। |
मुँह उतरना | उदास होना | परीक्षा में असफल होने पर श्याम का मुँह उतर आया। |
मुँह पर कालिख लगना | कलंकित होना | चोरी करते पकड़े जाने पर राजू के मुँह पर कालिख लग गई। |
मुँह पर ताला लगना | चुप रहने के लिए विवश होना | कक्षा में अध्यापक के आने पर संभी छात्रों के मुँह पर ताला लग जाता है। |
मुँह पर थूकना | बुरा-भला कहना | कालू की करतूत देखकर सब उसके मुँह पर थूक गए। |
मुँह फुलाना | अप्रसन्नता या असंतुष्ट होकर रूठकर बैठना | शांति सुबह से ही अपना मुँह फुलाए घूम रही है। |
मुँह सिलना | चुप रहना | मैंने तो अपना मुँह सिल लिया है। तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हारे विरुद्ध कुछ नहीं बोलूँगा। |
मुँह काला करना | कलंकित होना | दुश्चरित्र महिलाएँ न जाने कहाँ-कहाँ मुँह काला कराती फिरती है। |
मुँह चुराना | सम्मुख न आना | इस तरह समाज में कब तक मुँह चुराते फिरोगे। जाकर प्रधान जी से अपनी गलती की माफी माँग लो। |
मुँह जूठा करना | थोड़ा-सा खाना/चखना | यदि भूख नहीं है तो कोई बात नहीं। थोड़ा-सा मुँह जूठा कर लीजिए। |
मुँहतोड़ जबाब देना | ऐसा उत्तर देना कि दूसरा कुछ बोल ही न सके | मैंने ऐसा मुँहतोड़ जबाब दिया कि सबकी बोलती बंद हो गई। |
मुँह निकल आना | कमजोरी के कारण चेहरा उतर जाना | एक सप्ताह की बीमारी में ही उसका मुँह निकल आया है। |
मुँह की बात छीन लेना | दूसरे के मन की बात कह देना | आपने यह बात कहकर तो मेरे मुँह की बात छीन ली। मैं भी यही बात कहना चाहता था। |
मुँह में खून लगना | अनुचित लाभ की आदत पड़ना | इस थानेदार के मुँह में खून लग गया है। बेचारे गरीब सब्जी वालों से भी हफ़्ता-वसूली करता है। |
मुँह मोड़ना | उपेक्षा करना | जब ईश्वर ही मुँह मोड़ लेता है तब दुनिया में कोई सहारा नहीं बचता। |
मुँह लगाना | बहुत स्वतंत्रता देना | ऐसे घटिया लोगों को मैं मुँह नहीं लगाता। |
मुँह बंद कर देना | शांत कराना | तुम धमकी देकर मेरा मुँह बंद कर देना चाहते हो |
मीठी छुरी | छली-कपटी मनुष्य | वह तो मीठी छुरी है, मैं उसकी बातों में नहीं आती। |
मुँह अँधेरे | बहुत सवेरे | वह नौकरी के लिए मुँह अँधेरे निकल जाता है। |
मुँह काला होना | अपमानित होना | उसका मुँह काला हो गया, अब वह किसी को क्या मुँह दिखाएगा। |
मुँह की खाना | हारना/पराजित होना | इस बार तो राजू पहलवान ने मुँह की खाई है, पिछली बार वह जीता था। |
मुँह धो रखना | आशा न रखना | यह चीज अब मिलने को नही मुँह धो रखिए। |
मुँह में पानी आना | लालच होना | मिठाई देखते ही उसके मुँह में पानी भर आया। |
मुँह पर या चेहरे पर हवाई उड़ना | घबराना | मास्टर साहब की आहट पाते ही उसके मुँह पर हवाई उड़ने लगी। |
मुँह में लगाम न होना | बिना समझे बोलना | जिसके मुँह में लगाम नहीं, उससे सँभलकर बात करो। |
मुँह मीठा करना | शकुन-सूचक मिठाई खिलाना। | भाई! मुँह मीठा कराओ, तुम्हें लड़का हुआ है। |
मुँह माँगी मुराद पाना | इच्छानुकूल वस्तु पाना | यह सुलक्षणा पत्नी! मुँह माँगी मुराद पा गये हो यार! |
दाँत दिखाना | खीस काढ़ना | खुद ही देर की और अब दाँत दिखाते हो। |
दाँत गिनना | उम्र पता लगाना | कुछ लोग ऐसे है कि उनपर वृद्धावस्था का असर ही नहीं होता। ऐसे लोगों के दाँत गिनना आसान नहीं। |
दाँत निपोरना | गिड़गिड़ाना | क्यों दाँत निपोरकर भीख माँग रहे हो, काम क्यों नहीं करते? |
दाँत पीसना | बहुत क्रोधित होना | रमेश तो बात-बात पर दाँत पीसने लगता है। |
दाँत काटी रोटी होना | अत्यन्त घनिष्ठता होना या मित्रता होना | आजकल राम और श्याम की दाँत काटी रोटी है। |
दाँत खट्टे करना | परास्त करना, हराना | महाभारत में पांडवों ने कौरवों के दाँत खट्टे कर दिए थे। |
दाँतों तले उँगली दबाना | दंग रह जाना | जब एक गरीब छात्र ने आई.ए.एस. पास कर ली तो सब दाँतों तले उँगली दबाने लगे। |
दाँत गड़ाना | कुछ हड़पने के लिए दृढ़ होना | मेरी बगिया पर तुम दाँत जमाये हो; मैं फौजदारी तक देख लूँगा। |
दाँत से दाँत बजना | बहुत जाड़ा पड़ना | इस साल दिसंबर में दाँत बजने की नौबत आ गई। |
दाँत तोड़ना | बेकाम करना | साँप के दाँत तोड़ दो, और उसे मदारी की तरह नचाओ। |
दाँतों में जीभ-सा रहना | शत्रुओं से घिरा रहना | लंका में विभीषण दाँतों में जीभ-से रहते थे। |
बात का धनी | वायदे का पक्का | मैं जानता हूँ, वह बात का धनी है। |
बात की बात में | अति शीघ्र | बात की बात में वह चलता बना। |
बात चलाना | चर्चा चलाना | कृपया मेरी बेटी के ब्याह की बात चलाइएगा। |
बात तक न पूछना | निरादर करना | मैं विवाह के अवसर पर उसके यहाँ गया, पर उसने बात तक न पूछी। |
बात बढ़ाना | बहस छिड़ जाना | देखो, बात बढाओगे तो ठीक न होगा। |
बात बनाना | बहाना करना | तुम्हें बात बनाने से फुर्सत कहाँ? |
गर्दन उठाना | प्रतिवाद करना | सत्तारूढ़ सरकार के विरोध में गर्दन उठाना टेढ़ी खीर है। |
गर्दन पर सवार होना | पीछा न छोड़ना | जब देखो, तब मेरी गर्दन पर सवार रहते हो। |
गर्दन काटना | जान से मारना, हानि पहुँचाना | वह तो उनकी गर्दन काट डालेगा। झूठी शिकायत कर क्यों गरीब की गर्दन काटने पर तुले हो? |
सिर उठाना | विरोध में खड़ा होना | देखता हूँ, मेरे सामने कौन सिर उठाता है? |
सिर भारी होना | सिर में दर्द होना, शामत सवार होना | मेरा सिर भारी हो रहा है। किसका सिर भारी हुआ है जो इसकी चर्चा करें? |
सिर पर सवार होना | पीछे पड़ना | तुम कब तक मेरे सिर पर सवार रहोगे? |
सिर से पैर तक | आदि से अंत तक | तुम्हारी जिन्दगी सिर से पैर तक बुराइयों से भरी है। |
सिर पीटना | शोक करना | चोर उस बेचारे की पाई-पाई ले गये। सिर पीटकर रह गया वह। |
सिर पर भूत सवार होना | एक ही रट लगाना, धुन सवार होना | मालूम होता है कि घनश्याम के सिर पर भूत सवार हो गया है, जो वह जी-जान से इस काम में लगा है। |
सिर फिर जाना | पागल हो जाना | धन पाकर उसका सिर फिर गया है। |
सिर चढ़ाना | शोख करना | बच्चों को सिर चढ़ाना ठीक नहीं। |
सिर आँखों पर बिठाना | बहुत आदर-सत्कार करना | घर पर आए गुरुजी को छात्र ने सिर आँखों पर बिठा लिया। |
सिर ऊँचा उठाना | इज्जत से खड़ा होना | अपनी ईमानदारी के कारण मुन्ना समाज में आज सिर ऊँचा उठाए खड़ा है। |
सिर खाली करना | बहुत या बेकार की बातें करना | कल भवेश ने घर आकर मेरा सिर खाली कर दिया। |
सिर पर आसमान उठाना | बहुत शोरगुल करना | माँ के बिना बच्चे ने सिर पर आसमान उठा लिया है। |
सिर पर कफ़न बाँधना | मरने के लिए तैयार रहना | सैनिक सीमा पर सिर पर कफ़न बाँधे रहते है। |
सिर पर पाँव रखकर भागना | बहुत तेजी से भाग जाना | पुलिस को देखकर डाकू सिर पर पाँव रखकर भाग गए। |
सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ना | कार्यारम्भ में विघ्न पड़ना | यदि मैं जानता कि सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ेंगे तो विवाह के नजदीक ही न जाता। |
सिर सफेद होना | बुढ़ापा होना | अब नरेश का सिर सफेद हो गया है। |
सिर पर आ जाना | बहुत नजदीक होना | परीक्षा मेरे सिर पर आ गई है, अब मुझे खूब पढ़ना चाहिए। |
सिर खुजलाना | बहलाना करना | सिर न खुजलाओ, देना है तो दो। |
सिर खाना | व्यर्थ की बातों से तंग करना | मेरा सिर मत खाओ। मैं वैसे ही परेशान हूँ। |
सिर नीचा करना | इज्जत बढ़ाना | रमानाथ के अकेले बेटे ने अपने पिता का सिर ऊँचा कर दिया। |
सिर चढ़ना | अशिष्ट या उदंड होना | आपके बच्चे बहुत सिर चढ़ गए है। किसी की सुनते तक नहीं। |
सिर पटकना | पछताना | पहले तो मेरी बात नहीं मानी अब सिर पटकने से क्या होगा? |
सिर पर खड़ा रहना | बहुत निकट रहना | आप उसे कुछ समय के लिए अकेले भी छोड़ दिया करो। चौबीसों घंटे उसके सिर पर खड़े रहना ठीक नहीं है। |
सिर पर तलवार लटकना | खतरा होना | इस कंपनी में नौकरी करने पर हमेशा सिर पर तलवार ही लटकी रहती है कि कब कोई गलती हुई और नौकरी से निकाल दिए गए। |
सिर फिरना | पागल हो जाना | उसे मत छेड़ो। अगर उसका सिर फिर गया तो तुम लोगों की शामत आ जाएगी। |
सिर मुड़ाते ओले पड़ना | कार्य आरंभ करते ही विघ्न पड़ना | हमने व्यापार आरंभ किया ही था कि पुलिस वालों ने आकर हमारा लाइसेंस ही रद्द कर दिया। इसे कहते है सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना। |
सिर चढ़कर बोलना | साक्षात् प्रभावशाली होना | उसकी लेखनी में ऐसा जादू है, जो सिर चढ़कर बोलता है। |
सिर गंजा कर देना | बहुत पीटना | बदमाशी करोगे तो सिर गंजा कर दूँगा। |
सिर ऊखल में देना | जान-बूझकर आफत मोल लेना | जब सिर ऊखल में दिया तो मूसल का क्या डर? |
सिर का बोझ टलना | निश्चिन्त होना | बेटी का ब्याह हुआ, तो समझो सिर का बोझ टला। |
हाथ पैर मारना | काफी प्रयास करना | राम कितना मेहनत क्या फिर भी वह परीक्षा में सफल नहीं हुआ। |
हाथ मलना | पछताना | समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ? |
हाथ देना | सहायता करना | आपके हाथ दिये बिना यह काम न होगा। |
हाथ का खिलौना | किसी के आदेश के अनुसार काम करने वाला व्यक्ति | बेचारा राजू इन दुष्टों के हाथ का खिलौना बन गया है। |
हाथ पर हाथ धरे बैठना | कुछ कामकाज न करना | राजू एम.ए. करने के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठा है। |
हाथ भर का कलेजा होना | बहुत खुश होना | अच्छी नौकरी मिलने से राम का हाथ भर का कलेजा हो गया है। |
हाथों में चूड़ियाँ पहनना | कायरता का काम करना | कायर! जाओ, हाथ में चूड़ियाँ पहनकर बैठे रहो। |
हाथ को हाथ न सूझना | घना अंधकार होना | घर में पार्टी चल रही थी कि अचानक बिजली चली गई। चारों ओर अँधेरा छा गया, हाथ को हाथ भी नहीं सूझ रहा था। |
हाथ साफ करना | चोरी करना | बस की भीड़ में मेरी जेब पर किसी ने हाथ साफ कर दिया। |
हाथ पर हाथ धरे बैठना | बेकार बैठे रहना | हाथ पर हाथ धरे बैठने से सफलता पाँव नहीं चूमती। |
हाथ लगाना | आरंभ करना | उसने मकान में हाथ लगा दिया है। |
हाथ उठाना | पीटना | बच्चों पर ज्यादा हाथ उठाओगे तो वे शोख हो जाएँगे। |
हाथ खींचना | सहायता बंद करना | उसने इन दिनों अनेक संस्थाओं से हाथ खींच लिया है। |
हाथ फैलना | याचना करना | हाथ फैलाने की आदत बुरी है। |
हाथ साफ करना | चुरा लेना | वह जिस बारात में जाता है, बिना हाथ साफ किये नहीं लौटता। |
हाथ लगना | काम में आना | तुम भला किसी के हाथ लगोगे। |
हाथ पर सरसों जमाना | शीघ्र चाहना | हाथ पर सरसों जमाने से काम खराब हो जाता है। |
अंक भरना | गोद भर लेना | माँ ने दौड़कर युद्ध से लौटे अपने इकलौते बेटे को अंक में भर लिया। |
अंक लगाना | आलिंगन करना | ज्यों ही मोहन परीक्षा में प्रथम हुआ, उसे उसके मित्र सोहन ने अंक लगा लिया। |
अंग उभरना | यौवन के लक्षण दिखाई पड़ना | तेरहवाँ वर्ष लगते ही कुंती के अंग उभरने लगे। |
अंग टूटना | थकान की पीड़ा | काम करते-करते अंग टूटने लगे। |
अंग मोड़ना | शरीर के अंगों को लज्जावश छिपाना | नाटक में उतरना है, तो अंग मोड़ने से काम नहीं चलेगा। |
कमर कसना | दृढ़ निश्र्चय करना | विजय चाहते हो, तो युद्ध के लिए कमर कस लो। |
कमर सीधी करना | परिश्रम के बाद विश्राम | अभी तो टेस्ट परीक्षा समाप्त हुई है, जरा कमर सीधी करने दो, फिर पढ़ाई चलेगी। |
कमर टूटना | निरुत्साह होना | परीक्षा में कई बार फेल होने से उसकी कमर ही टूट गयी। |
गले मढ़ना | इच्छा के विरुद्ध कुछ मत्थे थोप देना | उसने अच्छा कहकर पूरे छह सौ लिये और अपना रद्दी रेडियो मेरे गले मढ़ दिया। |
गले पर छुरी फेरना | अपनों का ही बहुत नुकसान करना | इन दिनों भाई ही भाई के गले पर छुरी फेर रहा है। |
घुटना टेकना | हार मानना | वीर बराबर बात पर हथियार टेक सकते है, घुटने नहीं। |
गाल फुलाना | रूठना | कैकेयी ने गाल फुला लिया, तो दशरथ परेशान हो गये। |
गाल बजाना | डींग हाँकना | किसके आगे गाल बजा रहे हो? आखिर मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूँ, बीस वर्ष बड़ा। मुझसे तुम्हारा कुछ छुपा भी है क्या? |
चेहरा उतरना | चेहरे पर रौनक न रहना | जाली सर्टिफिकेट का भेद खुलते ही बेचारे डॉक्टर का चेहरा उतर गया। |
चेहरा बिगाड़ना | बहुत पीटना | फिर बदमाशी की, तो चेहरा बिगाड़ दूँगा। |
चेहरे पर हवाई उड़ना | घबरा जाना | आप सफ़र में जिसके चेहरे पर हवाई उड़ते देखें, समझ लें कि वह बेटिकट नया शोहदा है। |
जबान देना | वचन देना | मैंने उसे जबान दी है, अतः होस्टल छोड़ने पर अपनी चौकी उसे ही दूँगा। |
जबान खींचना | उद्दंड बोली के लिए दंड देना | बकवास किया, तो जबान खींच लूँगा। |
जबान पर लगाम न होना | किसके आगे क्या कहना चाहिए, इसकी तमीज न होना | जिसकी जबान पर लगाम नहीं, उससे मुँह लगाना ठीक नहीं। |
जबान चलाना | अनुचित शब्द निकालना | यदि जबान चलाओगे, तो जबान खींच लूँगा। |
जान छुड़ाना, पिंड छुड़ाना | पीछा छुड़ाना | उसने किसी तरह उन गुंडों से जान छुड़ाई। |
जान पर खेलना, जान को जान न समझना, जान लड़ाना | वीरता का काम करना | पाकिस्तान के साथ लड़ाई में पठानिया जान पर खेल गये, उन्होंने जान को जान न समझा, वे जान लड़ा गये। |
जान का जंजाल होना | अप्रिय होना | यह गाड़ी तो मेरे लिए जान का जंजाल हो गई। |
जान खाना | तंग करना | देखो भाई, जान मत खाओ, मौका मिलते ही तुम्हारा काम कर दूँगा। |
जी खट्टा होना | पहले जिससे रुचि, उससे अरुचि होना | किसी काम के न होकर खुशामद पर निर्वाह खोजने वालों से एक-न-एक दिन जी खट्टा तो होता ही है। |
जी छोटा करना | मन उदास करना | इस नुकसान पर जी छोटा करने से काम नहीं चलेगा, परिश्रम करते चलो, काम बनेगा ही। |
जी जलना | क्रोध आना | बेलगाम लाउडस्पीकरों की अठपहरा भौं-भौं से किसका जी न जलेगा। |
जी-जान लगाना | अंतिम परिश्रम करना | विद्या सीखनी हो तो विद्यासागर की तरह शुरू से जी-जान लगाकर सीखो। |
जी धकधक करना | आतंकित रहना | बचपन में भूत का नाम सुनते ही मेरा जी धकधक करने लगता था। |
जी भर आना | ह्रदय द्रवित होना | अरविंद की ‘सावित्री’ पढ़ो। स्त्री-धर्म के उस चरम पुरुषार्थ पर तुम्हारा जी न भर आए, तो कहना। |
छाती (जी) जलना | डाह होना | किसी की छाती जले, परवाह नहीं, मुझे तो आगे बढ़ते जाना है। |
छाती फुलाना | अभिमान करना | रमेंद्र पुलिस-अफसर क्या हुआ, हमेशा छाती फुलाये चलता है। |
छाती पीटना | विलाप करना | बेटे के मरते ही माँ छाती पीटने लगी। |
छाती पर साँप लोटना | ईर्ष्या करना | राम की सफलता देख श्याम की छाती पर साँप लोट गया। |
छाती पर कोदो दलना | प्रतिशोधात्मक कष्ट पहुँचाना | अपना धर्म मानना सांप्रदायिकता नहीं है, सांप्रदायिकता है दूसरे धर्मवालों की छाती पर कोदो दलना। |
टाँग अड़ाना | फिजूल दखल देना | गद्य आता है न? नहीं आता? तो फिर पद्य में क्या टाँग अड़ाने लगे? जाओ, पहले गद्य दुरुस्त करो। |
टाँग पसारकर सोना | निश्चिन्त सोना | सिकंदर उमड़ती वितस्ता को बहत्तर मील उत्तर बढ़कर अँधेरी रात में जबकि सेना समेत तैरकर पार कर रहा था, उस समय सराय जेहलम के भलेमानुस राजा पुरु रनिवास में टाँग पसारकर सोये हुए थे। |
दम मारना | लेना | आराम करना, सुस्ताना। दम लेने दो, फिर आगे बढ़ेंगे। |
दम में दम आना | स्थिर होना | चोर जब भागकर झाड़ी में छिपा तब उसके दम में दम आया। |
दम घुटना (अटकना) | साँस बंद होना | इस कुप्प कमरे में तो मेरा दम घुटता है। |
दम बाँधना | हिम्मत करना | जब तक दम नहीं बाँधोगे, तबतक दुनिया में ठीक से जी नहीं पाओगे। |
दम भरना | दावा करना | अपनी तारीफ करना। दम भरते थे कि दो कोस तो चल ही लूँगा। अब डेढ़ मील पर ही बाप-बाप करने लगे। |
दिमाग खाना या चाटना | अपनी गर्ज व्यर्थ बके जाना | आजकल अधिकांश लोग दिमाग चाटनेवाले होते हैं। न खुद कुछ समझने को तैयार और न किसी को कुछ समझने देने को तैयार। |
दिमाग चढ़ना या आसमान पर होना | बहुत अधिक घमंड होना | रावण ने शिव को साधा क्या, उसका दिमाग आसमान पर हो गया। |
दिमाग आसमान से उतरना | अभिमान दूर होना | रामदूत हनुमान ने जब अकेले अशोकवन उजाड़ डाला, लंका राख कर दी, तो पहले-पहल रावण का दिमाग आसमान से उतरा। |
दिल कड़ा करना | हिम्मत बाँधना, साहस करना | भाई, विपत्ति किस पर नहीं आती है। दिल कड़ा करो। |
दिल का गवाही देना | मन में किसी बात की संभावना या औचित्य का निश्चय होना | जब दिल गवाही न दे, तो औरों की सलाह पर न चलो। |
दिल जमना | चित्त लगना | इन दिनों किसी काम में मेरा दिल जमता ही नहीं। |
दिल ठिकाने होना | मन में शांति, संतोष या धैर्य होना | जब तक दिल ठिकाने न हो तब तक किसी काम में हाथ न लगाओ। |
दिल बुझना | चित्त में किसी प्रकार की उत्साह या उमंग न रह जाना | जिन्दगी में उसकी इतनी हार हुई कि उसका दिल ही बुझ गया। |
दिल से दूर करना | भुला देना, विस्मरण | वे तुम्हारी नजरों से दूर क्या हुए, दिल से दूर कर दिये गये। |
दिल की कली खिलना | अत्यानंद की प्राप्ति | जब जहाँगीर ने अनारकली को देखा, तो उसके दिल की कली खिल उठी। |
दिल चुराना | मन मोह लेना | पहली मुलाकात ही में मेहरुत्रिसा ने सलीम का दिल चुरा लिया। |
दिल देना | प्रेम करना | जिसने दिल दिया, उसने दर्द लिया। |
दिल दरिया होना | उदार होना | जो कोई उनके दरवाजे पर आता है खाली हाथ नहीं लौटता। क्यों न ऐसा हो, उनका दिल दरिया जो ठहरा। |
दिल की गाँठ खोलना | मनमुटाव दूर होना | जब तक तुम दिल की गाँठ नहीं खोलोगे, तब तक वह खुलेगा कैसे? |
नजर आना | दिखाई देना | क्या बात है कि हजरत नजर ही नहीं आते? |
नजर रखना | ध्यान रखना | भाई ! इस गरीब लड़के पर नजर रखा करो। |
नजर लड़ाना | साक्षात् प्रेम में पड़ना | अपने समय में अर्जुन इतने सुंदर थे कि जिन सुंदरियों से उनकी नजर लड़ी, वे उनके लिए हाय-हाय ही करती रहीं। |
नजर चुराना | आँख बचाना | आखिर आप हमसे नजर चुराकर कहाँ जाएँगे? |
नजर लगना | कुदृष्टि, सुदृष्टि | इस बन-ठन पर कहीं नजर न लग जाय। नजर लागी राजा तोरे बँगले पै। |
नजर दौड़ाना | सर्वत्र देखना | नजर दौड़ाओगे तो कोई-न-कोई काम मिल ही जाएगा। |
नजर करना | भेंट करना | उसने हाकिम को एक दुशाला नजर किया। |
नजर से गिरना | ह्रदय से दूर होना | बेईमान आदमी तो नजर से गिर ही जाता है। |
नजर पर चढ़ना | पसंद आ जाना | यह घड़ी मेरी नजर पर चढ़ गयी है। |
पलक लगना | सो जाना | आदमी जो ठहरा, सारे दिन और सारी रात कैसे जागता; तीन बजे सुबह तो पलक लग ही गई। |
पलक-पाँवड़े बिछाना | अत्यंत आदर से स्वागत करना | शबरी राम के लिए न मालूम कब से पलक-पाँवड़े बिछाये थी। |
पसीने-पसीने होना | लज्जित होना | जब से मैंने उसकी यह चोरी पकड़ी तबसे वह चोरी करता हो या नहीं, किन्तु मुझे देखकर पसीने-पसीने हो जाता है। |
पसीने की जगह खून बहाना | कम के बदले अधिक कुर्बानी देना | मैं वैसा आदमी हूँ, जो अपने मित्रों के लिए पसीने की जगह खून बहाने को तैयार रहता है। |
पाँव उखड़ जाना | पराजित होना | थानेश्र्वर की लड़ाई में पृथ्वीराज की सेना के पाँव उखड़ गये। |
पाँव चूमना | पूजा करना, खुशामद करना | आज यदि परमवीर अब्दुल हमीद यहाँ होते, तो हम सभी उनके पाँव चूमते। |
पाँव भारी होना | गर्भवती होना | जब राजा ने सुना कि रानी के पाँव भारी हुए तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा। |
पाँव तले की मिट्टी (धरती) खिसकना | स्तब्ध हो जाना | जब सट्टे में उसे एक लाख रुपये का घाटा लगा तो उसके पाँव तले की मिट्टी खिसक गई। |
पाँव खींचना | रुकावट डालना | आजकल पाँव बढ़ानेवाले दो-चार होते है, तो पाँव खींचनेवाले दस-बीस। |
पाँव फिसलना | गलती होना | जवानी में तो बहुतों के पाँव फिसल जाते है। |
पाँवों में पर लगना | बहुत तेज चलना | मोहन की वंशी सुनकर गोपियों के पाँवों में पर लग गये। |
पीठ दिखाना | हारकर भाग जाना | बहादुर मैदाने-जंग में पीठ नहीं दिखाते। |
पीठ ठोकना | प्रोत्साहन देना | छात्रों की बराबर पीठ ठोकें, वे कमाल कर दिखाएँगे। |
पीठ पर होना | सहायक होना | जब आप मेरी पीठ पर है तो फिर डर किस बात का? |
पीठ फेरना | मुँह मोड़ना | गाढ़े समय में तुमने भी पीठ फेर ली। |
प्राण-पखेरू का उड़ना | मृत्यु हो जाना | एक-न-एक दिन सभी के प्राण-पखेरू उड़ ही जायेंगे। |
प्राण सूख जाना | भयभीत हो जाना | यम का नाम लेते ही कितनों के प्राण सूख जाते है। |
प्राण डालना | सजीव-सा कर देना | कलाकार जिस मूर्ति की रचना करता है उसके प्राण पहले अपने में डाल लेता है, तभी वह मूर्ति में प्राण डाल पाता है। |
प्राण कंठगत होना | मृत्यु निकट होना | प्राण कंठगत होने पर भी धीर विचलित नहीं होते। |
बाँह गहना या पकड़ना | अपनाना | निबाहो बाँह गहे की लाज। |
बाँह देना | सहारा देना | निःसहायों को सदा बाँह दो। |
बाँह टूटना | आश्रयहीन होना | मालिक क्या गये, मेरी बाँह ही टूट गई। |
बाल-बाल बचना | साफ बच जाना | इस रेल-दुर्घटना में वह बाल-बाल बच गया। |
बाल की खाल निकालना | व्यर्थ टीका-टिप्पणी करना | कुछ लोग कुछ करते है, तो कुछ लोग सिर्फ बाल की खाल ही निकालते रहते है। |
बाल बाँका न करना | हानि न पहुँचा पाना | बाल न बाँका करि सकै, जो जग बैरी होय। |
मन हरा होना | प्रसन्न होना | तुम्हारी बात सुनकर मन हरा हो गया। |
मन से उतरना | अप्रिय हो जाना | अँगूठी भूलते ही शकुंतला दुष्यंत के मन से उतर गई। |
मन डोलना | लालच होना | मेनका को देखकर विश्र्वामित्र का भी मन डोल गया था। |
मन खट्टा होना | मन फिर जाना | इन दिनों तुमसे मेरा मन खट्टा हो गया। |
मन टूटना | साहस नष्ट होना | जिसका मन टूट गया, उसका जीना बेकार है। |
मन की आँखें खोलना | उचित दृष्टि | बाबा, मन की आँखें खोल। |
मन टटोलना | किसी के विचारों से अवगत होने के लिए प्रयत्न करना | वे तुम्हारा मन टटोलते थे कि तुम अभी विवाह करोगे या पढ़ाई समाप्त करने के बाद। |
मन बढ़ना | अनुचित शह | तुम्हारे लाड़-प्यार ने लड़के का मन बढ़ा दिया है। तभी तो वह इतना तुनुकमिजाज है। |
मन चलना | इच्छा होना | आज खिचड़ी खाने को मन चल गया। |
मन मारकर बैठ जाना | निराश होना | वीर अपनी पराजय पर मन मारकर बैठते नहीं। |
मन की मन में रहना | इच्छा पूरी न होना | पंडितजी भी सेठजी के साथ नैनीताल जाना चाहते थे। पर, सेठ-सेठानी उन्हें बिना पूछे चल दिये तो उनकी मन की मन में ही रह गई। |
मन के लड्डू | फोड़ना, तोड़ना | खाना- काल्पनिक प्रसन्नता से प्रसन्न होना। व्यावहारिक लोग मन के लड्डू नहीं फोड़ते। |
मन बहलाना | मनोरंजन करना | सिनेमा देखना क्या है, मन बहलाना है। |
मन भारी करना | मन से अप्रसन्न होना | लड़का तुम्हारी बैदकी न चलाकर खुद डॉक्टर बनेगा, यह तो और अच्छी बात है। इसमें मन क्या भारी किये हुए हो? |
मन फटना | विरक्त होना | उससे मेरा मन ही फट गया। |
मन मिलना | प्रेम या मित्रता होना | जिससे मन नहीं मिला, उससे संबंध कैसा? |
मन में बसना | प्रिय लगना | अच्छी सूरत मन में बस ही जाती है। |
मन मैला करना | मन में किसी के प्रति कुछ कटुता रखना | अपनों से मन मैला करना कैसा? |
मन रखना | प्रसन्न करना | मैं वहाँ जाना नहीं चाहता था किंतु तुम्हारा मन रखने के लिए वहाँ जाना पड़ा। |
मन लगाना | प्रवृत्त होना | पढ़ने में मन लगाओ। |
मुट्ठी में करना | वश में करना | उसने तो साहब को मुट्ठी में कर लिया है। |
मुट्ठी गरम करना | रिश्वत देना | कचहरी में मुट्ठी गरम करो, फिर तो काम चाँदी। |
मुट्ठी में रखना | काबू में रखना | इंद्रियों को मुट्ठी में रखो। |
मूँछें उखाड़ना | घमंड चूर कर देना | छोटे से लड़के ने ऐसा ताना कसा कि उस अधेड़ की मूँछें उखाड़ ली। |
मूँछों पर ताव देना | अभिमान प्रदर्शित करना, चिंतामुक्त होना | कुश्ती में बाजी मारकर पहलवान मूँछों पर ताव दे रहा है। |
तीन-तेरह होना | तितर-बितर होना | माधो के मरते ही उसके सारे लड़के तीन-तेरह हो गये। |
नौ-दौ ग्यारह होना | भाग जाना | आज उसे बहुत मार पड़ती, खैरियत हुई कि वह नौ-दो ग्यारह हो गया था। |
चार चाँद लगाना | अधिक सुंदर लगना | गोरे तन पर नीली साड़ी, मानो चार चाँद लग गये। |
उन्नीस-बीस का अंतर होना | थोड़े का फर्क | उन दोनों लड़कों की प्रतिभा में उन्नीस-बीस का अंतर है। |
एक का तीन बनाना | अनुचित लाभ उठाना | जब युद्ध छिड़ता है तो व्यापारी एक का तीन बनाने लग जाते है। |
एक लाठी से सबको हाँकना | उचित-अनुचित का ज्ञान नहीं होना | भाई! सभी लड़के एक तरह के नहीं होते अतः सभी को एक लाठी से क्यों हाँकते हो? |
डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाना | अलग रहना | डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाने से कोई सामाजिक कार्य नहीं हो सकता। |
दो टूक कहना | साफ-साफ कहना | आपको भला लगे या बुरा, मैं तो दो टूक ही कहूँगा। |
दो नाव पर पैर रखना | अनिश्चित विचार का मनुष्य | दो नाव पर पैर रखने से सफलता नहीं मिलती। |
तीनों लोक सूझना | आँखों के आगे अँधेरा छाना | जमींदारी छिन जाने पर राय साहब को तीनों लोक सूझने लगे। |
तीन कौड़ी का होना | बरबाद होना | लड़का कुसंगति में पड़ कर तीन कौड़ी का हो गया। |
तीन-तेरह में न रहना | किसी झगड़ा-फ़साद में न रहना | भाई हम तो अपना काम करते है। तीन-तेरह में नहीं रहते। |
चारो खाने चित्त गिरना | बुरी तरह हार जाना | उसने ऐसी चाल चली कि प्रतिपक्षी चारो खाने चित्त गिर गये। |
पाँचवाँ सवार होना | अपने को बड़ों में गिनना | एकाध पुस्तक लिखकर कुछ लोग पाँचवा सवार होना चाहते है। |
छौ-पाँच में पड़ना | असमंजस में पड़ जाना | मैं इस पद को स्वीकार करूँ या न, छौ-पाँच में पड़ गया हूँ। |
सात घाटों का पानी पीना | अनुभवी होना | तुम उसे ठग नहीं सकते, वह तो सात घाटों का पानी पी चुका है। |
आठ-आठ आँसू बहाना | बहुत रोना | पंडितजी की मृत्यु पर सभी आठ-आठ आँसू बहाने लगे। |
लाल-पीला होना | क्रुद्ध होना | भाई मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा जो लाल-पीले हो रहे हो। |
लाल बत्ती जलना | दीवाली होना | अब उस सेठ की बात क्या पूछते हो? उसके यहाँ तो लाल बत्ती जल गई। |
लाली रह जाना | प्रतिष्ठा निभ जाना | चलो! जीत जाने से मुँह की लाली तो रह गई। |
स्याह होना | उदास होना | डाँट पड़ते ही बेचारा स्याह हो गया। |
त्रिशंकु बनना | न इधर का न उधर का | मैं सोच ही नहीं पाता क्या करूँ, त्रिशंकु बना हूँ। |
लंकादहन करना | नेस्तनाबूद करना | यदि पाकिस्तान हमसे भिड़ा, तो लंकादहन कर देंगे। |
ब्रह्मास्त्र छोड़ना | अंतिम अस्त्र छोड़ना | सत्याग्रह का नारा क्या था, ब्रह्मास्त्र छोड़ना था। |
धनुष तोड़ना | अत्यंत कठिन कार्य करना | देखें इस मुक्ति आंदोलन का धनुष कौन तोड़ता है? |
भीष्म प्रतिज्ञा करना | कसम खाना या दृढ़ निश्र्चय करना | महात्मा गाँधी ने देश को स्वतंत्र करने की भीष्म प्रतिज्ञा की थी। |
विभीषण बनना | देशद्रोही बनना | विभीषण बनना देश-प्रेमियों को शोभा नहीं देता। |
महाभारत मचना | झगड़ा होना | आज दोनों दलों में महाभारत मच गया। |
राम कहानी कहना | अपनी दुःख-गाथा सुनाना | कभी आप निश्चिन्त रहेंगे, तो अपनी राम कहानी सुनाऊँगा। |
लक्ष्मी नारायण करना | भोग लगाना | पंडितजी ने जब लक्ष्मी नारायण किया, तो हम लोगों को प्रसाद मिला। |
वेद-वाक्य मानना | प्रमाण मानना | मैं गुरु की आज्ञा को वेद-वाक्य मानता हूँ। |